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Chanakya Niti: शिक्षक दिवस पर हमेशा याद रखें नीति के सबसे बड़े गुरु चाणक्य की 7 बड़ी सीख

Chanakya Niti: नीति के जितने भी जानकार हुए हैं, उनमें आचार्य चाणक्य का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है. चाणक्य ने जीवन से जुड़े ऐसे तमाम सूत्र बताए हैं, जो आज भी लोगों को सही राह दिखाते हैं. शिक्षक दिवस चाणक्य नीति के 7 बड़ी सीख को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Chanakya Niti: शिक्षक दिवस पर हमेशा याद रखें नीति के सबसे बड़े गुरु चाणक्य की 7 बड़ी सीख
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की अनमोल नीति

Chanakya Niti for success in life: जीवन की आपाधापी में इंसान को कई बार समझ में नहीं आता कि वह कौन सा काम करे और कौन सा काम न करे. ऐसी परिस्थिति में अक्सर हमें सही रास्ता दिखाने वाले अनुभवी आदमी की सख्त जरूरत पड़ती है. सालों पहले नीति के जानकार आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़ी ऐसी ही तमाम समस्याओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कई ऐसे अनमोल सूत्र दिए थे जो आज भी प्रासंगिक हैं. आचार्य चाणक्य की जिन नीतियों और दिखाई राह पर चलकर चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश स्थपित किया, आइए उसी चाणक्य नीति के 7 अनमोल सीख के बारे में जानते हैं. 

  1. आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी दुष्ट के शासन वाले राज्य में रहने की बजाय परदेश में रहना और किसी दुष्ट मित्र के साथ होने की बजाय अकेला रहना और बुरी स्त्री की बजाय बगैर स्त्री के रहना उचित है. चाणक्य के अनुसार इन तीनों का साथ इंसान की जीवन भर परेशानी का कारण बनता है
  2. आचार्य के अनुसार मनुष्य का बहुत ज्यादा सीधा और सरल होना ठीक नहीं है क्योंकि कई बार उसका सहज होना ही उसके अपमान और नुकसान का बड़ा कारण बनता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे जंगल में सीधे वृक्ष अक्सर काट लिए जाते हैं, जबकि टेढ़े-मेढ़े तनों को कोई नहीं छेड़ता है. 
  3. आचार्य चाणक्य के अनुसार सुख की कामना करने वाले को विद्या की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए और विद्या प्राप्ति की कामना करने वालों को सुख की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए. कहने का तात्पर्य यह है कि सुख और आलस्य का त्याग करके निरंतर अभयास से ही कोई भी विद्या प्राप्त की जा सकती है. 
  4. आचार्य चाणक्य के अनुसार प्रवृत्ति की उत्पत्ति प्रकृति के अनुसार होती है. इस पर कोई बाहरी चीज काम नहीं कर सकती है. जैसे कौवे को कभी हंस नहीं बनाया जा सकता है और न ही कुत्ते को हिरण बनाया जा सकता है. कुछ इसी प्रकार किसी भी दुष्ट व्यक्ति को कभी सज्जन नहीं बनाया जा सकता है. वह हमेशा दुष्टता का ही आचरण करेगा.
  5. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुद्धि से ही बल प्राप्त होता है. बगैर बुद्धि के बल फेल हो जाता है. बिल्कुल वैसे ही जैसे अपने बल के अभिमान में चूर शेर भी खरगोश की बुद्धि के आगे फेल होकर मारा गया था. 
  6. आचार्य चाणक्य के अनुसार शक्तिशाली शत्रु को उसके अनुकूल आचरण करके, दुष्ट व्यक्ति को उसके प्रतिकूल आचरण करके और अपने समान बलशाली व्यक्ति को प्रार्थना या फिर बल का उपयोग करके काबू पाना चाहिए. 
  7. आचार्य चाणक्य के अनुसार सांप और दुर्जन व्यक्ति में किसी एक को चुनना पड़ जाए तो सांप को चुनना चाहिए क्योंकि सांप केवल एक बार डसता है, लेकिन दुर्जन व्यक्ति आपको पग-पग में डसता है यानि आपको हर समय नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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