सुप्रीम कोर्ट को कहीं नाराज न कर दे BCCI की 21 सितंबर को होने वाली सालाना आम बैठक !

सुप्रीम कोर्ट को कहीं नाराज न कर दे BCCI की 21 सितंबर को होने वाली सालाना आम बैठक !

प्रतीकात्‍मक फोटो

खास बातें

  • NDTV इंडिया के पास है बैठक के एजेंडे की कॉपी
  • बोर्ड की सालाना बैठक में नए सचिव का भी होगा चुनाव
  • बोर्ड अध्‍यक्ष अनुराग ठाकुर बोले, एजीएम रूटीन प्रक्रिया है
मुंबई.:

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के धुरंधर 21 सितंबर को मुंबई स्थित बीसीसीआई मुख्यालय में सालाना आम बैठक (एजीएम) में बैठेंगे, लेकिन क्या इस बैठक से देश की सर्वोच्च अदालत की त्‍यौरियां चढ़ सकती हैं. बैठक का एजेंडा देखें, तो इसका जवाब हैं हां, जिसकी एक्सक्लूसिव कॉपी NDTV इंडिया के पास है.

जो एजेंडा बीसीसीआई ने अपने तमाम पदाधिकारियों को भेजा है उसमें पाइंट नंबर 6 कहता है कि एजीएम में बोर्ड सचिव का चुनाव होगा, वहीं 7 में लिखा है 2016-17 के लिये वर्किंग कमेटी, स्टैंडिंग कमेटी और स्पेशल कमेटी का चुनाव. पाइंट 11- लोकपाल के चुनाव के लिए है वहीं 12 में आईसीसी, एशियन क्रिकेट काउंसिल के लिये बोर्ड के नुमाइंदे के चयन का ज़िक्र है. 17 सूत्रीय एजेंडे की कम से कम चार बातें बोर्ड को अदालत तक घसीट सकती हैं, लेकिन बीसीसीआई को ऐसा नहीं लगता.  बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का कहना है, "एजीएम रूटीन प्रक्रिया है, सिर्फ तीन दिन बचे हैं ... हम देखेंगे कि बोर्ड कौन से काम कर सकता है या प्रस्तावों को स्वीकृत कर सकता है."

बोर्ड की सालाना बैठक में नए सचिव का भी चयन होगा लेकिन सारे संकेत यही कह रहे हैं कि 22 मई 2016 को इस कुर्सी पर बैठे अजय शिर्के दुबारा चुन लिये जाएंगे, वैसे चयन को लोकतांत्रिक बनाते हुए बोर्ड ने बाकायदा इसके लिये नॉमिनेशन फॉर्म निकाला है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पीबी सावंत को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है यानी बोर्ड अब सिर्फ काम से नहीं जुबान से भी लोढ़ा कमेटी के सामने फ्रंट फुट पर आकर खेलने लगा है. ठाकुर ने कहा,  "पैनल आकर देखे हमने कितना काम किया है, लेकिन चूंकि वे हमारे स्टेट एसोसिएशन या बोर्ड हेडक्वॉर्टर को देख नहीं पाए हैं, हम हर बार पांच सितारा होटलों में ही मिले हैं."

लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू करने के फैसले के खिलाफ बीसीसीआई ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है जिसमें बोर्ड और राज्य संघों में चुनावों का मसला भी है. हालांकि इस याचिका में कुछ खामियां हैं जिसकी वजह से इसे सुनवाई की तारीख नहीं मिली है, ऐसे में इस कानूनी विकल्प के बूते लोढ़ा पैनल को सुप्रीम चुनौती का दांव कहीं बोर्ड पर उलटा न पड़ जाए.


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