दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने अब सरकारी विभागों में अस्थायी (कॉन्ट्रैक्ट) कर्मचारियों को निजी एजेंसियों के जरिए नहीं रखेगी. सरकार ने इसको लेकर दो बड़े फैसले लिए हैं. सबसे पहले इन कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन 9500 से बढ़ाकर 14000 किया गया है. इतना ही नहीं न्यूनतम वेतन निर्धारण के बाद डायरेक्ट अकाउंट पेमेंट को भी जरूरी बनाया गया है. दिल्ली सरकार ने यह फैसला कमजोर कानून को ध्यान में रखकर बदलाव किए हैं. अगर कोई निगम उल्लंघन करता है तो उसे 6 महीने से लेकर 3 साल तक की सजा और 50 हज़ार जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
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आपको बता दें कि 14 नवम्बर को दिल्ली एडवाइजरी लेबर बोर्ड का गठन हुआ था. 13 लोगों के इस बोर्ड में दो विधायक भी सदस्य हैं. इस बोर्ड की पांचवीं बैठक में तीन स्टडी ग्रुप बनाए गए. तीनों ने अपनी रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी जिसके बाद तथ्यों के आधार पर पहला बोर्ड ने फैसला लिया कि दिल्ली सरकार में जितने कर्मी ठेकदार के माध्यम से काम कर रहे हैं उसे खत्म किया जाएं और सभी डिपार्टमेंट डायरेक्ट उनसे काम लेगा यानी डायरेक्ट भर्ती की जाएगी.
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बोर्ड के फैसले के बाद सबसे पहले तो कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी मिलेगी और पीएफ भी मिलेगा. इस फैसले से सरकार को घाटा होगा, लेकिन सरकार 10 फीसदी कमीशन जो एजेंसी को देती थी और 10 फीसदी जो जीएसटी जाता था उसमें कमी आएगी. दूसरा सभी विभागों में लेबर वेलफेयर अफसर नियुक्त होंगे.
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