साल 2009 में डेवलप होने के बाद से क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Cryptocurrency Bitcoin Value) की बढ़ती पॉपुलैरिटी और दूनी-चौगुनी होती इसकी वैल्यू निवेशकों को भी हैरानी में डालती है. जैसाकि इंटरनेट के साथ हुआ था, उसी तरह क्रिप्टोकरेंसी को भी मेनस्ट्रीम में आने में कुछ साल लगे, लेकिन अब यह वर्चुअल करेंसी अप्रत्याशित तेजी से बढ़ रही है. बहुत से निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी को अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो (Cryptocurrency in investment portfolio) का हिस्सा बना लिया है. लेकिन बिटकॉइन और इस जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी फिजिकल असेट नहीं हैं, यानी आप इन्हें छू नहीं सकते, हाथ से इनका लेन-देन नहीं कर सकते. ये करेंसी किसी एक संस्था या सिस्टम के तहत नहीं चलती हैं. यह पूरा नेटवर्क खुद से खुद को चलाता है. ट्रांजैक्शन कुछ डिसेंट्रलाइज्ड यानी बिना किसी एक सेंटर वाले कंप्यूटरों के नेटवर्क पर होता है.
ऐसे में एक बड़ा ही सीधा, सहज सवाल उठता है, क्या हम सच में किसी चीज में निवेश कर रहे हैं? या हम बस यह अनुमान लगाकर चल रहे हैं कि भविष्य में हमें कुछ रिटर्न मिल जाएगा?
2018 में बिजनेस टाइकून वॉरेन बफे ने सार्वजनिक तौर पर बिटकॉइन को एक निवेश के माध्यम के तौर पर खारिज किया था. इसके तीन साल हो गए हैं और क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में तबसे बहुत कुछ हो चुका है, बहुत कुछ बदल चुका है. एक ओर बड़ी-बड़ी बिजनेस कंपनियां इन डिजिटल संपत्तियों में निवेश कर रही हैं. दूसरी ओर, क्रिप्टो की दुनिया में हुई धोखाधड़ियों ने अपने पीछे बड़ा गुबार छोड़ रखा है.
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शायद हमें यह पूछना ही बंद कर देना चाहिए कि क्या बिटकॉइन में निवेश करना अनुमान लगाना भर है? इसकी बजाय हमें क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में ऐसे आसान नियमों पर फोकस करना चाहिए, जो कि हमें असल में लाभ दिला सकें.
1. लॉन्ग टर्म में फायदा या शॉर्ट टर्म मेंस्पेक्युलेशन यानी अनुमान लगाना तब होता है, जब हम कम समय में ज्यादा लाभ कमाने की उम्मीद में जोखिम भरा निवेश करते हैं. ऐसे में स्पेक्युलेटर बनने के बजाय रियल इन्वेस्टर बनिए, जिसका फोकस लॉन्ग टर्म्स गोल्स यानी लंबे समय में ज्यादा रिटर्न बनाने पर होना चाहिए. निवेश के पहले नियमों में से एक है कि जितना खोने का रिस्क उठा सकते हैं, उतना ही निवेश करना चाहिए. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के जोखिम काफी भारी हो सकते हैं, ऐसे में हमें इसके खतरों को नाप-तौल कर ही अपने गोल का चुनाव करना चाहिए.
2. क्वालिटी पर भरोसाहमेशा 'too good to be true' और रिस्की प्रोजेक्ट्स और ऑफर से बचकर रहना चाहिए. कोई आपको तुरंत प्रॉफिट नहीं दिला सकता है, ऐसे ऑफर्स के चक्कर में न पड़ें, वर्ना हो सकता है कि आप जिंदगी भर रिटर्न के इंतजार में ही रह जाएं. किसी भी कॉइन में निवेश करने से पहले उसके रेड फ्लैग्स यानी कमियां, रिस्क, हकीकत में उसकी स्थिति परख लें, फिर निवेश करें. इससे आपको तुरंत प्रॉफिट हो न हो, लॉन्ग टर्म में आप फायदे में रहेंगे. बिटकॉइन का प्राइस, इसकी शुरुआत के साथ भारत में कई गुना बढ़ चुका है.
3. डाइवर्सिफाईड पोर्टफोलियो रखेंयहां आप कई नाव में एक साथ पांव रख सकते हैं, रख सकें तो. कहते हैं कि 'Don't put all the eggs in the same basket'. वही बात है, अपना इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड रखिए, यानी थोड़ा-थोड़ा कई जगहों पर निवेश रखिए, ऐसे में एक कॉइन की कीमत गिरी तो आपका पूरा निवेश नहीं डूबेगा. ऐसा नहीं कि आपने एक ही क्रिप्टोकरेंसी में पूरा पैसा लगा दिया और अब इंतजार कर रहे हैं कि अच्छा वक्त आएगा. रियल इन्वेस्टमेंट वो होता है जब हम किसी वॉलेटाइल यानी अस्थिर बाजार में सोच-विचार करके एक सेफ ग्राउंड से निवेश करते हैं.
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