प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
रीयल एस्टेट कंपनी आम्रपाली ग्रुप के दो वरिष्ठ अधिकारियों को मजदूरों के वेलफेयर में खर्च होने वाले पैसे को जमा नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है. इन दोनों अधिकारियों को कंपनी के नोएडा सेक्टर- 62 ऑफिस से गिरफ्तार किया गया. लेबर वेलफेयर सेस का करीब 4 करोड़ 29 लाख रुपये जमा नहीं कराने पर यह कार्रवाई की गई है.
अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों को कई बार तहसीलदार की तरफ से नोटिस जारी किए गए, लेकिन बिल्डर की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. डिप्टी लेबर की तरफ से भी कई नोटिस भेजे गए, लेकिन जब लेबर वेलफेयर सेस जमा नहीं कराया गया जिसके बाद एसडीएम ने यह कार्रवाई की है.
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आम्रपाली ग्रुप ने एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी, लेकिन उसने वेलफेयर सेस का पैसा जमा नहीं किया. यह रकम बढ़ते-बढ़ते 4 करोड़ 29 तक पहुंच गई. रुपये जमा नहीं कराने पर कंपनी को नोटिस जारी किया गया था. नोटिस का जवाब न मिलने पर नियमानुसार रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी की गई थी. लेकिन, निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी रकम नहीं जमा कराने पर सीईओ नीतीश कुमार सिन्हा और कंपनी के डायरेक्टर निशांत मुकुंद को गिरफ्तार कर लिया गया.
एसडीएम ने बताया कि लेबर रेवन्यू एक्ट 171 के तहत नियम के अनुसार 100 मीटर से अधिक भूमि पर निर्माण करने के एवज में किसी भी व्यक्ति या कंपनी को अनुमानित लागत का एक प्रतिशत रकम लेबर वेलफेयर सेस के रूप में डिप्टी लेबर कमिश्नर के ऑफिस में जमा कराना होता है. इस रकम को श्रमिकों के कल्याण के लिए बनाई गई शासन योजना पर खर्च किया जाता है. अधिकारियों का मानना है कि इस गिरफ्तारी से एक मैसेज जाएगा और जिस बिल्डर का भी सेस का बकाया होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.
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सूत्रों की मानें तो आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा को कई बार विभिन्न मामलों में नोएडा ऑथारिटी तलब कर चुकी है लेकिन वो एक बार भी हाज़िर नहीं हुए हैं. आम्रपाली के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में लगभग 40,000 फ़्लैट खरीदारों का घर का सपना अधर में लटका हुआ है. आम्रपाली के सभी प्रोजेक्ट्स में काम लगभग ठप हैं.
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल ही कहा था कि रीयल एस्टेट क्षेत्र द्वारा योजनाओं को आधा-अधूरा छोड़ देना सबसे बड़ा संकट है. नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में यही समस्या सामने आ रही है. लगभग डेढ़ लाख खरीदारों को पैसे जमा करने के बाद भी घर नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयास पर कुछ बिल्डरों ने सकारात्मक रुख अपनाया और आवास देने की समयसीमा तय कर दी, जबकि कुछ बिल्डर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं. बातचीत से रास्ता न निकलने पर सरकार को सख्त कदम उठाना पड़ेगा.
अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों को कई बार तहसीलदार की तरफ से नोटिस जारी किए गए, लेकिन बिल्डर की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. डिप्टी लेबर की तरफ से भी कई नोटिस भेजे गए, लेकिन जब लेबर वेलफेयर सेस जमा नहीं कराया गया जिसके बाद एसडीएम ने यह कार्रवाई की है.
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