ऑस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ उस्मान ख़्वाजा का मानना है कि जसप्रीत बुमराह का अनोखा एक्शन शुरुआत में मुश्किल पैदा करता है. हालांकि एक बार आदत पड़ जाने के बाद उनका सामना करना आसान हो जाता है. ख़्वाजा ने अब तक बुमराह के ख़िलाफ़ सात टेस्ट पारियों में 155 गेंदों का सामना किया है और बिना आउट हुए 43 रन बनाए हैं.
ख़्वाजा ने फ़ॉक्स क्रिकेट से कहा,"जब आप पहली बार उनका सामना करते हैं, तो बस उनके एक्शन का अंतर होता है. यह एक अलग, अजीब तरह का एक्शन है, क्योंकि उनका रिलीज़ प्वाइंट अन्य गेंदबाज़ों से काफ़ी अलग है. उनका रिलीज़ प्वाइंट थोड़ा ऊपर है. बहुत से गेंदबाज़ गेंद को पॉपिंग क्रीज़ के पास से रिलीज़ करते हैं, जबकि बुमराह का फ़्रंट लेग थोड़ा आगे रहता है, जिससे उनकी गेंद जल्दी बल्लेबाज़ों तक पहुंचती है."
उन्होंने आगे कहा,"लेकिन एक बार जब आप इस एक्शन के आदी हो जाते हैं, तो ठीक लगता है. मैंने उनके ख़िलाफ़ काफ़ी खेला है. ऐसा नहीं कि वह मुझे पहली गेंद पर आउट नहीं कर सकते. कोई भी कर सकता है. लेकिन जब आप पहली बार उनका सामना करते हैं, तो वह कठिन होता है और फिर लय मिलते ही आसान हो जाता है. लेकिन वह फिर भी एक क्लास गेंदबाज हैं."
ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ नेथन मैकस्वीनी एक नए ओपनर होंगे और निचले क्रम के कुछ प्रमुख खिलाड़ी दबाव में हैं. ऐसे में भारत के ख़िलाफ़ पांच मैचों की सीरीज़ में ख़्वाजा पर अच्छी शुरुआत की ज़िम्मेदारी होगी. ख़्वाजा का मानना है कि भारतीय आक्रमण में सिर्फ बुमराह ही नहीं, बल्कि कई और अच्छे गेंदबाज़ हैं जिनसे सावधान रहने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा,"सभी बुमराह की बात करते हैं लेकिन भारत के पास वास्तव में कई अच्छे गेंदबाज़ हैं. मुझे लगता है कि मोहम्मद सिराज बहुत अच्छे गेंदबाज़ हैं. वह दाएं और बाएं दोनों हाथ के बल्लेबाज़ों के खिलाफ़ अच्छी गेंदबाज़ी करते हैं. जब मोहम्मद शमी फ़िट थे और खेल रहे थे, तो वह भी बेहतरीन गेंदबाज़ी कर रहे थे, लेकिन उन्हें ज़्यादा महत्व नहीं दिया गया. इसके अलावा भारतीय टीम के पास अच्छे स्पिनर भी हैं, जो तेज़ गेंदबाज़ों का अच्छा साथ देते हैं."
ख़्वाजा ने कहा,"तो मेरे लिए यह सिर्फ़ बुमराह के बारे में नहीं है. मैं लगातार यह सोच रहा हूं कि बुमराह और बाक़ी के गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ कहां रन बनाया जाए. मैं यह बिल्कुल नहीं सोच रहा हूं कि वह मुझे किस तरह से आउट करने का प्रयास करेंगे. मुझे यक़ीन है कि अच्छे बल्लेबाज़ भी यही सोचते हैं. अगर वे ग़लती करेंगे तो मैं रन बनाऊंगा, और अगर वह अच्छी गेंदबाज़ी करते हैं, तो मैं उसे सम्मान दूंगा. यही टेस्ट क्रिकेट है."
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