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This Article is From Nov 26, 2015

गांधी-मंडेला सीरीज : स्पिन वाले विकेट पर टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज भी हो रहे ढेर

गांधी-मंडेला सीरीज : स्पिन वाले विकेट पर टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज भी हो रहे ढेर
कप्तान विराट कोहली भी पूरी सीरीज में असफल रहे (फाइल फोटो)
दक्षिण अफ्रीका की टीम नागपुर टेस्ट में 79 रन पर ढेर हो गई। उसके बल्लेबाज इस सीरीज के किसी भी मैच में जमकर नहीं खेल सके, लेकिन यह हाल केवल दक्षिण अफ्रीकी टीम का ही नहीं है, हमारे बल्लेबाज भी कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। हम तो दक्षिण अफ्रीका के कमजोर स्पिन आक्रमण के आगे भी ढेर हो रहे हैं। वर्तमान सीरीज के किसी भी मैच में हमारा स्कोर 250 रन तक भी नहीं पहुंचा।

मोहाली टेस्ट के बाद अब नागपुर टेस्ट की दोनों पारियों में भी हमारे धुरंधर बल्लेबाज असफल रहे हैं। यदि आप स्कोरकार्ड पर नजर डालेंगे, तो पाएंगे कि दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा (31) और शिखर धवन (39) ने ही कुछ संघर्ष किया। उनके अलावा कोई भी बल्लेबाज नहीं टिक पाया। रोहित शर्मा (23), विराट कोहली (16), अजिंक्य रहाणे (9), रिद्धिमान साहा (7) और रवींद्र जडेजा (5) का निजी स्कोर देखकर आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारी बल्लेबाजी का स्तर कैसा रहा। हमारा यही हाल पहली पारी में भी था। वो तो भला हो, दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों और उनके स्पिनरों का जो हमसे भी खराब खेल रहे हैं, अन्यथा स्थिति कुछ और होती।

मोहाली टेस्ट में भी रहा यही हाल
मोहाली टेस्ट में टीम इंडिया के 7 बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजी का शिकार बने। इस टेस्ट के पहले दिन कुल 229 रन बने और 12 विकेट गिरे, जिनमें से 9 विकेट स्पिन गेंदबाजों के खाते में गए। दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा ने 77 रनों की शानदार पारी खेलकर टीम का स्कोर 200 तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने पहली पारी में भी 31 रन का योगदान दिया था। पुजारा के अलावा ओपनर मुरली विजय के पहली पारी 75 रनों की वजह से ही टीम इंडिया का स्कोर 201 तक पहुंच पाया। इतना ही नहीं विजय ने दूसरी पारी में भी 47 रन की अहम पारी खेली। इन दोनों के अलावा अन्य कोई भी बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट के लायक बल्लेबाजी नहीं कर पाया और वे दक्षिण अफ्रीका के कमजोर स्पिन आक्रमण के सामने भी ढेर हो गए।

स्पिन आक्रमण मजबूत होता तो क्या होता
आप साल 2012 में इंग्लैंड क्रिकेट टीम के भारत दौरे को याद करें, जब हमने इंग्लिश बल्लेबाजों के लिए स्पिन का जाल बुना था, क्योंकि हम इंग्लैंड दौरे में स्विंग गेंदबाजी के सामने मिली हार का बदला लेने के लिए आतुर थे। लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा और हमारे धुरंधर बल्लेबाज इंग्लैंड के स्पिन गेंदबाजों मोंटी पनेसर और ग्रीम स्वान की फिरकी के सामने नाचते नजर आए। इस प्रकार इंग्लैंड टीम 25 साल बाद भारत में सीरीज जीतने में कामयाब रही। उस दौरे में स्वॉन और पनेसर ने मिलकर 37 विकेट लिए थे। पनेसर ने 3 टेस्ट में 17 विकेट लिए थे, जबकि पहले मैच में उन्हें शामिल नहीं किया गया था। इस दौरे से पहले तक पनेसर को कोई खास सफलता नहीं मिली थी, लेकिन हमारे बल्लेबाज उनके सामने नहीं चले। इससे आप समझ सकते हैं कि हमारे बल्लेबाजों की तकनीक टर्निंग ट्रैक पर खेलने के लिए कितनी अच्छी है।

शिलिंगफोर्ड और मोइन अली भी कर चुके हैं परेशान
इसके बाद साल 2013 में वेस्टइंडीज के भारत दौरे पर उनके सामान्य ऑफ स्पिनर शेन शिलिंगफोर्ड ने भी दो टेस्ट में 11 विकेट झटक लिए थे। साल 2014 में भारत के इंग्लैंड दौरे पर मोईन अली जैसे पार्ट टाइम स्पिनर ने भी भारतीय बल्लेबाजों को खूब छकाया था और 5 टेस्ट में 19 विकेट झटके थे।

ऐसे में यदि दक्षिण अफ्रीका का स्पिन आक्रमण थोड़ा भी बेहतर होता, तो इस सीरीज का परिणाम कुछ और हो सकता था।

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