
राजधानी दिल्ली में अब उन जरूरतमंदों को ही आर्थिक सहायता मिलेगी, जो वाकई उसके हकदार हैं. रेखा सरकार ने इसके लिए एक प्रभावी और विशेष निर्णय लिया है. सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता पाने वाले लाभार्थियों के वार्षिक सत्यापन को मंजूरी दी है. इस महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभग छह लाख लाभार्थियों को दी जा रही सामाजिक कल्याण योजनाओं की आर्थिक सहायता में पारदर्शिता और दक्षता को और मजबूत करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी सहायता वास्तविक और पात्र व्यक्तियों तक ही पहुंचे.
लाभार्थी की पूरी जानकारी इकट्ठा होगी
दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने पिछले दिनों इसे मंजूरी प्रदान की थी. इस आशय की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि समाज कल्याण की विभिन्न योजनाओं के तहत लाखों जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता दी जा रही है. सरकार इन योजनाओं में प्रभावी पारदर्शिता चाहती है, इसके लिए लाभार्थियों का वार्षिक सत्यापन कराने का निर्णय लिया गया है. इस प्रक्रिया को संचालित करने के लिए विभाग ने सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (CSC SPV) के साथ साझेदारी की है. यह संस्था भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा प्रोत्साहित एक विशेष प्रयोजन वाहन है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस सत्यापन अभियान के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण किया जाएगा तथा उनका जीवन प्रमाणपत्र (Life Certificate) तैयार किया जाएगा. साथ ही लाभार्थियों के जीवंत फोटोग्राफ, आधार विवरण, मोबाइल नंबर और पता भी इकट्ठा किया जाएगा. इन सभी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जाएगा और विभाग के डेटाबेस को नवीनतम जानकारी के साथ अपडेट किया जाएगा. जिन लाभार्थियों के लिए सीएससी केंद्रों तक पहुंचना संभव नहीं होगा, उनके लिए घर-घर सत्यापन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी. इसके अतिरिक्त, लाभार्थियों की शिकायतों के जल्द निवारण के लिए एक कॉल सेंटर और हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी. सत्यापन पूरा होने के बाद प्रत्येक लाभार्थी को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान पत्र (सॉफ्ट कॉपी) जारी किया जाएगा.
सारा खर्च सरकार वहन करेगी
मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि इस योजना के तहत वित्तीय प्रावधान भी सुनिश्चित किए गए हैं. सीएससी केंद्रों पर सत्यापन का शुल्क 70 रुपये प्रति लाभार्थी निर्धारित किया गया है, जबकि घर-घर सत्यापन के लिए 100 रुपये प्रति लाभार्थी खर्च किया जाएगा. इस अभियान के तहत प्रति वर्ष लगभग 6 लाख लाभार्थियों का सत्यापन किया जाएगा, जिसके लिए करीब 5.57 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यय प्रस्तावित है. यह राशि वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट आवंटन से वहन की जाएगी. यानी सारा खर्च सरकार वहन करेगी.
मुख्यमंत्री के अनुसार इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक और पात्र लाभार्थियों को ही सहायता प्राप्त हो तथा वे व्यक्ति जो अब इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं हैं या जिनका निधन हो चुका है, उन्हें स्वचालित रूप से इस सूची से बाहर कर दिया जाए. इस प्रक्रिया से फर्जी दावों, अयोग्य लाभार्थियों और मृत व्यक्तियों के नाम पर जारी भुगतानों को समाप्त करने में मदद मिलेगी. इससे न केवल सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि सामाजिक न्याय और पारदर्शिता की दिशा में भी एक सशक्त कदम सिद्ध होगा. उन्होंने कहा कि यह सत्यापन अभियान शीघ्र ही प्रारंभ किया जाएगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं