- मध्य प्रदेश के घुवारा गांव की तेज गेंदबाज क्रांति गौड़ का विश्व चैंपियन बनने की कहानी रूला देगी.
- उन्होंने महिला वनडे विश्व कप में नौ विकेट लिए और भारत को पहली बार विश्व चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई
- क्रांति के परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था, उनकी मां को गहने बेचने पड़ते थे ताकि वे अभ्यास कर सकें
Kranti Gaud's World Cup heroics : मध्य प्रदेश के घुवारा गांव की रहने वाली भारतीय तेज गेंदबाज क्रांति गौड़ ने खुलासा करते हुए कहा कि एक समय उन्हें यह भी पता नहीं था कि भारत की महिला क्रिकेट टीम भी है. इस 22 वर्षीय खिलाड़ी ने हाल में समाप्त हुए महिला वनडे विश्व कप में में 18.55 की औसत से नौ विकेट लिए जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ मैच में तीन विकेट लेना भी शामिल था. भारत ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया . गौड़ ने गुरुवार को यहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात से ठीक पहले पीटीआई वीडियो से कहा, ‘‘मुझे तो यह भी नहीं पता था कि महिला क्रिकेट टीम भी है. यहीं से क्रिकेट में मेरा सफर शुरू हुआ था.''
लड़कियों को खेलने की इजाजत नहीं थी, मेरे परिवार वालों को ताना मारा जाता था
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है क्योंकि यह मेरा पहला विश्व कप था और अब हम विश्व चैंपियन हैं. यह मेरे, मेरे परिवार और पूरे देश के लिए गर्व की बात है.‘‘ क्रांति ने कहा, ‘‘मैं एक छोटे से गांव से हूं, इसलिए वहां लड़कियों को खेलने की इजाजत नहीं थी. मेरे परिवार से कहा जाता था कि तुम उसे लड़कों के साथ क्यों खेलने देते हो। तब मैंने सोचा कि एक दिन मैं अपने प्रदर्शन पर सबको तालियां बजाने पर मजबूर कर दूंगी. ‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘और जो लोग मुझे और मेरे परिवार को ताना मारते थे, वे अब हमारी सराहना कर रहे हैं. अब महिला टीम भी बेहतर हो रही है और विश्व कप जीतने के बाद यह बहुत आगे जाएगी. ‘‘
13 साल से बैन थे पिता
क्रांति गौड़ के पिता मुन्ना लाल गौड़, पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था लेकिन 2012 में चुनाव ड्यूटी से जुड़ी एक घटना के कारण उन्हें बैन कर दिया गया था. तब से क्रांति गौड़ का परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. क्रांति के भाई बस कंडक्टर का काम किया करते थे जिससे पूरे परिवार का भरण-पोषण हुआ करता था.
मां को गहने बेचने पड़े
जब क्रांती का परिवार आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा था तो उस दौरान उनकी मां को गहने भी बेचने पड़ते थे. प्रैक्टिस के लिए जाने के लिए क्रांती के पास पैसे भी नहीं होते थे, जिस कारण उनकी मां को अपने गहने बेचने पड़े जिससे क्रांती मैंच खेलने जा सके.
चैंपियन बनने के बाद बदली किस्मत
विश्व कप में भारतीय महिला टीम के चैंपियन बनने के बाद क्रांति गौड़ की किस्मत बदल गई है. क्रांति गौड़ का मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचने पर स्वागत किया गया. इस मौके पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ऐलान किया कि उनके पिता की सेवा बहाली के प्रयास किए जाएंगे.
"कई बार स्थितियां ऐसी आईं जब उसे भोजन के लिए भी संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने युवा पीढ़ी से कहा कि जो आपके सपने हैं, उन्हें पूरा करने में कभी पीछे मत रहिए."
बिरसा मुंडा जयंती पर क्रांति को राज्य स्तरीय सम्मान देने की घोषणा
15 नवंबर को जबलपुर में बिरसा मुंडा जयंती पर क्रांति को राज्य स्तरीय सम्मान देने की घोषणा भी की गई. सीएम मोहन यादव ने कहा कि हम रानी दुर्गावती, बिरसा मुंडा और महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी को पढ़ सकते हैं, मगर अपनी आंखों से क्रांति गौड़ को रानी दुर्गावती और महारानी लक्ष्मीबाई के रूप में देख सकते हैं. इस मौके पर उन्होंने ऐलान किया कि बिरसा मुंडा की जयंती पर जबलपुर में भव्य कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में क्रांति गौड़ को सम्मानित किया जाएगा. इसके साथ ही उनके पिताजी की सेवा संबंधी जो समस्या है उसमें अपील का प्रावधान है और उसके जरिए उनकी बहाली का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, छतरपुर में क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम की मांग की गई है, उसे भी पूरा करते हुए स्टेडियम बनाया जाएगा.
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