
क्रिकेट में सॉफ्ट सिग्नल नियम ( Cricket Soft Signal Rule) को खत्म किया जाएगा. क्रिकबज के रिपोर्ट के अनुसार WTC फाइनल में सॉफ्ट सिग्नल नियम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल 7 जून को भारत और ऑस्ट्रेलिया (WTC Final IND vs AUS) के बीच लंदन के द ओवल में खेला जाने वाला है. बता दें कि ICC की क्रिकेट कमेटी के अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने इस फैसले को मंजूरी दे दी है तो वहीं, विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल (WTC Final) खेलने वाली टीमें भारत और ऑस्ट्रेलिया को भी इससे अवगत करा दिया गया है. दूसरी ओर विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल (WTC Final) को लेकर एक बड़ी बात सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार यदि टेस्ट मैच के दौरान खराब रोशनी के कारण खेलने में दिक्कत होती है तो फ्लड लाइट को जला दिया जाएगा. वहीं, WTC फाइनल के लिए एक रिजर्व डे भी रखा गया है.
सॉफ्ट सिग्नल नियम को लेकर हो रहे ते विवाद
हाल के समय में सॉफ्ट सिग्नल नियम को लेकर काफी विवाद हुए हैं. दरअसल साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट मैच के दौरान एक ऐसी घटना हुई थी जिसको लेकर बेन स्टोक्स (Ben Stokes) ने सॉफ्ट सिग्नल नियम पर सवाल खड़े कर दिए थे. हुआ ये था कि बल्लेबाज मार्नस लाबुशेन को सॉफ्ट सिग्नल के तहत मैदानी अंपायर ने कैच आउट करार दे दिया था, लेकिन स्लिप में खड़े खिलाड़ी ने कैच को विवादास्पद तरीके से पकड़ा था, जिसके बाद मैदानी अंपायर, थर्ड अंपायर के पास इस फैसले के लिए गए थे. लेकिन वहां पर भी थर्ड अंपायर सही तरीके से पता नहीं लगा पाए कि कैच को अच्छी तरह से पकड़ा गया है, ऐसे में थर्ड अंपायर को ऑनफील्ड अंपायर के फैसले के साथ ही जाना पड़ा था.
ICC should get rid off the soft signal and let the 3rd umpire who has all the technology to make the decision when the on field umpires send it upstairs,all the controversy is always around the soft signal given.
— Ben Stokes (@benstokes38) January 4, 2023
This isn't a comment on the decision FYI 🤣🤣 https://t.co/rvOeJEfnKF
क्रिकेट में सॉफ्ट सिग्नल नियम क्या है (What is soft signal rule in cricket)
आईसीसी (ICC) के नियम के अनुसार मैदान पर मौजूद अंपायर अपने फैसले के लिए थर्ड अंपायर से मदद ले सकता है. यदि मैदानी अंपायर को लगता है कि कैच या LBW के फैसले में किसी तरह का संदेह है तो अंपायर इस फैसले को थर्ड अंपायर के पास भेजता है. वहीं, मैदानी अंपायर को थर्ड अंपायर के अपना फैसला भी बताना होता है. वहीं, वीडियो फुटेज में पर्याप्त सबूत नहीं मिलते हैं तो फिर मैदानी अंपायर्स के फैसले को ही सर्वमान्य माना जाता है. इस प्रक्रिया को सॉफ्ट सिग्नल नियम के नाम से जाना जाता है.
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