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बीजेपी और AAP के लिए MCD वार्ड और स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव क्यों है प्रतिष्ठा का सवाल

MCD Standing Committee Election: दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर के आलावा स्टैंडिंग कमेटी भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन का पद होता है, उसी के पास असली पावर होता है और यही कारण है कि राजनीति दल स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव जीतने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं.

बीजेपी और AAP के लिए MCD वार्ड और स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव क्यों है प्रतिष्ठा का सवाल
दिल्ली नगर निगम
नई दिल्ली:

दिल्ली नगर निगम (MCD) की दिल्ली वार्ड समिति और स्टैंडिंग कमेटी के लिए चुनाव बुधवार को एजेंसी के मुख्यालय में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में कराए गए. ये चुनाव 2022 में एमसीडी के एकीकरण के बाद से ही लंबित थे. MCD की स्टैंडिंग कमेटी काफी ताकतवर मानी जाती है. स्टैंडिंग कमेटी दिल्ली नगर निगम की सबसे शक्तिशाली कमेटी है. इसके चुनाव के लिए दिल्ली की मेयर और उपराज्यपाल आमने-सामने आ गए थे. यह चुनाव सभी पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है. 

किस जोन में किसके पास कितने सदस्य?
 

पार्टी का नामबीजेपी       'आप'कांग्रेस 
नरेला जोन794
सिविल लाइंस जोन8141
केशवपुरम1320
सिटी एसपी जोन2100
करोल बाग जोन2100
पश्चिमी जोन5200

नजफगढ़ जोन1381
मध्य जोन13102
दक्षिणी जोन7151

शाहादरा द.जोन1781
शाहादरा उ.जोन181214

इसके अलावा मनोनीत 2 है और निर्दलीय 1 है

इसका चुनाव लगभग डेढ़ साल से अटका हुआ था, क्योंकि दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के उसे आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने अपनी तरफ से 10 पार्षद दिल्ली नगर निगम में मनोनीत कर दिए थे. अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि यह उपराज्यपाल का ही अधिकार है कि 10 पार्षद नगर निगम में मनोनीत करें. इसके बाद 23 अगस्त को दिल्ली की मेयर डॉक्टर शैली ओबेरॉय ने जोन अध्यक्ष, जोन उपाध्यक्ष और जोन से स्टैंडिंग कमेटी सदस्य के चुनाव कराने के निर्देश दिए.लेकिन चुनाव के लिए औपचारिक नोटिफिकेशन निगम सचिव की तरह से 28 अगस्त को किया गया, जिसमें कहा गया की 30 अगस्त तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे और चार सितंबर को चुनाव होगा.

मेयर ने 3 सितंबर की रात को निगम आयुक्त अश्वनी कुमार को चिट्ठी लिखकर बताया कि वो इन चुनावों के लिए पीठासीन अधिकारी घोषित नहीं कर सकती हैं, क्योंकि चुनाव लड़ने के इच्छुक पार्षदों को अपना नामांकन दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया. लेकिन उपराज्यपाल कार्यालय और निगम आयुक्त को भी शायद इस बात का अंदाजा था कि मेयर इस तरह का कोई कदम उठा सकती हैं. मेयर की तरफ से चिट्ठी जारी किए जाने के कुछ देर बाद ही उपराज्यपाल के निर्देश पर निगम आयुक्त अश्वनी कुमार ने सभी जोन के डिप्टी कमिश्नरों को पीठासीन अधिकारी घोषित किया. उन्होंने उन्हें चुनाव के लिए आगे बढ़ने का निर्देश दिया. इस पर निगम सचिव ने बुधवार को चुनाव कराए जाने का आदेश जारी किया. 

जोन चेयरमैन, जोन डिप्टी चेयरमैन और स्टैंडिंग कमेटी सदस्य के चुनाव में पीठासीन अधिकारी घोषित करना मेयर का अधिकार है. लेकिन बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के पास यह अधिकार है कि अगर MCD में कोई काम अधूरा है या ठीक से नहीं हो रहा या उपयुक्त निर्देश देने की जरूरत है तो केंद्र सरकार ऐसा कर सकती है. इसी के तहत केंद्र सरकार के प्रतिनिधि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एमसीडी कमिश्नर पीठासीन अधिकारी घोषित करने का निर्देश दिया. 

गुप्त मतदान के जरिए होता है चुनाव 
फिलहाल दिल्ली की 12 जोन में से 7 बीजेपी के पास और 5 आम आदमी पार्टी के पास हैं. वहीं, सदन में 6 में से 3 और 2 बीजेपी के पास है. इस चुनाव में पार्षद 12 क्षेत्रीय स्तर की वार्ड समितियों में से 10 के लिए एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष और एमसीडी की सबसे बड़ी निर्णय लेने वाली संस्था स्थायी समिति में एक-एक सदस्य को चुनने के वास्ते मतदान करेंगे. दिल्ली नगर निगम विनियम, 1958 के अनुपालन में गुप्त मतदान के जरिए चुनाव होना है.

क्या होता है स्टैंडिंग कमेटी?
दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर के आलावा स्टैंडिंग कमेटी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन का पद होता है, उसी के पास असली पावर होती है. यही कारण है कि राजनीति दल स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव जीतने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. स्थाई समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं, जो 12 जोन से चुनकर आते हैं. साथ ही 6 सदस्यों का चुनाव सदन में होता है.

स्टैंडिंग कमेटी के पास कितना पावर?
दिल्ली एमसीडी में कॉर्पोरेशन का कामकाज और प्रबंधन का काम  स्टैंडिंग कमेटी ही करती है. स्टैंडिंग कमेटी ही प्रोजेक्ट्स को वित्तीय मंजूरी देती है. स्टैंडिंग कमेटी MCD की यह मुख्य फैसला लेने वाला समूह होता है.

क्या होती हैं वार्ड कमेटियां?
वार्ड कमेटियां दिल्ली नगर निगम में सर्वोच्च होता है, जहां पर नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं. दिल्ली में समस्याओं और नीतियों को बनाने के लिए निगम क्षेत्र को 12 लोकल वार्ड कमेटियों में बांटा गया है. पार्षद अपने वार्ड की समस्या को उठाते हैं. 15 दिन पर वार्ड कमेटियों की बैठक होती है.

'आप' के लिए क्यों अहम है वार्ड कमेटी का चुनाव
दिल्ली नगर निगम में वार्ड कमेटी सत्ताधारी दल के लिए काफी अहम माना जाता है. वार्ड कमेटी जीतने के बाद पार्टी क्षेत्रीय स्तर पर उन फैसले को लागू कर सकती है, जो फैसले मुख्यालय स्तर पर होते हैं. बता दें कि दिल्ली नगर निगम की सत्ता पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है.

क्या है पूरा मामला और चुनाव में क्यों हुई देरी
बीते 24 फरवरी को एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी के लिए 6 सदस्यों के लिए वोट डाले गए थे.  वोट डालने के बाद वोटों की गिनती हुई और जब मेयर नतीजों का ऐलान कर रही थी तो बीजेपी पार्षद विरोध करते हुए मंच पर चढ़ गए और जबरदस्त हंगामा और मारपीट देखने को मिली. इसके बाद मेयर ने उन चुनावों को रद्द करके नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा की थी. इस फैसले के खिलाफ दो बीजेपी पार्षद शिखा राय और कमलजीत सहरावत दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गई. दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के लिए नए सिरे से चुनाव कराने के मेयर फैसले को खारिज कर दिया है.

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