दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार को हाईकोर्ट से एक और झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के सीबीआई को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर छापे में जब्त दस्तावेजों वापस लौटाने के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई मामले की जांच से जुड़े सभी जब्त दस्तावेज अपने पास रख सकती है। हालांकि दिल्ली सरकार इस फैसले को डबल बेंच में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। इस आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि...
- पटियाला हाउस कोर्ट का दस्तावेज वापस करने का फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर और त्रुटिपूर्ण था।
- दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि छानबीन के लिए दस्तावेज की जांच तय करने का अधिकार जांच अधिकारी का है, ऐसे में जांच में दखल का आदेश जारी करना सही नहीं।
- जांच के लिए जब्त किए गए कागज़ात और जांच अभी शुरुआती दौर में है। ऐसे में निचली अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर आदेश दिया।
- निचली अदालत की टिप्पणी मुख्य मामले पर असर डाल सकती है लिहाजा उसकी कोई जरूरत नहीं।
- दिल्ली सरकार की शुरुआती जांच के दौरान ही दस्तावेज वापस करने की अर्जी न ही न्यायोचित और न ही वांछनीय थी। क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है।
- जिस नियम के तहत दिल्ली सरकार ने दस्तावेज मांगे थे वो जांच को आगे बढ़ाने के लिए हैं न कि उसको शैडो करने के लिये।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 15 दिसंबर को सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर छापा मारा था। आरोप है कि इस अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करके एक कंपनी को लाभ पहुंचाया है। सीबीआई ने कार्यालय के बहुत से दस्तावेज भी जब्त किए थे।
दिल्ली सरकार ने एक अर्जी दायर कर सीबीआई द्वारा जबत किए गए दस्तावेजों को रिलीज किए जाने की मांग की थी। दिल्ली सरकार का कहना था कि जांच एजेंसी ने गलत तरीके से कागजात सीज किए हैं। उनको सिर्फ जरूरी कागजात सीज करने चाहिए थे। इसलिए बाकी के कागजात रिलीज करने का आदेश सीबीआई को दिया जाए।
वहीं, इस अर्जी पर आपत्ति जाहिर करते हुए सीबीआई का कहना था कि छापे के दौरान सीज किए गए कागजात जांच के लिए महत्वपूर्ण हैं। वकील ने कहा कि मामले में आरोपी एक बड़ा अधिकारी है। ऐसे में कागजात रिलीज करने पर वह उनके साथ छेड़छाड़ कर सकता है। सीबीआई ने पूरी कार्रवाई कानून के अनुसार की है।
20 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष सीबीआई जज एके जैन की कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को आदेश जारी किया था कि वह राजेंद्र कुमार के कार्यालय से जब्त दस्तावेजों को दिल्ली सरकार को वापस लौटा दे। कोर्ट ने सीबीआई पर सख्त टिप्पणी भी की थी। इस फैसले को सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
- पटियाला हाउस कोर्ट का दस्तावेज वापस करने का फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर और त्रुटिपूर्ण था।
- दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि छानबीन के लिए दस्तावेज की जांच तय करने का अधिकार जांच अधिकारी का है, ऐसे में जांच में दखल का आदेश जारी करना सही नहीं।
- जांच के लिए जब्त किए गए कागज़ात और जांच अभी शुरुआती दौर में है। ऐसे में निचली अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर आदेश दिया।
- निचली अदालत की टिप्पणी मुख्य मामले पर असर डाल सकती है लिहाजा उसकी कोई जरूरत नहीं।
- दिल्ली सरकार की शुरुआती जांच के दौरान ही दस्तावेज वापस करने की अर्जी न ही न्यायोचित और न ही वांछनीय थी। क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है।
- जिस नियम के तहत दिल्ली सरकार ने दस्तावेज मांगे थे वो जांच को आगे बढ़ाने के लिए हैं न कि उसको शैडो करने के लिये।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 15 दिसंबर को सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर छापा मारा था। आरोप है कि इस अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करके एक कंपनी को लाभ पहुंचाया है। सीबीआई ने कार्यालय के बहुत से दस्तावेज भी जब्त किए थे।
दिल्ली सरकार ने एक अर्जी दायर कर सीबीआई द्वारा जबत किए गए दस्तावेजों को रिलीज किए जाने की मांग की थी। दिल्ली सरकार का कहना था कि जांच एजेंसी ने गलत तरीके से कागजात सीज किए हैं। उनको सिर्फ जरूरी कागजात सीज करने चाहिए थे। इसलिए बाकी के कागजात रिलीज करने का आदेश सीबीआई को दिया जाए।
वहीं, इस अर्जी पर आपत्ति जाहिर करते हुए सीबीआई का कहना था कि छापे के दौरान सीज किए गए कागजात जांच के लिए महत्वपूर्ण हैं। वकील ने कहा कि मामले में आरोपी एक बड़ा अधिकारी है। ऐसे में कागजात रिलीज करने पर वह उनके साथ छेड़छाड़ कर सकता है। सीबीआई ने पूरी कार्रवाई कानून के अनुसार की है।
20 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष सीबीआई जज एके जैन की कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को आदेश जारी किया था कि वह राजेंद्र कुमार के कार्यालय से जब्त दस्तावेजों को दिल्ली सरकार को वापस लौटा दे। कोर्ट ने सीबीआई पर सख्त टिप्पणी भी की थी। इस फैसले को सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
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