दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने हरियाणा और राजस्थान के मेवात क्षेत्र से चल रहे ऑनलाइन ठगों के एक गैंग का भंडाफोड़ किया है. यह गैंग शराब की होम डिलीवरी के नाम पर लोगों को ठग रहा है. इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. साइबर सेल के डीसीपी अनियेश रॉय के मुताबिक गिरफ्तार लोगों में अकरम,अनीश,शरीफ,सम्मी और अहमद मुस्तफा शामिल हैं.
पुलिस के मुताबिक दिल्ली के एक निवासी से एक शिकायत प्राप्त हुई, जिसने आरोप लगाया कि उसे एक प्रमुख शराब की दुकान की गूगल मैप की सूची के समीक्षा कॉलम से एक मोबाइल नंबर मिला और इसके बाद उसने 5000 रुपये की शराब का ऑनलाइन ऑर्डर दिया. बाद में एक शख्स का फोन आया. उसने ऑर्डर की गई शराब के होम डिलीवरी शुल्क के लिए 10 रुपये का एक और भुगतान करने के लिए कहा. उसने भुगतान करने के लिए एक क्यूआर कोड भेजा. क्यूआर कोड को स्कैन करने पर पता चला कि 10 रुपये के बदले 20 हज़ार का भुगतान हो गया है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कथित व्यक्ति ने ऑनलाइन शराब बिक्री और होम डिलीवरी के नाम पर 25 हजार रुपये की ठगी की. इसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.
हाल के हफ्तों में शराब की होम डिलीवरी के नाम पर ऑनलाइन धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं. इस प्रकार की धोखाधड़ी कई तरीकों से की जाती है जैसे-
1. शराब की ऑनलाइन बिक्री और उसकी होम डिलीवरी की पेशकश करने वाली नकली ई-कॉमर्स साइट.
2. सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए शराब की होम डिलीवरी का विज्ञापन.
3. प्रमुख शराब की दुकानों की सूची के गूगल मैप्स के कमेंट बॉक्स में ऑनलाइन बिक्री और होम डिलीवरी के संदेशों को डालना.
धोखाधड़ी करने के इन सभी तरीकों में, धोखेबाज खरीदी गई शराब और होम डिलीवरी के लिए अग्रिम भुगतान की मांग करते हैं. हालांकि, ऐसी कोई डिलीवरी नहीं होती है और धोखेबाज अग्रिम भुगतान को हड़प लेते हैं. जालसाज यहीं नहीं रुकते. वे लोगों को दी हुई रकम में हेराफेरी करके बड़ी रकम लेने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए कहते हैं.
चूंकि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर ऐसी कई शिकायतें देखीं गई हैं, इसलिए मामले की जांच के लिए एक टीम बनाई गई. टीम ने जांच कर पता लगाया कि जालसाज राजस्थान और हरियाणा से काम कर रहे हैं. टीम ने छापे मारकर पांच लोगों को गिरफ्तार किया. छापेमारी के दौरान भरतपुर, राजस्थान और नूंह, हरियाणा की स्थानीय जिला पुलिस द्वारा काफी मदद दी गई.
सभी आरोपी 21 से 30 साल के हैं और ऑनलाइन धोखाधड़ी में सक्रिय रूप से शामिल हैं. आरोपी अकरम सिम कार्ड पर पहले से सक्रिय पेटीएम खाते के साथ फर्जी आईडी पर सिम कार्ड जारी करता है. आरोपी अनीश आगे सह-आरोपियों को सिम कार्ड बेचता है. शरीफ बैंक खाताधारक है, जिनके खाते में पैसा आता है. वह धोखाधड़ी के पैसे प्राप्त करने के लिए फर्जी बैंक खाते प्रदान करता है. आरोपी सैमी और अहमद मुस्तफा पीड़ितों के साथ कॉल और चैट करने में शामिल हैं.
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