दक्षिण अफ्रीका के हाथों टेस्ट सीरीज में 2-0 से सफाए के बाद भारतीय बल्लेबाजों के स्पिन कौशल के खिलाफ कमजोरी के दुनिया भर में चर्चे हैं. एक समय कहा जाता था कि स्पिन खेलने की आर्ट भारतीय बल्लेबाजों के डीएनए में है. कई दशक पहले नवजोत सिद्धू, सचिन तेंदुलकर, अजहरुद्दीन, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, और वीवीएस लक्ष्मण ने अपनी शैली से दुनिया भर के बल्लेबाजों को सिखाया कि स्पिन खासकर भारतीय पिचों पर कैसे खेली जाती है. लेकिन इस दौर के बल्लेबाजों का जो हाल है, वह गुवाहाटी में सभी ने देखा. भारत को बिना टर्निंग ट्रैक की पिच पर 408 रन से मुंह की सर्वकालिक सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा. करोड़ों भारतीय क्रिकेटप्रेमी आपस में यह भी चर्चा कर रहे हैं कि सोचिए कि इन बल्लेबाजों को अगर इन्हीं हालात में दिवंगत शेन वॉर्न का सामना करना पड़ता, तो इस भारतीय टीम का क्या हाल होता. बहरहाल, आप जानिए कि इस बारे में ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का क्या कहना है.
अगर गुवाहाटी में हार्मर की जगह वॉर्न होते तो...
इस बारे में ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कहना है कि अगर गुवाहाटी में दूसरे टेस्ट में वॉर्न होते, तो उनके विकेट चटकाने की योग्यात को देखते हुए हर पारी में 5-7 और कुल मिलाकर मैच में 10-14 विकेट ले सकते थे. साइमन हार्मर ने मैच में 9 विकेट लिए थे. वहीं, जहां हार्मर ने सीरीज में 17 विकेट लिए, तो वहीं AI का कहना है कि शेन वॉर्न इडेन और गुवाहाटी में मिलाकर उनकी काबिलियत और रिकॉर्ड को देखते हुए 12-18 या इससे भी ज्यादा विकेट ले सकते थे.
वॉर्न होते तो इतनी बड़ी हार होती भारत की
हालांकि, AI यह भी कहता है कि वह पूरी तरह से आश्ववस्त नहीं है, लेकिन अगर हार्मर की जगर वॉर्न होते, तो स्थिति और भयावह होती है. परिणाम कुछ ऐसा होता
-भारत पहली पारी में 201 की जगह 170 पर ऑल आउट होती
-दूसरी पारी में टीम इंडिया 140 रन की जगह 110 पर ऑलआउट होती
-और भारत की हार का अंतर 408 की जगह 470 होता.
कुछ ऐसे हैं वॉर्न के आंकड़े
महान शेन वॉर्न ने 145 टेस्ट मैचों में 708 विकेट लिए. और उन्होंने 4.9 रन प्रति ओवर की दर से विकेट चटकाए. वहीं उनका हर विकेट 25.41 रन के बाद आया. और AI ने इस काल्पनिक स्थिति का आंकलन करने के लिए शेन वॉर्न के इन आंकड़ों को भी अपनी गणना में शामिल किया है.
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