बेल्जियम की सरकार ने सभी वर्चुअल एसेट फर्मों के लिए अपनी पहचान बताना अनिवार्य कर दिया है. बेल्जियम की फाइनेंशियल सर्विसेज एंड मार्केट्स अथॉरिटी (FSMA) ने ऐसी सभी फर्मों को रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया है. इससे क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस के गैर कानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल और स्कैम्स के रिस्क को कम किया जा सकेगा. गौरतलब है कि बहुत से देश क्रिप्टो सेगमेंट को रेगुलेट करने की योजना बना रहे हैं. इसी कड़ी में बेल्जियम की सरकार ने यह फैसला किया है.
FSMA ने एक स्टेटमेंट में बताया, "मई की शुरुआत से बेल्जियम में वर्चुअल करेंसीज से जुड़ी एक्सचेंज सर्विसेज या कस्टडी वॉलेट सर्विसेज उपलब्ध कराने के लिए FSMA के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा." यह रूल मौजूदा वर्चुअल एसेट फर्मों पर भी लागू होगा. लगभग 1.2 करोड़ की जनसंख्या वाले बेल्जियम में टैक्स के उद्देश्यों के लिए स्पेशल टैक्स इंस्पेक्टरेट (STI) क्रिप्टोकरेंसीज की बिक्री से मिलने वाले मुनाफे को "मिसलेनियस इनकम" की कैटेगरी में रखता है. बेल्जियम में क्रिप्टो सेगमेंट से जुड़े लोगों की संख्या बढ़ रही है. एक अनुमान के अनुसार, पिछले वर्ष बेल्जियम में लगभग 2.70 लाख लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी थी.
इसके अलावा इस वर्ष की शुरुआत में बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के निवासी Christophe De Beukelaer अपनी सैलरी को बिटकॉइन में कन्वर्ट करने वाले यूरोप के पहले राजनेता बने थे. बेल्जियम में क्रिप्टो सेगमेंट का बड़ा हिस्सा रेगुलेटेड नहीं है और इससे जुड़े कानून बनाने पर काम किया जा रहा है. बेल्जियम की अथॉरिटीज ने चेतावनी दी है कि वर्चुअल करेंसीज को कानूनी दर्जा नहीं मिला है.
संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, क्युबा और सिंगापुर जैसे बहुत से देश क्रिप्टोकरेंसीज से जुड़े इनवेस्टर्स की सुरक्षा के लिए उपाय कर रहे हैं. अमेरिका में भी हाल ही में इस सेगमेंट से जुड़ा एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर जारी हुआ था. भारत में पिछले महीने से क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस पर टैक्स लागू हो गया है. फरवरी में बजट में क्रिप्टो ट्रेडिंग पर टैक्स लगाने की घोषणा की गई थी और इसके बाद से यह मुद्दा क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के बीच विवाद का एक कारण बना है. इंडस्ट्री के बहुत से एक्सपर्ट्स और क्रिप्टो से जुड़े लोगों ने इस सेगमेंट पर प्रतिबंध लगाने के बजाय इसे रेगुलेट करने के सरकार के रवैये की प्रशंसा की है, जबकि कुछ अन्य का मानना है कि क्रिप्टो से मिलने वाले प्रॉफिट पर टैक्स की दर को कम किया जाना चाहिए.