प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
चचेरे भाई के किए तेजाब हमले से पीडि़त युवक को दिल्ली की एक अदालत ने 12 लाख रुपए के मुआवज़ा दिए जाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि अधिकारों की आड़ में कसूरवार तो खुला घूम रहा है लेकिन पीड़ित जिंदी भर का दंश झेलने के लिए मजबूर है। अपनी बात पूरी करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तेजाब आसानी से उपलब्ध है और इसका बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है।
2005 की घटना
गौरतलब है कि सराय रोहिल्ला के रहने वाले विपिन जैन ने जनवरी 2005 में अपने दोस्त के साथ बाजार जा रहे योगेश पर तेजाब फेंक दिया था। विपिन ने योगेश को पीछे से आवाज दी और जब वह मुड़ा तो विपिन ने उस पर तेजाब फेंका दिया। तेजाब से योगेश का चेहरा, उसकी दाहिनी आंख और शरीर के अन्य हिस्से गंभीर रूप से झुलस गए। अब अदालत ने विपिन से योगेश को 12 लाख रुपए का मुआवज़ा देने का आदेश दिया है।
फैसला सुनाने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने कहा कि मामला इस बात के चलते और बदतर हो जाता है कि पीड़ितों के लिए मुफ्त इलाज, पुनर्वास और पर्याप्त मुआवजा योजना की पूरी तरह से कमी है। अदालत ने राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो रिकॉर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि तेजाब के 75 से 80 फीसदी केस महिलाओं के साथ होते हैं। साथ ही यह दुखद है कि हमारा देश, खासकर दिल्ली ऐसे हमलों के लिए हमेशा से ही केंद्र बिंदु रहा है और एनसीबीआर की साल 2010 से आती रिपोर्ट के आधार पर इस तथ्य को बल मिलता है।
2005 की घटना
गौरतलब है कि सराय रोहिल्ला के रहने वाले विपिन जैन ने जनवरी 2005 में अपने दोस्त के साथ बाजार जा रहे योगेश पर तेजाब फेंक दिया था। विपिन ने योगेश को पीछे से आवाज दी और जब वह मुड़ा तो विपिन ने उस पर तेजाब फेंका दिया। तेजाब से योगेश का चेहरा, उसकी दाहिनी आंख और शरीर के अन्य हिस्से गंभीर रूप से झुलस गए। अब अदालत ने विपिन से योगेश को 12 लाख रुपए का मुआवज़ा देने का आदेश दिया है।
फैसला सुनाने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने कहा कि मामला इस बात के चलते और बदतर हो जाता है कि पीड़ितों के लिए मुफ्त इलाज, पुनर्वास और पर्याप्त मुआवजा योजना की पूरी तरह से कमी है। अदालत ने राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो रिकॉर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि तेजाब के 75 से 80 फीसदी केस महिलाओं के साथ होते हैं। साथ ही यह दुखद है कि हमारा देश, खासकर दिल्ली ऐसे हमलों के लिए हमेशा से ही केंद्र बिंदु रहा है और एनसीबीआर की साल 2010 से आती रिपोर्ट के आधार पर इस तथ्य को बल मिलता है।
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