हैरिटेज मेट्रो का ट्रायल रन शुरू हुआ.
नई दिल्ली:
आईटीओ से कश्मीरी गेट तक करीब पांच किलोमीटर लंबी हेरीटेज टनल पर ट्रायल रन शुरू हो गया है. इस सुरंग को बनाने में डीएमआरसी को पांच साल से ज्यादा वक्त लग गया. इस इलाके में जामा मस्जिद, सुनहरी मस्जिद, लाल किला जैसी कई ऐतिहासिक इमारतों के साथ पुरानी दिल्ली के नीचे से यह सुरंग गुजरी है. डीएमआरसी का दावा है कि पूरी दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी सारी ऐतिहासिक इमारतों के नीचे से सुरंग खोदी गई है. इस दृष्टि से डीएमआरसी ने एक नया इतिहास रचा है.
वर्ष 2011 में शुरू किया गया था निर्माण
वर्ष 2011 में इस सुरंग का निर्माण शुरू किया गया लेकिन पहले दो साल पुरातत्व विभाग से सारे क्लियरेंस लेने में लग गए. जब किसी तरह क्लियरेंस मिले तो जमीन के नीचे बिना कंपन के टनल बनाना बड़ी चुनौती थी. जिस टनल बोरिंग मशीन ने दिल्ली में सौ किमी से ज्यादा लंबी सुरंग खोद डाली वह मशीन पांच किमी की इस सुरंग में दो बार फंसी. एक बार गोलचा सिनेमा के नीचे सुरंग बनाने के दौरान एक बड़ी सी चट्टान आ गई, जिसके चलते यह मशीन उसमें फंस गई. इससे निपटने के लिए पहले इंजीनियरों ने इस चट्टान में एक पतली सी सुरंग बनाई फिर उसमें मजदूरों ने घुसकर गैस कटर से इस पूरे पत्थर को तोड़ा.
कानूनी अड़चन आने पर रूट बदलना पड़ा
टनल में मशीन के फंसने के अलावा कई बार रूट को भी बदलना पड़ा. डीएमआरसी के प्रवक्ता अनुज दयाल बताते हैं कि जब सुरंग का काम लाल किले के करीब पहुंचा तो एक नया कानून सामने आ गया जिसके मुताबिक हमें अंतिम समय में कहा गया कि लाल किले की बाहरी दीवार से सौ मीटर दूर उन्हें सुरंग बनाना है. इसकी वजह से मेट्रो स्टेशन के करीब रूट में बदलाव हुआ.
खुदाई में कंपन न्यूनतम करने की चुनौती
इसी तरह इस रूट पर पड़ने वाले खूनी दरवाजे के नीचे से जब सुरंग बनाने की कोशिश कि गई तो इस पुराने ढांचे को बचाने के लिए कंपन को बिल्कुल न्यूनतम किया गया. टनल को बनाने में मेट्रो कारपोरेशन ने दो हजार लोगों को कई दिनों तक होटलों में रुकवाया. सैकड़ों जर्जर मकानों की मरम्मत कराई तब जाकर इस टनल का काम पूरा हो पाया है. डीआरसी ने दावा किया है कि पूरी दुनिया में इतनी ऐतिहासिक इमारतों के नीचे इस सुरंग को खोदकर उसने एक नया इतिहास रचा है.
अक्टूबर में शुरू हो जाएगी मेट्रो लाइन
इस टनल पर मेट्रो का ट्रायल शुरू हो गया है. इसी साल अक्टूबर तक आईटीओ से कश्मीरी गेट तक मेट्रो चलने लगेगी. इसके बाद वायलेट लाइन यानि एस्कॉर्ट मुजेसर से लेकर कश्मीरी गेट तक मेट्रो चलने लगेगी. इससे रोजाना करीब बीस हजार से पचास हजार यात्रियों को सुविधा मिलेगी. आईटीओ के बाद दिल्ली गेट, जामा मस्जिद, लाल किला और कश्मीरी गेट जैसे स्टेशन पड़ेंगे. इस रूट पर पांच ऐसे स्टेशन पड़ेंगे जहां से आप दूसरे रूटों के लिए मेट्रो ले सकते हैं.
वर्ष 2011 में शुरू किया गया था निर्माण
वर्ष 2011 में इस सुरंग का निर्माण शुरू किया गया लेकिन पहले दो साल पुरातत्व विभाग से सारे क्लियरेंस लेने में लग गए. जब किसी तरह क्लियरेंस मिले तो जमीन के नीचे बिना कंपन के टनल बनाना बड़ी चुनौती थी. जिस टनल बोरिंग मशीन ने दिल्ली में सौ किमी से ज्यादा लंबी सुरंग खोद डाली वह मशीन पांच किमी की इस सुरंग में दो बार फंसी. एक बार गोलचा सिनेमा के नीचे सुरंग बनाने के दौरान एक बड़ी सी चट्टान आ गई, जिसके चलते यह मशीन उसमें फंस गई. इससे निपटने के लिए पहले इंजीनियरों ने इस चट्टान में एक पतली सी सुरंग बनाई फिर उसमें मजदूरों ने घुसकर गैस कटर से इस पूरे पत्थर को तोड़ा.
कानूनी अड़चन आने पर रूट बदलना पड़ा
टनल में मशीन के फंसने के अलावा कई बार रूट को भी बदलना पड़ा. डीएमआरसी के प्रवक्ता अनुज दयाल बताते हैं कि जब सुरंग का काम लाल किले के करीब पहुंचा तो एक नया कानून सामने आ गया जिसके मुताबिक हमें अंतिम समय में कहा गया कि लाल किले की बाहरी दीवार से सौ मीटर दूर उन्हें सुरंग बनाना है. इसकी वजह से मेट्रो स्टेशन के करीब रूट में बदलाव हुआ.
खुदाई में कंपन न्यूनतम करने की चुनौती
इसी तरह इस रूट पर पड़ने वाले खूनी दरवाजे के नीचे से जब सुरंग बनाने की कोशिश कि गई तो इस पुराने ढांचे को बचाने के लिए कंपन को बिल्कुल न्यूनतम किया गया. टनल को बनाने में मेट्रो कारपोरेशन ने दो हजार लोगों को कई दिनों तक होटलों में रुकवाया. सैकड़ों जर्जर मकानों की मरम्मत कराई तब जाकर इस टनल का काम पूरा हो पाया है. डीआरसी ने दावा किया है कि पूरी दुनिया में इतनी ऐतिहासिक इमारतों के नीचे इस सुरंग को खोदकर उसने एक नया इतिहास रचा है.
अक्टूबर में शुरू हो जाएगी मेट्रो लाइन
इस टनल पर मेट्रो का ट्रायल शुरू हो गया है. इसी साल अक्टूबर तक आईटीओ से कश्मीरी गेट तक मेट्रो चलने लगेगी. इसके बाद वायलेट लाइन यानि एस्कॉर्ट मुजेसर से लेकर कश्मीरी गेट तक मेट्रो चलने लगेगी. इससे रोजाना करीब बीस हजार से पचास हजार यात्रियों को सुविधा मिलेगी. आईटीओ के बाद दिल्ली गेट, जामा मस्जिद, लाल किला और कश्मीरी गेट जैसे स्टेशन पड़ेंगे. इस रूट पर पांच ऐसे स्टेशन पड़ेंगे जहां से आप दूसरे रूटों के लिए मेट्रो ले सकते हैं.
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