मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ इलियास आजमी (फाइल फोटो)।
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारणी और पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्य इलियास आज़मी का कहना है कि 'आम आदमी पार्टी मुसलमानों के साथ पिछड़ों और दलितों के मसले पर कभी गंभीर नहीं रही। पार्टी ने मुसलमानों के जज़्बात के साथ खेलकर दिल्ली में उनका वोट लिया। सत्ता में आने के बाद वह मुसलमानों को इस्तेमाल करने की नीति की तरफ बढ़ रही है।'
NDTV इंडिया से फोन पर हुई बातचीत में आजमी ने आरोप लगाया कि 'आप ने सत्ता हासिल करने के बाद बाटला हाउस मामले की जांच कराने से साफ मना कर दिया। मैं आज भी अपनी दिल्ली सरकार से मांग करता हूं कि बाटला हाउस मामले की न्यायिक जांच कराए जाने की पहल करनी चाहिए। मैं आखिरी सांस तक बाटला हाउस मामले के लिए लड़ूंगा। मैंने सियासत में कभी ईमान नहीं बेचा है और न कभी बेचूंगा।'
बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी था
इलियास आज़मी कहते हैं कि 'जब भी मैंने बाटला हाउस या मुसलमानों के साथ पिछड़ों, दलितों के मसले मीटिंग में उठाए, कुछ देर खामोशी छा जाती थी, उसके बाद पूरे मामले को घुमा दिया जाता था। यह सिर्फ एक खास व्यक्तित्व वाले इंसान को प्रभावित करने के लिए होता था। मैं आज भी कहता हूं कि बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी था। यह मामला देश के करोड़ों मुसलमानों से जुड़ा है। उनको आज भी मामले का सच जानने का बेसब्री से इंतज़ार है। मुसलमानों को आतंकवादी साबित करने वालों की साजिश से सावधान रहने की जरूरत है।'
पार्टी की गतिविधियों से आहत
चार माह से पार्टी की गतिविधियों से दूर उत्तर प्रदेश की सियासत में सक्रिय इलियास आज़मी कहते हैं कि 'मैं पार्टी गतिविधियों से बहुत आहत हूं, इसलिए पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में बुलाने के बाद भी नहीं गया। टीएसी की मीटिंग होती नहीं है। उत्तर प्रदेश को समाजवादी पार्टी और बसपा 15-20 सालों से लूट रही हैं। पूरे राज्य में मैंने दौरा किया। अवाम इनके कामों से परेशान है। उसे भ्रष्टाचार से लड़ने वाली पार्टी आप की पहल का इंतज़ार था, लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में पार्टी को दिलचस्पी नहीं दिखती। पार्टी की सिर्फ हिमाचल, पंजाब सहित दिल्ली के चुनावों में दिलचस्पी है।
आप भी अन्य दलों की राह पर
मुसलमानों के बुरे हालात पर अफसोस जाहिर करते हुए आजमी कहते हैं कि 'देश के मुसलमानों का किसी भी दल को दिया गया एकतरफा वोट भी घातक होता है। पार्टियां समझती हैं कि अब मुसलमान कहां जाएगा। यही वजह है कि उनको सत्ता के दौरान पूरी तरह छला जाता है।' आप के संस्थापक सदस्य ने कहा कि 'जात-पात और पार्टियों के अंदर के ताने-बाने को खत्म करने के लिए ही आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था। अब पार्टी भी उसी रास्ते पर बढ़ रही है जिसको मिटाने के लिए उसका जन्म हुआ था। पार्टी में सीनियर नेताओं की इज्जत होती है लेकिन होता वही है जो मालिक की मर्ज़ी होती है।'
कांग्रेस-भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू
कांग्रेस और भाजपा को एक सिक्के के दो पहलू बताते हुए उन्होंने कहा कि 'सन 1925 में कांग्रेस के एक बड़े नेता थे डॉ केशव बलिराम हेडगेवार। उन्होंने कांग्रेस की मदद से आरएसएस की बुनियाद रखी थी। सन 1950 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी खुद जवाहरलाल नेहरू की सरपरस्ती में बनी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर थे। उन्होंने बाद में भारतीय जनसंघ की बुनियाद रखी। कांग्रेस और भाजपा की सरकार आपसी तालमेल से चलती रही है। किसी भी बड़े मुद्दे पर आपसी सहमति बनाने में आरएसएस की अहम भूमिका हमेशा से रही है।
NDTV इंडिया से फोन पर हुई बातचीत में आजमी ने आरोप लगाया कि 'आप ने सत्ता हासिल करने के बाद बाटला हाउस मामले की जांच कराने से साफ मना कर दिया। मैं आज भी अपनी दिल्ली सरकार से मांग करता हूं कि बाटला हाउस मामले की न्यायिक जांच कराए जाने की पहल करनी चाहिए। मैं आखिरी सांस तक बाटला हाउस मामले के लिए लड़ूंगा। मैंने सियासत में कभी ईमान नहीं बेचा है और न कभी बेचूंगा।'
बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी था
इलियास आज़मी कहते हैं कि 'जब भी मैंने बाटला हाउस या मुसलमानों के साथ पिछड़ों, दलितों के मसले मीटिंग में उठाए, कुछ देर खामोशी छा जाती थी, उसके बाद पूरे मामले को घुमा दिया जाता था। यह सिर्फ एक खास व्यक्तित्व वाले इंसान को प्रभावित करने के लिए होता था। मैं आज भी कहता हूं कि बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी था। यह मामला देश के करोड़ों मुसलमानों से जुड़ा है। उनको आज भी मामले का सच जानने का बेसब्री से इंतज़ार है। मुसलमानों को आतंकवादी साबित करने वालों की साजिश से सावधान रहने की जरूरत है।'
पार्टी की गतिविधियों से आहत
चार माह से पार्टी की गतिविधियों से दूर उत्तर प्रदेश की सियासत में सक्रिय इलियास आज़मी कहते हैं कि 'मैं पार्टी गतिविधियों से बहुत आहत हूं, इसलिए पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में बुलाने के बाद भी नहीं गया। टीएसी की मीटिंग होती नहीं है। उत्तर प्रदेश को समाजवादी पार्टी और बसपा 15-20 सालों से लूट रही हैं। पूरे राज्य में मैंने दौरा किया। अवाम इनके कामों से परेशान है। उसे भ्रष्टाचार से लड़ने वाली पार्टी आप की पहल का इंतज़ार था, लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में पार्टी को दिलचस्पी नहीं दिखती। पार्टी की सिर्फ हिमाचल, पंजाब सहित दिल्ली के चुनावों में दिलचस्पी है।
आप भी अन्य दलों की राह पर
मुसलमानों के बुरे हालात पर अफसोस जाहिर करते हुए आजमी कहते हैं कि 'देश के मुसलमानों का किसी भी दल को दिया गया एकतरफा वोट भी घातक होता है। पार्टियां समझती हैं कि अब मुसलमान कहां जाएगा। यही वजह है कि उनको सत्ता के दौरान पूरी तरह छला जाता है।' आप के संस्थापक सदस्य ने कहा कि 'जात-पात और पार्टियों के अंदर के ताने-बाने को खत्म करने के लिए ही आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था। अब पार्टी भी उसी रास्ते पर बढ़ रही है जिसको मिटाने के लिए उसका जन्म हुआ था। पार्टी में सीनियर नेताओं की इज्जत होती है लेकिन होता वही है जो मालिक की मर्ज़ी होती है।'
कांग्रेस-भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू
कांग्रेस और भाजपा को एक सिक्के के दो पहलू बताते हुए उन्होंने कहा कि 'सन 1925 में कांग्रेस के एक बड़े नेता थे डॉ केशव बलिराम हेडगेवार। उन्होंने कांग्रेस की मदद से आरएसएस की बुनियाद रखी थी। सन 1950 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी खुद जवाहरलाल नेहरू की सरपरस्ती में बनी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर थे। उन्होंने बाद में भारतीय जनसंघ की बुनियाद रखी। कांग्रेस और भाजपा की सरकार आपसी तालमेल से चलती रही है। किसी भी बड़े मुद्दे पर आपसी सहमति बनाने में आरएसएस की अहम भूमिका हमेशा से रही है।
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