प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली की कठपुतली कॉलोनी में कई परिवार अब अपना घर छोड़कर जाने लगे हैं. सालों से रह रहे इन लोगों के आशियाने
जमींदोज किए जा रहे हैं. बदले में उन्हें आनंद पर्वत के ट्रांजिट कैंप भेजा जा रहा है.
मोहम्मद अयूब का परिवार भी विस्थापित हो रहे परिवारों में से एक है. मोहम्मद अयूब का आशियाना टूट चुका है और वे डीडीए के कहने पर अपना घर खाली कर रहे हैं. उनका कहना है कि यदि डीडीए ने नया मकान नहीं दिया तो वे कोर्ट में जाएंगे.
यहां रहने वाले दिलीप का आशियाना भी तोड़ दिया गया है. अपने चार बच्चों और पत्नी के साथ वे कई दिन से खुले आसमान तले रातें गुजार रहे हैं. दिलीप का कहना है कि मकान खाली करने के लिए उसके पिता ने सहमति दी है जबकि उनका परिवार पिता से अलग रहता है. ऐसे में उनका घर तोड़ना सही नहीं है.
इस कॉलोनी में कई सालों से रह रहे करीब 3000 लोगों में से अब तक करीब 300 लोग ही ट्रांजिट कैंप में शिफ्ट हुए हैं. लोगों का आरोप है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण रहेजा बिल्डर को यह करीब 5 एकड़ जमीन रिहायशी इमारतें बनाने के लिए दे रहा है, लेकिन सरकार उन्हें बसाने की बिना ठोस योजना के उजाड़ रही है.
सामाजिक कार्यकर्ता अमित सिंह का कहना है कि यहां एक परिवार के कई घर हैं लेकिन वहां सरकार एक परिवार को एक ही कमरा दे रही है.
सरकार यहां के लोगों से भारी सुरक्षा के बीच घर खाली करने के लिए सहमति पत्र भरवा रही है, इस आश्वासन के साथ कि उन्हें इसके बदले नए घर मिलेंगे. हालांकि इस बात को लेकर हर कोई परेशान है कि बेघर होने का यह सिलसिला कब और कहां खत्म होगा. उनका कल कैसा होगा.
जमींदोज किए जा रहे हैं. बदले में उन्हें आनंद पर्वत के ट्रांजिट कैंप भेजा जा रहा है.
मोहम्मद अयूब का परिवार भी विस्थापित हो रहे परिवारों में से एक है. मोहम्मद अयूब का आशियाना टूट चुका है और वे डीडीए के कहने पर अपना घर खाली कर रहे हैं. उनका कहना है कि यदि डीडीए ने नया मकान नहीं दिया तो वे कोर्ट में जाएंगे.
यहां रहने वाले दिलीप का आशियाना भी तोड़ दिया गया है. अपने चार बच्चों और पत्नी के साथ वे कई दिन से खुले आसमान तले रातें गुजार रहे हैं. दिलीप का कहना है कि मकान खाली करने के लिए उसके पिता ने सहमति दी है जबकि उनका परिवार पिता से अलग रहता है. ऐसे में उनका घर तोड़ना सही नहीं है.
इस कॉलोनी में कई सालों से रह रहे करीब 3000 लोगों में से अब तक करीब 300 लोग ही ट्रांजिट कैंप में शिफ्ट हुए हैं. लोगों का आरोप है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण रहेजा बिल्डर को यह करीब 5 एकड़ जमीन रिहायशी इमारतें बनाने के लिए दे रहा है, लेकिन सरकार उन्हें बसाने की बिना ठोस योजना के उजाड़ रही है.
सामाजिक कार्यकर्ता अमित सिंह का कहना है कि यहां एक परिवार के कई घर हैं लेकिन वहां सरकार एक परिवार को एक ही कमरा दे रही है.
सरकार यहां के लोगों से भारी सुरक्षा के बीच घर खाली करने के लिए सहमति पत्र भरवा रही है, इस आश्वासन के साथ कि उन्हें इसके बदले नए घर मिलेंगे. हालांकि इस बात को लेकर हर कोई परेशान है कि बेघर होने का यह सिलसिला कब और कहां खत्म होगा. उनका कल कैसा होगा.
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