 
                                            दिल्ली हाई कोर्ट में टाइपिंग में गलती होने से हत्या के दो मामलों में दोषी एक व्यक्ति रिहा हो गया.
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                नई दिल्ली: 
                                        दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस कर्मियों से हत्या के एक मामले में गवाहों और शिकायतकर्ता के संरक्षण के लिए कहा. इस मामले में दोषी उसकी अपील के निपटारे के दौरान अदालत के फैसले में टाइपिंग संबंधी गलती से रिहा हो गया. न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने दोषी की गिरफ्तारी के निर्देश भी दिए जिसकी रिहाई के लिए उच्च न्यायालय ने 24 दिसंबर 2016 को आदेश दिए थे. यह निर्देश इस मामले में तीन गवाहों की याचिकाओं पर आया.
अदालत ने 14 फरवरी 2017 को दिसंबर के अपने आदेश में संशोधन करते हुए अपने फैसले के ये दो वाक्य हटाए थे कि दोषी को ‘‘जेल में पहले से बिताए 16 साल और 10 महीने के समय के बराबर सजा दी जाती है’’ और ‘‘अगर वह अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो उन्हें रिहा किया जाए.’’
अदालत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने और उच्च न्यायालय को इस बारे में जानकारी देने का भी आदेश दिया था. हालांकि रिहाई के बाद से जितेंद्र लापता था और अब उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस के आयुक्त को उसे जल्द से जल्द हिरासत में लेने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र जितेंद्र को निचली अदालत ने हत्या के एक मामले में 30 साल की सजा सुनाई थी और एक अन्य मामले में उसे मृत्यु तक जेल में बंद रहने की सजा दी गई थी. पहला मामला यहां सत्यवती कालेज के छात्र संघ के अध्यक्ष की हत्या और दूसरा मामला पहले मामले के एक चश्मदीद के पिता की गोली मारकर हत्या करने का है.
(इनपुट भाषा से)
                                                                        
                                    
                                अदालत ने 14 फरवरी 2017 को दिसंबर के अपने आदेश में संशोधन करते हुए अपने फैसले के ये दो वाक्य हटाए थे कि दोषी को ‘‘जेल में पहले से बिताए 16 साल और 10 महीने के समय के बराबर सजा दी जाती है’’ और ‘‘अगर वह अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो उन्हें रिहा किया जाए.’’
अदालत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने और उच्च न्यायालय को इस बारे में जानकारी देने का भी आदेश दिया था. हालांकि रिहाई के बाद से जितेंद्र लापता था और अब उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस के आयुक्त को उसे जल्द से जल्द हिरासत में लेने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र जितेंद्र को निचली अदालत ने हत्या के एक मामले में 30 साल की सजा सुनाई थी और एक अन्य मामले में उसे मृत्यु तक जेल में बंद रहने की सजा दी गई थी. पहला मामला यहां सत्यवती कालेज के छात्र संघ के अध्यक्ष की हत्या और दूसरा मामला पहले मामले के एक चश्मदीद के पिता की गोली मारकर हत्या करने का है.
(इनपुट भाषा से)
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