दिल्ली के पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्र.
नई दिल्ली:
दिल्ली के जलमंत्री कपिल मिश्रा टैंकर घोटाले का ब्रह्मास्त्र दूसरी बार इस्तेमाल कर रहे हैं. 2016 में जब कपिल मिश्रा से न्याय विभाग लिया गया तब भी कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर टैंकर घोटाले में कार्रवाई की मांग की थी.
इस पत्र में ये भी लिखा था कि इसके चलते मेरा मंत्री पद भी जा सकता है, लेकिन तब इनसे सिर्फ न्याय विभाग लिया गया. जलमंत्री बने रहे. एक साल खामोश रहने के बाद कल सुबह फिर टैंकर घोटाले का जिक्र करने लगे. आखिर टैंकर घोटाला है क्या, आइए समझें.
2006 में दिल्ली सरकार ने स्टील के टैंकर मंगाने का फैसला किया. 400 टैंकर का टेंडर करीब छह सौ करोड़ रुपये में दिया गया. आरोप लगे शीला दीक्षित सरकार पर कि 180 करोड़ का काम 600 करोड़ में करवाया गया. टैंकर में GPS लगाने का ठेका 60 करोड़ में दिया गया. आरोप लगे कि ये काम 15 करोड़ में किया जा सकता था.
आरोप ये भी लगा कि GPS लगाने का काम बिना टेंडर दिया गया. साथ ही किराए पर चलने वाले 3000 लीटर का स्टील टैंकर का किराया 1 लाख 11 हजार रुपए है. जबकि 9000 लीटर टैंकर का किराया 1 लाख 40 हजार रुपए है. आरोप ये भी लग रहे हैं कि इनका किराया भी बहुत ज्यादा है.
इस घोटाले की सबसे पहले शिकायत करने वाले ब्हीसिलब्लोवर इंजीनियर जेपी गौड़ को टर्मिनेट कर दिया गया. सवाल ये उठता है कि कपिल मिश्रा ने टैंकर घोटाले की जांच तो करवाई लेकिन जलमंत्री रहते कार्रवाई क्यों नहीं की. टैंकर कंपनी का ठेका क्यों नहीं रद्द किया गया. बार बार टैंकर घोटाले की फाइल दिखाकर वो क्या साबित करना चाहते हैं.
इस पत्र में ये भी लिखा था कि इसके चलते मेरा मंत्री पद भी जा सकता है, लेकिन तब इनसे सिर्फ न्याय विभाग लिया गया. जलमंत्री बने रहे. एक साल खामोश रहने के बाद कल सुबह फिर टैंकर घोटाले का जिक्र करने लगे. आखिर टैंकर घोटाला है क्या, आइए समझें.
2006 में दिल्ली सरकार ने स्टील के टैंकर मंगाने का फैसला किया. 400 टैंकर का टेंडर करीब छह सौ करोड़ रुपये में दिया गया. आरोप लगे शीला दीक्षित सरकार पर कि 180 करोड़ का काम 600 करोड़ में करवाया गया. टैंकर में GPS लगाने का ठेका 60 करोड़ में दिया गया. आरोप लगे कि ये काम 15 करोड़ में किया जा सकता था.
आरोप ये भी लगा कि GPS लगाने का काम बिना टेंडर दिया गया. साथ ही किराए पर चलने वाले 3000 लीटर का स्टील टैंकर का किराया 1 लाख 11 हजार रुपए है. जबकि 9000 लीटर टैंकर का किराया 1 लाख 40 हजार रुपए है. आरोप ये भी लग रहे हैं कि इनका किराया भी बहुत ज्यादा है.
इस घोटाले की सबसे पहले शिकायत करने वाले ब्हीसिलब्लोवर इंजीनियर जेपी गौड़ को टर्मिनेट कर दिया गया. सवाल ये उठता है कि कपिल मिश्रा ने टैंकर घोटाले की जांच तो करवाई लेकिन जलमंत्री रहते कार्रवाई क्यों नहीं की. टैंकर कंपनी का ठेका क्यों नहीं रद्द किया गया. बार बार टैंकर घोटाले की फाइल दिखाकर वो क्या साबित करना चाहते हैं.
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