 
                                            प्रतीकात्मक फोटो.
                                                                                                                        - नोटबंदी से पर्यटक परेशान
- कैश कहां से लाएं, कार्ड कहां चलाएं
- स्वाइप मशीन न होने से होटल संचालक त्रस्त
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        नोटबंदी के महीने भर बाद भी उसकी चुभन कतई कम नहीं हुई है. दूरदराज के गांव देहात में ही नहीं, दिल्ली में भी छोटे कारोबारी परेशान हैं. धंधा मंदा चल रहा है. सरकार ने दो दिन पहले कहा कि बैंक 31 मार्च 2017 तक दस लाख स्वाइप मशीन लगाए. लेकिन बैंकों के पास डिमांड के मुताबिक स्वाइप मशीन नहीं हैं. दूसरी तरफ देश-विदेश से आए सैलानी परेशान हैं कि कैश कहां से लाएं, कार्ड कहां चलाएं.
दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में हमारी मुलाकात आस्ट्रेलिया से आए रॉन और ताइवान से आई वेंडी से हुई. वे गुरुवार को एक ग्लास एग्ज़िबीशन में हिस्सा लेने दिल्ली आए हैं. आठ घंटे से कैश खोज रहे हैं. फूड ज्वाइंट्स पर कार्ड नहीं चल रहा. घबराए हुए रॉन कहते हैं, "हमें कैश कहां से मिलेगा? मैंने ऐसा देश नहीं देखा जहां कैश नहीं है." वेंडी कहती हैं, "हम स्थानीय ट्रांसपोर्ट का पेमेंट कार्ड से नहीं कर सकते. यहां के रिक्शा वालों के पास यह सुविधा नहीं है."
परेशान सिर्फ विदेशी नहीं, देशी पर्यटक भी हैं. उनकी शिकायत है कि 2000 के नए नोट का इस्तेमाल दिल्ली में करना मुश्किल हो रहा है. टैक्सी वाला फुटकर नहीं देता, छोटे-मोटे खर्च के लिए छुट्टे जुटाना मुश्किल हो रहा है.
इसकी सबसे ज्यादा मार होटल मालिकों के भुगतान पर पड़ रही है. पहाड़गंज में होटल चला रहे गगन और शिवम तलवार के यहां इन दिनों आधे से भी कम सैलानी आ रहे हैं. वे कहते हैं स्वाइप मशीन होती तो विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते. इस पीक सीजन में अक्यूपेंसी 80% से 90% तक होती थी लेकिन अभी फिलहाल घटकर 30% से 40% रह गई है. अब नोटबंदी के बाद से दो बैंकों से स्वाइप मशीन लगाने की गुहार लगा चुके हैं. लेकिन बैंक कहते हैं कि अभी 15-20 दिन और लगेंगे.
गगन कहते हैं, "विदेशी टूरिस्ट प्लास्टिक कार्ड से पेमेंट करते हैं. लेकिन हमारे पास स्वाइप मशीन है नहीं. एटीएम हमारे इलाके में चल नहीं रहे. जो विदेशी टूरिस्ट वापस अपने देश गए हैं उन्होंने निगेटिव रिव्यू दिया है. इसके बाद से बड़ी संख्या में विदेशी टूरिस्टों ने बुकिंग कैंसिल कर दी हैं." शिवम कहते हैं हालात सुधरने में छह महीने का वक्त लगेगा. दोनों भाइयों का कहना है कि पेटीएम की अपनी सीमाएं हैं और इससे सीमित ट्रांजेक्शन ही संभव है.
उनकी होटल के पास ही रंजीत का होटल है. वे भी स्वाइप मशीन के लिए 3-4 बैंकों से गुजारिश कर चुके हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "बैंक कहते हैं कि उनके वेंडर्स स्वाइप मशीन की सप्लाई नहीं कर पा रहे. मैं करीब एक महीने से कोशिश कर रहा हूं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है."
जाहिर है, नोटबंदी ने होटल और पर्यटन उद्योग पर खासा असर डाला है.
                                                                        
                                    
                                दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में हमारी मुलाकात आस्ट्रेलिया से आए रॉन और ताइवान से आई वेंडी से हुई. वे गुरुवार को एक ग्लास एग्ज़िबीशन में हिस्सा लेने दिल्ली आए हैं. आठ घंटे से कैश खोज रहे हैं. फूड ज्वाइंट्स पर कार्ड नहीं चल रहा. घबराए हुए रॉन कहते हैं, "हमें कैश कहां से मिलेगा? मैंने ऐसा देश नहीं देखा जहां कैश नहीं है." वेंडी कहती हैं, "हम स्थानीय ट्रांसपोर्ट का पेमेंट कार्ड से नहीं कर सकते. यहां के रिक्शा वालों के पास यह सुविधा नहीं है."
परेशान सिर्फ विदेशी नहीं, देशी पर्यटक भी हैं. उनकी शिकायत है कि 2000 के नए नोट का इस्तेमाल दिल्ली में करना मुश्किल हो रहा है. टैक्सी वाला फुटकर नहीं देता, छोटे-मोटे खर्च के लिए छुट्टे जुटाना मुश्किल हो रहा है.
इसकी सबसे ज्यादा मार होटल मालिकों के भुगतान पर पड़ रही है. पहाड़गंज में होटल चला रहे गगन और शिवम तलवार के यहां इन दिनों आधे से भी कम सैलानी आ रहे हैं. वे कहते हैं स्वाइप मशीन होती तो विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते. इस पीक सीजन में अक्यूपेंसी 80% से 90% तक होती थी लेकिन अभी फिलहाल घटकर 30% से 40% रह गई है. अब नोटबंदी के बाद से दो बैंकों से स्वाइप मशीन लगाने की गुहार लगा चुके हैं. लेकिन बैंक कहते हैं कि अभी 15-20 दिन और लगेंगे.
गगन कहते हैं, "विदेशी टूरिस्ट प्लास्टिक कार्ड से पेमेंट करते हैं. लेकिन हमारे पास स्वाइप मशीन है नहीं. एटीएम हमारे इलाके में चल नहीं रहे. जो विदेशी टूरिस्ट वापस अपने देश गए हैं उन्होंने निगेटिव रिव्यू दिया है. इसके बाद से बड़ी संख्या में विदेशी टूरिस्टों ने बुकिंग कैंसिल कर दी हैं." शिवम कहते हैं हालात सुधरने में छह महीने का वक्त लगेगा. दोनों भाइयों का कहना है कि पेटीएम की अपनी सीमाएं हैं और इससे सीमित ट्रांजेक्शन ही संभव है.
उनकी होटल के पास ही रंजीत का होटल है. वे भी स्वाइप मशीन के लिए 3-4 बैंकों से गुजारिश कर चुके हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "बैंक कहते हैं कि उनके वेंडर्स स्वाइप मशीन की सप्लाई नहीं कर पा रहे. मैं करीब एक महीने से कोशिश कर रहा हूं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है."
जाहिर है, नोटबंदी ने होटल और पर्यटन उद्योग पर खासा असर डाला है.
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