
दिल्ली में मच्छरों से लड़ाई ठप पड़ गई है. डेंगू और मलेरिया से जूझती राजधानी में अब वो योद्धा ही मैदान से बाहर हैं, जो घर-घर जाकर लार्वा खोजते हैं और मलेरिया के रोकथाम की सबसे अहम कड़ी माने जाते हैं. एमसीडी के डॉमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर (DBC) और मल्टी टास्किंग स्टाफ (MTS) कर्मचारी पिछले 11 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.
संविदा कर्मचारी समान काम का समान वेतन, मेडिकल और अर्जित अवकाश जैसी मांगों को लेकर एमसीडी मुख्यालय के बाहर गेट नंबर 5 पर धरने पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब तक निगम प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक हड़ताल खत्म नहीं होगी.

इसी बीच, दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की बैठक में यह मुद्दा गरमाया. समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने कहा कि निगम इन कर्मचारियों के साथ है. उनकी जायज मांगों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की रोकथाम में उनका अमूल्य योगदान है.
बैठक में मेयर राजा इकबाल भी मौजूद रहे. नेता प्रतिपक्ष और आम आदमी पार्टी के पार्षद अंकुश नारंग ने निगम पर लापरवाही का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “दिल्ली डेंगू से त्रस्त है और बीजेपी मस्त है.” नारंग ने कर्मचारियों की सभी मांगों को जायज बताया और कहा कि इसे प्राइवेट बिल नहीं, बल्कि कमिश्नर की ओर से सरकारी प्रस्ताव के रूप में लाया जाना चाहिए.

इस बीच, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और कई विधायक व पार्षद भी हड़ताल स्थल पर पहुंचे. संजय सिंह ने कहा, “11 दिन से कर्मचारी हड़ताल पर हैं, न सीएम मिलने आईं, न मेयर. समान काम का समान वेतन देना होगा. मैं संसद सत्र में यह मुद्दा उठाऊंगा.”

कर्मचारियों का साफ कहना है कि जब तक समान वेतन जैसी उनकी मांगों और कोर्ट के आदेशों के पालन पर फैसला नहीं होता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी. वहीं, एमसीडी का कहना है कि कर्मचारियों की भूमिका मलेरिया और डेंगू की रोकथाम में अहम है और निगम इस पर गंभीरता से काम कर रहा है.
लेकिन सवाल यह है कि जब ये फ्रंटलाइन वॉरियर्स ही मैदान से बाहर हैं तो क्या दिल्ली मच्छर जनित बीमारियों के बढ़ते खतरे से खुद को बचा पाएगी?फिलहाल जब तक ये कर्मचारी हड़ताल पर हैं, दिल्ली को अपनी सेहत की जंग खुद ही लड़नी होगी.
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