खास बातें
- यह भी संयोग है कि तब भी दिन 14 मार्च था तथा टीमें भारत और ऑस्ट्रेलिया की थी। आज से ठीक 12 साल पहले उस दिन भी कोई विकेट नहीं गिरा था। अंतर इतना था कि कोलकाता के ईडन गार्डन्स में तब भारत के दो दिग्गज बल्लेबाजों ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को छठी का दूध याद दि
नई दिल्ली: यह भी संयोग है कि तब भी दिन 14 मार्च था तथा टीमें भारत और ऑस्ट्रेलिया की थी। आज से ठीक 12 साल पहले उस दिन भी कोई विकेट नहीं गिरा था। अंतर इतना था कि कोलकाता के ईडन गार्डन्स में तब भारत के दो दिग्गज बल्लेबाजों ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को छठी का दूध याद दिलाया था जबकि आज मोहाली में बारिश के कारण खेल ही नहीं हो पाया।
वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने 14 मार्च 2001 को ईडन गार्डन्स पर जो कमाल दिखाया था वह आज किवदंती बन चुका है। यही वजह है कि इस तिथि को टेस्ट क्रिकेट में नए युग की शुरुआत के रूप में भी याद किया जाता है। मुंबई में पहला टेस्ट गंवाने के बाद भारत फालोआन कर रहा था और ऐसे में लक्ष्मण और द्रविड़ ने दिनभर बल्लेबाजी करके ऑस्ट्रेलिया को बैकफुट पर भेज दिया था। भारत ने आखिर में यह मैच 171 रन से जीतकर इतिहास रच दिया था।
लक्ष्मण ने 14 मार्च को 109 रन से अपनी पारी आगे बढ़ाई। वह जल्द ही 150 रन के पार पहुंच गए। लंच तक भारत का स्कोर चार विकेट पर 376 रन था। लक्ष्मण 171 और द्रविड़ 50 रन पर खेल रहे थे। इसके बाद भी इन दोनों ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को चैन की सांस नहीं लेने दी।
ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान स्टीव वा ने अपने भाई मार्क वा से लेकर रिकी पोंटिंग, माइकल स्लैटर, मैथ्यू हेडन और जस्टिन लैंगर तक को गेंद सौंपी लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। लक्ष्मण ने दूसरे सत्र में अपना पहला दोहरा शतक पूरा किया। जब चाय का विश्राम हुआ तो भारत चार विकेट पर 491 रन बनाकर 217 रन की बढ़त हासिल कर चुका था।
लक्ष्मण ने तीसरे सत्र में नौवां रन बनाते ही सुनील गावस्कर के 236 रन के भारतीय रिकॉर्ड को तोड़ा।
मोहाली में हालांकि बारिश ने खलल डाला। सुबह से ही बारिश होती रही और टॉस भी नहीं हो पाया। इससे पहले इन दोनों टीमों के बीच सितंबर 1986 में दिल्ली में बारिश के कारण पहले तीन दिन का खेल नहीं हो पाया था।
भारतीय बल्लेबाजों में शिखर धवन यह दिन याद नहीं करना चाहेंगे। उन्हें आज टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करना था लेकिन बारिश ने उनका इंतजार बढ़ा दिया। बारिश इससे पहले भी कई खिलाड़ियों के पदार्पण पर पानी फेर चुकी है। श्रीलंका के प्रसन्ना जयवर्धने इनमें शामिल हैं।
कैंडी में 2000 में पाकिस्तान के खिलाफ जिस मैच में जयवर्धने ने पदार्पण किया उसमें बारिश के कारण पांच दिन तक श्रीलंका की पहली पारी ही समाप्त नहीं हो पायी थी। जयवर्धने को मैदान पर उतरने का मौका भी नहीं मिला था। इसके बाद जयवर्धने को अगला मैच खेलने के लिये दो साल तक इंतजार करना पड़ा। वैसे इस मामले में भारत के रोहित शर्मा से दुर्भाग्यशाली शायद कोई खिलाड़ी नहीं होगा। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फरवरी 2010 में नागपुर में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करना था। वह मैच से कुछ देर पहले फुटबाल खेलते हुए चोटिल हो गये। उस घटना को तीन साल बीत गये हैं और रोहित अब भी टेस्ट मैचों में पदार्पण का इंतजार है।