नई दिल्ली:
जेएनयू के छात्रों की भूख हड़ताल के करीब दो हफ्ते होने जा रहे हैं। कई छात्रों की तबीयत बिगड़ चुकी है। जेएनयू के शिक्षक भी उनके समर्थन में खड़े हैं। लेकिन इन सबके बावजूद टकराव नहीं टल रहा। इन छात्रों के समर्थन में जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन जारी है। मंगलवार को कई दलों के नेता भी इन छात्रों के समर्थन में पहुंचा।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, "जेएनयू के वाइस चांसलर सरकार के पिठ्ठू हो गए हैं। वो एक स्वतंत्र प्रशासक की तरह काम नहीं कर रहे हैं।" जेडीयू सासंद अली अनवर ने कहा, "सरकार का रवैया विश्विद्यालयों के खिलाफ हो गया है। इसमें छात्र फंस गए हैं।"
दरअसल जेएनयू छात्रसंघ के नेताओं की भूख हड़ताल को लेकर जेएनयू समुदाय और वाइस चांसलर आमने-सामने आ गए हैं और ये मसला अब सरकार के सामने एक चुनौती बनता दिख रहा है। छात्रों की भूख हड़ताल के 14 दिन हो गए हैं। उनकी मांग है कि 9 फरवरी की घटना को लेकर सुनाई गई सजा रद्द की जाए। जंतर-मंतर के इस विरोध प्रदर्शन में लेफ्ट की अलग-अलग आवाजें भी एकजुट हुईं। सीपीआई नेता अतुल अंजान और आईडवा की कविता कृष्णन दोनों ने प्रदर्शन में भाग लेकर अपना विरोध जताया।
अब धीरे-धीरे जेएनयू का मामला विश्वविद्यालयों में बढ़ते असंतोष का आईना होता जा रहा है। हैदराबाद और इलाहाबाद से लेकर जेएनयू तक चल रहे इस विरोध प्रदर्शन ने सरकार के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। छात्रों के समर्थन में खड़े संगठनों ने राष्ट्रपति को एक मेमोरंडम भी दिया और सजा रद्द करने की मांग की है।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, "जेएनयू के वाइस चांसलर सरकार के पिठ्ठू हो गए हैं। वो एक स्वतंत्र प्रशासक की तरह काम नहीं कर रहे हैं।" जेडीयू सासंद अली अनवर ने कहा, "सरकार का रवैया विश्विद्यालयों के खिलाफ हो गया है। इसमें छात्र फंस गए हैं।"
दरअसल जेएनयू छात्रसंघ के नेताओं की भूख हड़ताल को लेकर जेएनयू समुदाय और वाइस चांसलर आमने-सामने आ गए हैं और ये मसला अब सरकार के सामने एक चुनौती बनता दिख रहा है। छात्रों की भूख हड़ताल के 14 दिन हो गए हैं। उनकी मांग है कि 9 फरवरी की घटना को लेकर सुनाई गई सजा रद्द की जाए। जंतर-मंतर के इस विरोध प्रदर्शन में लेफ्ट की अलग-अलग आवाजें भी एकजुट हुईं। सीपीआई नेता अतुल अंजान और आईडवा की कविता कृष्णन दोनों ने प्रदर्शन में भाग लेकर अपना विरोध जताया।
अब धीरे-धीरे जेएनयू का मामला विश्वविद्यालयों में बढ़ते असंतोष का आईना होता जा रहा है। हैदराबाद और इलाहाबाद से लेकर जेएनयू तक चल रहे इस विरोध प्रदर्शन ने सरकार के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। छात्रों के समर्थन में खड़े संगठनों ने राष्ट्रपति को एक मेमोरंडम भी दिया और सजा रद्द करने की मांग की है।
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