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हर पीढ़ी की होती है अपनी सर्वश्रेष्ठ प्लेइंग इलेवन

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के महान बल्लेबाज हाशिम अमला ने अपनी सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ टीम चुनी, तो इसके बाद कई सवाल खड़े हो गए

हर पीढ़ी की होती है अपनी सर्वश्रेष्ठ प्लेइंग इलेवन

दक्षिण अफ़्रीका के महानतम बल्लेबाज़ों में एक हाशिम अमला ने पिछले दिनों सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट टीम चुनी. इस टीम में भारत के दो खिलाड़ियों सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendular) और राहुल द्रविड़ (Rajul Dravid) को जगह मिली. भारतीय मीडिया और क्रिकेट प्रेमियों ने मायूसी जताई कि इस टीम में न विराट कोहली हैं और न रोहित शर्मा.दिलचस्प यह है कि उन्हें सुनील गावस्कर या सहवाग या गांगुली के नाम याद नहीं आए. हाशिम अमला ने अपनी टीम में मैथ्यू हेडेन और ग्रीम स्मिथ को सलामी बल्लेबाज़ी की ज़िम्मेदारी सौंपी,राहुल द्रविड़ और रिकी पॉन्टिंग को तीसरे-चौथे क्रम में रखा, जाक कैलिस और सचिन तेंदुलकर को पांचवें-छठे पर उतारा. एबी डीविलियर्स को विकेटकीपर बनाया जो ख़ुद बेहद विस्फोटक बल्लेबाज़ भी हैं. इसके बाद चार गेंदबाज़ों में दो तेज़ गेंदबाज़ रखे- मैकग्रा और डेल स्टेन, जबकि दो स्पिनर चुने- मुरलीधरन और शेन वॉर्न.

दिलचस्प है कि इस टीम में डॉन ब्रेडमैन नहीं हैं, जिनके नाम टेस्ट बल्लेबाज़ी के वे रिकॉर्ड हैं जिनके आस-पास कोई पहुंच नहीं सकता. इसमें विवियन रिचर्ड्स या गैरी सोबर्स नहीं हैं, इसमें डेनिस लिली या माइकल होल्डिंग नहीं हैं, इसमें ऐडम गिलक्रिस्ट नहीं हैं और इसमें रोहित-विराट तो नहीं ही है. दरअसल हर खिलाड़ी या जानकार जो भी टीम चुनता है, उस पर उसके अनुभव और काल की छाया होती है. अगर पचास-साठ का दशक देखने वाले किसी बुज़ुर्ग को यह टीम चुनने को कहा जाता तो उसमें ब्रेडमैन, ट्रंपर, वॉली हैमंड आदि होते, हेराल्ड लारवुड होते, शायद लांस गिब्ज़ भी होते. कोई पुराना वेस्ट इंडियन दिग्गज रिचर्ड्स, ग्रीनिज, लॉयड आदि को जोड़ने का मोह नहीं छोड़ पाता.किसी भारतीय को सुनील गावसकर की भी याद आती.

वैसे यह सच है कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के डेढ़ सौ साल होने जा रहे हैं, तो डेढ़ सौ साल में ऐसे महानतम खिलाड़ियों की एक बड़ी सूची है जो एक-दूसरे को कभी भी टक्कर दे सकते हैं.अगर निरपवाद सर्वश्रेष्ठता का कोई दावेदार है तो संभवतः अकेले ब्रैडमैन हैं जिन्हें हर टीम में ससम्मान जगह मिलनी चाहिए. उनका सौ रनों को छूता औसत, महज 52 टेस्टों में दो तिहरे शतकों और दस से ज़्यादा दोहरे शतकों सहित लगाए गए 29 शतक उन्हें ऐसी रन मशीन बनाते हैं जिसका कोई मुक़ाबला नहीं है.

इसके अलावा गैरी सोबर्स वो खिलाड़ी हैं जिन्होंने खेल के हर क्षेत्र में अपना दबदबा दिखाया। एक ओवर में छह छक्के लगाने का रिकॉर्ड अरसे तक उनके नाम रहा. इसी तरह 365 रनों की उनकी पारी दशकों तक टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी पारी रही. बाद में इसे ब्रायन लारा और मैथ्यू हेडेन ने तोड़ा- जयवर्द्धने और मुल्डर भी इसके पार गए. बेशक, जाक कैलिस अपने रिकॉर्ड्स में बेहद प्रभावशाली नज़र आते हैं, लेकिन सोबर्स की बात ही कुछ और थी। यही बात विवियन रिचर्ड्स और ब्रायन लारा के बारे में कही जा सकती है जो किसी भी टेस्ट टीम में कभी भी लिए जा सकते थे.

बहरहाल, एक सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ टीम बनाना बहुत अव्यावहारिक और विवादों से भरा काम है. अब तो स्थिति यह है कि किसी एक देश की भी एक से  ज़्यादा सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ टीमें बन सकती हैं.मैंने सत्तर के दशक से क्रिकेट में दिलचस्पी लेनी शुरू की- ठीक से कहूं तो 1977-78 में भारत-पाकिस्तान की टेस्ट सीरीज़ से, जिसमें कपिलदेव पहली बार सामने आए थे. अगले कुछ वर्षों तक क्रिकेट का जुनून ऐसा छाया रहा कि एक-एक खिलाड़ी के आंकड़े याद रखने का अभ्यास हो गया. धीरे-धीरे वह जुनून जाता रहा, दिलचस्पियां दूसरी दिशाओं में भी मुड़ीं. अब क्रिकेट प्रेम बस किसी मुक़ाबले का नतीजा, खिलाड़ियों के स्कोर और कुछ रिकॉर्ड जानने तक सीमित रह गया है, लेकिन यह याद आता है कि उन पुराने दिनों में हम भी सर्वश्रेष्ठ भारतीय क्रिकेट टीम की कल्पना किया करते थे.

मेरी जो सबसे पुरानी सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ भारतीय टीम होती थी, उसमें सुनील गावसकर और विजय मर्चेंट ओपनर होते थे, पॉली उमरीगर, विश्वनाथ और दिलीप सरदेसाई तीसरे, चौथे और पांचवें क्रम पर होते थे, हरफनमौला के रूप में कपिलदेव होते थे, वीनू मांकड और सुभाष गुप्ते स्पिनर होते थे और फिर अमर सिंह और निसार तेज़ गेंदबाज़ होते थे. विकेटकीपर किरमानी ही तब तक सर्वश्रेष्ठ थे. तब मुझे चंद्रशेखर और बिशन सिंह बेदी को छोड़ने का मलाल हुआ करता था। पंकज राय और लाला अमरनाथ को भी रखने का मन होता था, लेकिन मैं छोड़ देता था.

आने वाले वर्षों में यह टीम बदलती गई. पहले श्रीकांत और फिर बाद में वीरेंद्र सहवाग ने विजय मर्चेंट की जगह ले ली. सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और अजहरुद्दीन अगले तीन बल्लेबाज़ों की जगह आ गए. अनिल कुंबले और आर अश्विन स्पिनर हो गए. हालांकि हरभजन को छोड़ना आसान नहीं था. विश्वनाथ से भी मोहब्बत थी जिन्हें मायूसी के साथ छोड़ना पड़ा. किरमानी की जगह महेंद्र सिंह धोनी ने ले ली. जसप्रीत बुमराह और जगवाल श्रीनाथ ने अमर सिंह और निसार को बाहर कर दिया.

हालांकि यह टीम भी बदलती रही, आगे भी बदलती रहेगी. आख़िर विराट कोहली और रोहित शर्मा को कैसे टीम इंडिया में जगह नहीं मिलेगी? तो अजहर को तो पक्का जाना पड़ेगा. मैं रोहित शर्मा पर राहुल द्रविड़ को तरजीह दूंगा. रोहित शर्मा को वनडे की टीम में भेज दूंगा। यही सौरव गांगुली के साथ करूंगा जिन्हें यहां जगह नहीं दे सकता. तब भी वीवीएस लक्ष्मण और अजहरुद्दीन जैसे बल्लेबाज़ों को न ले पाने का अफ़सोस रहेगा,  तो मेरी जो सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ भारतीय टेस्ट टीम होगी, उसमें सुनील गावसकर, वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, कपिलदेव, महेंद्र सिंह धोनी, अनिल कुंबले, आर अश्विन, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी होंगे। शायद मेरे बाद की पीढ़ी के लोग इसमें रोहित शर्मा से लेकर शुभमन गिल तक को जोड़ना चाहेंगे। लेकिन ठीक है, टीमें बनती-बिगड़ती रहती हैं, खेल चलता रहता है.

(लेखक: प्रियदर्शन)

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