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बिहार में इंसान बने हैवान, डायन के नाम पर 5 को जिंदा जलाया, सन्नाटे में छिपी दरिंदगी की क्रूर कहानी

बिहार के पूर्णिया जिले में कथित तौर पर जादू-टोना करने के संदेह में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी गई और उनके शव जला दिये गये.

बिहार में इंसान बने हैवान, डायन के नाम पर 5 को जिंदा जलाया, सन्नाटे में छिपी दरिंदगी की क्रूर कहानी
  • रजीगंज के टेटगामा आदिवासी टोले में पांच जले हुए शव बरामद होने के बाद मंगलवार सुबह उनका पुलिस निगरानी में अंतिम संस्कार किया गया.
  • नकुल उरांव के नेतृत्व में हुई पंचायत में बाबूलाल के परिवार के खिलाफ सामूहिक हत्या का निर्णय लिया गया था, जिसके बाद भीड़ ने हमला किया.
  • घटना के बाद पूरे टेटगामा में सन्नाटा पसरा हुआ है, अधिकांश घर बंद हैं और लोग घटना पर बोलने से परहेज कर रहे हैं.
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पटना:

मंगलवार की सुबह रजीगंज के टेटगामा में अन्य दिनों की तरह सुबह नही हुई. यहां पूरी तरह सन्नाटा था, बीच-बीच मे कुत्ते की भौकने की आवाज सन्नाटे को चीरती गुम हो जा रही थी तो बेजुबां पशुओं को हर सुबह की तरह अपने मालिक द्वारा मिलने वाले चारे का इंतजार था. कहीं घर के गेट पर ताले लगे थे तो कई घर अधखुले मिले. मृतक के कुछ रिश्तेदार खबर सुनकर गांव आए हुए थे, लेकिन बहुत कुछ बोलना नही चाहते थे. पता चला मृतकों का आज सुबह अंतिम संस्कार हो गया. अंतिम संस्कार से लौटे बाबूलाल के दो छोटे भाइयों ने घटना से जुड़ी आपबीती बताई. चर्चा के अनुसार, उन्मादी भीड़ का नेतृत्व गांव का नकुल उरांव कर रहा था. गांव में अधिकारियों के आने का सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा. घटनास्थल से महज 03 किमी दूर रानीपतरा है, जो ऐतिहासिक धरती रही है. यहां स्थित सर्वोदय आश्रम महात्मा गांधी और विनोबा भावे की कर्मस्थली रही है. स्थानीय लोग इस बात से स्तब्ध हैं कि गांधी और विनोवा की कर्मस्थली इतना रक्तरंजित इतिहास का साक्षी कैसे हो सकता है.

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मृतकों का मंगलवार की सुबह हुआ अंतिम संस्कार

सोमवार की शाम में घटनास्थल से 1.5 किमी दूर भिसरिया बहियार की जलकुंभी से पांचों जले हुए शव को बरामद किया गया. पोस्टमार्टम के बाद मंगलवार की सुबह पुलिस की निगरानी में जिला मुख्यालय स्थित कप्तान पुल घाट पर सभी पांच लोगों का अंतिम संस्कार किया गया. मृतकों को मुखाग्नि हादसे में बचे हुए बाबूलाल के छोटे पुत्र सोनू ने दी, जो घटना का चश्मदीद है. इस मौके पर बाबूलाल के अन्य परिजन भी मौजूद रहे. बाबूलाल का एक बेटा मंजीत जो दिल्ली में मजदूरी करता है, अब तक वापस नही लौटा है.

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पूरे गांव में छाई हुई है वीरानगी

रजीगंज पंचायत का टेटगामा आदिवासी टोला जहां 50 घर हैं, लगभग बंद पड़े हुए हैं. पूरे गांव में वीरानगी पसरी हुई है.हर घर बंद पड़ा है. हड़बड़ी में कई घर खुले रह गए हैं. आसपास के टोले के लोग भी कुछ बताने से परहेज कर रहे हैं. गांव में केवल कुत्ते के भौकने की आवाजें आती है. पालतू पशुओं पर तो मानो आफत ही आ गई है. चारा की नाद खाली पड़ी थी और उन्हें अपने मालिक का इंतजार था. इसी बीच सुबह के करीब 09 बजे डोमी उरांव और कुम्मी देवी ने गांव में प्रवेश किया. डोमी बाबूलाल के रिश्ते में साला और कुम्मी साली लगती है जो दोनों पास के गांव में रहते हैं. बताया कि उन्हें देर से खबर मिली तो आए हैं. कुम्मी डायन के आरोप को खारिज करती हुई कहती है कि ' कुछ लोगों को इस बात की भी ईर्ष्या होती है कि आप अच्छे से अपना जीवन बसर कर रहे हैं. ऐसे में डायन कहकर प्रताड़ित करना आम बात है.

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नुकुल ने ही किया था उन्मादी भीड़ का नेतृत्व

गांव के इर्द-गिर्द हमेशा लोगों की भीड़ लगी रहती है. दबी जुबान से लोग चर्चा कर रहे थे कि वारदात से पहले गांव में नकुल उरांव के नेतृत्व में ही पंचायत बैठी थी, जहां सामूहिक हत्या का निर्णय लिया गया. पंचायत का आग्रह रामदेव उरांव ने किया था जिसका एक बेटा हाल में ही बीमारी से मर गया था और दूसरा बीमार था. चर्चा तो यह भी है कि पंचायत में बाबूलाल की पत्नी सीता देवी (50) और मां कातो देवी (70) को भी डायन के आरोप पर सफाई देने के लिए बुलाया गया था. लेकिन बाबूलाल ने भेजने से मना कर दिया. इसके बात पंचायत ने खौफनाक फैसला लिया और देर रात लगभग 11 बजे भीड़ ने नकुल उरांव और रामदेव उरांव के नेतृत्व में बाबूलाल के घर पर हमला बोल दिया. बताया जाता है कि नुकुल जमीन की दलाली करता है और हाल के दिनों में उसने अच्छी खासी संपत्ति अर्जित कर ली है. नकुल को सफेदपोशों का भी संरक्षण प्राप्त है.

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बाबूलाल के भाइयों ने सुनाई घटना की रात की आपबीती

सुबह करीब 10 बजे कुछ पुरुष और महिलाएं गांव पहुंचे. पहले तो कुछ भी बोलने से मना किया लेकिन फिर आग्रह किए जाने पर दो पुरुषों ने अपना परिचय बाबूलाल के छोटे भाई खूबलाल उरांव और अर्जुन उरांव के रूप में दिया. वे मृतकों के अंतिम संस्कार से वापस लौट रहे थे. दोनों ने घटना की रात की कहानी सुनाई. खूबलाल ने बताया कि शोर-शराबे को सुन घर से निकलना चाहे तो भीड़ में शामिल लोगों ने घर से बाहर निकलने से रोक दिया और कहा कि अगर आये तुम्हारा भी वही हश्र होगा जो इन लोगों का हो रहा है. वहीं अर्जुन उरांव ने कहा कि हम सभी भाई के परिवार को छोड़ पूरा गांव इस घटना में शामिल था. हमे चुप रहने की धमकी दी गई थी. लेकिन, खूबलाल और अर्जुन के पास इस बात का कोई जवाब नही था कि घटना के बाद भी उन्होंने पुलिस को सूचित करना जरूरी क्यों नही समझा.

अधिकारी सांप के भागने पर पीट रहे हैं लकीर

रजीगंज के इस आदिवासी टोला में अधिकारियों का आना जाना लगातार जारी है. इसी पंचायत के निवासी कुसुमलाल उरांव कहते हैं कि बीडीओ और सीओ का चेहरा पहली बार देखे हैं. इन्हें आम लोगों की न चिंता है और न ही परवाह होती है. दिन के लगभग 10.45 बज रहे थे. प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार और एसडीएम पार्थ गुप्ता भारी-भरकम अमले के साथ गांव पहुंचे. वहां उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाते कहा कि जब हत्या के लिए पंचायत हो रही थी तो आपलोग कहां थे. आयुक्त कहते हैं कि सभी दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी. तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है. इस कांड में जिन अधिकारियों की लापरवाही उजागर होगी, उन सबों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी.

गांधी और विनोबा की कर्मभूमि हुई कलंकित

पूर्णिया पूर्व प्रखण्ड में रानीपतरा एक ऐतिहासिक जगह है, जहां सर्वोदय आश्रम स्थित है. घटनास्थल से रानीपतरा की दूरी मुश्किल से दो किमी है. यहां आसपास के कई गांव के लोग गर्व से बताएंगे कि उनका घर रानीपतरा है. वजह यह है कि महात्मा गांधी का वर्ष 1934 में सर्वोदय आश्रम में आगमन हुआ था जबकि भूदान आंदोलन के दौरान सर्वोदय आश्रम विनोबा भावे का गतिविधि केंद्र था. इस तरह की लोमहर्षक घटनाओं से यह इलाका अछूता रहा है. ऐसे में स्थानीय लोगों को इस बात का मलाल है कि सर्वोदय के गौरवशाली इतिहास के साथ-साथ यह रक्तरंजित इतिहास कैसे पढ़ा जा सकेगा और सुनाया जा सकेगा.

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