नई दिल्ली:
दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किए गए आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को 'बचाने' के उद्देश्य से लाए गए विधेयक को राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी की नामंजूरी के बाद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नए सिरे से हमला बोलते हुए कहा, "क्या मोदी जी दिल्ली सरकार को काम इसलिए नहीं करने दे रहे हैं, क्योंकि दिल्ली (विधानसभा चुनाव) में मिली हार वह अब तक पचा नहीं पाए हैं..."
दरअसल, राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली सरकार के 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' बिल को नामंजूर किए जाने के साथ ही 'आप' के इन विधायकों के सिर पर सदस्यता रद्द होने की तलवार लटक रही है, और सीएम अरविंद केजरीवाल का आरोप है कि राष्ट्रपति ने यह कदम केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की सिफारिश पर उठाया है।
अन्य राज्यों में भी हैं संसदीय सचिव : केजरीवाल
सीएम ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) या उसके सहयोगी दलों के शासन वाले राज्यों का ज़िक्र करते हुए पूछा, "हरियाणा, नागालैंड, राजस्थान, पंजाब, गुजरात तथा अन्य राज्यों में भी संसदीय सचिव हैं... मोदी जी सिर्फ दिल्ली के संसदीय सचिवों की ही सदस्यता क्यों रद्द करवा रहे हैं...?"
यदि कोई निर्वाचित सदस्य किसी लाभ के पद पर रहता है, तो यह संविधान का उल्लंघन होता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा 'आप' विधायकों को छूट दिए जाने संबंधी बिल को मंजूरी से इंकार कर देने का अर्थ यह हुआ कि उनकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द हो जाएगी, और उनकी सीटों पर नए सिरे से चुनाव होंगे।
"हमारे विधायक बिना धनराशि लिए काम कर रहे थे..."
उधर, अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उनके विधायक बिना कोई धनराशि लिए संसदीय सचिव के रूप में काम कर रहे थे, और 'बिजली आपूर्ति, पानी आपूर्ति, और स्कूलों व अस्पतालों के संचालन की ओर ध्यान दे रहे थे...'
'आप' का यह भी कहना है कि नए सिरे से चुनाव कराए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि मामले पर फैसला निर्वाचन आयोग को करना है। राष्ट्रपति ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेजा था।
सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति के पत्र को दिल्ली सरकार के कानून विभाग के पास भेजा गया है, जो इस पर कानूनी उपाय तलाश करेगा। इसके अलावा 'आप' ने अगले कदमों पर विचार करने के लिए सोमवार को आपातकालीन बैठक भी की थी।
केजरीवाल मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं : बीजेपी
इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजेपी प्रवक्ता सम्बित पात्रा ने कहा, "अरविंद केजरीवाल मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं... पहले कानून पारित किया जाना चाहिए था, और फिर संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने चाहिए थे, लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया..."
कांग्रेस ने भी राष्ट्रपति के निर्णय का स्वागत किया
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, 'हम बेहद खुश हैं कि बिल खारिज कर दिया गया...' उन्होंने 'आप' पर आरोप भी लगाया कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति सिर्फ 'सुविधाएं और लाभ पाने' के लिए की गई थी।
दरअसल, राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली सरकार के 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' बिल को नामंजूर किए जाने के साथ ही 'आप' के इन विधायकों के सिर पर सदस्यता रद्द होने की तलवार लटक रही है, और सीएम अरविंद केजरीवाल का आरोप है कि राष्ट्रपति ने यह कदम केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की सिफारिश पर उठाया है।
अन्य राज्यों में भी हैं संसदीय सचिव : केजरीवाल
सीएम ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) या उसके सहयोगी दलों के शासन वाले राज्यों का ज़िक्र करते हुए पूछा, "हरियाणा, नागालैंड, राजस्थान, पंजाब, गुजरात तथा अन्य राज्यों में भी संसदीय सचिव हैं... मोदी जी सिर्फ दिल्ली के संसदीय सचिवों की ही सदस्यता क्यों रद्द करवा रहे हैं...?"
यदि कोई निर्वाचित सदस्य किसी लाभ के पद पर रहता है, तो यह संविधान का उल्लंघन होता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा 'आप' विधायकों को छूट दिए जाने संबंधी बिल को मंजूरी से इंकार कर देने का अर्थ यह हुआ कि उनकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द हो जाएगी, और उनकी सीटों पर नए सिरे से चुनाव होंगे।
"हमारे विधायक बिना धनराशि लिए काम कर रहे थे..."
उधर, अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उनके विधायक बिना कोई धनराशि लिए संसदीय सचिव के रूप में काम कर रहे थे, और 'बिजली आपूर्ति, पानी आपूर्ति, और स्कूलों व अस्पतालों के संचालन की ओर ध्यान दे रहे थे...'
'आप' का यह भी कहना है कि नए सिरे से चुनाव कराए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि मामले पर फैसला निर्वाचन आयोग को करना है। राष्ट्रपति ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेजा था।
सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति के पत्र को दिल्ली सरकार के कानून विभाग के पास भेजा गया है, जो इस पर कानूनी उपाय तलाश करेगा। इसके अलावा 'आप' ने अगले कदमों पर विचार करने के लिए सोमवार को आपातकालीन बैठक भी की थी।
केजरीवाल मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं : बीजेपी
इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजेपी प्रवक्ता सम्बित पात्रा ने कहा, "अरविंद केजरीवाल मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं... पहले कानून पारित किया जाना चाहिए था, और फिर संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने चाहिए थे, लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया..."
कांग्रेस ने भी राष्ट्रपति के निर्णय का स्वागत किया
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, 'हम बेहद खुश हैं कि बिल खारिज कर दिया गया...' उन्होंने 'आप' पर आरोप भी लगाया कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति सिर्फ 'सुविधाएं और लाभ पाने' के लिए की गई थी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी, आम आदमी पार्टी, प्रणब मुखर्जी, ऑफिस ऑफ प्रॉफिट बिल, चुनाव आयोग, Arvind Kejriwal, Narendra Modi, Aam Aadmi Party, Pranab Mukherjee, Office Of Profit Bill, Election Commission