दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार ने उसकी दिल्ली सरकार की बहु प्रतीक्षित और महत्वाकांक्षी राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना पर एक बार फिर रोक लगा दी है. आम आदमी पार्टी ने इसके लिए केंद्र सरकार और भाजपा को आड़े हाथों लिया है. आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 'भाजपा और राशन माफियाओं के बीच साठगांठ के कारण केंद्र सरकार ने राशन की डोरस्टेप डिलीवरी पर रोक लगाई है. राशन डीलरों ने एलजी को पत्र लिखकर डोरस्टेप डिलीवरी योजना को नामंजूर करने की अपील की थी, जिसकी कॉपी केंद्र सरकार को भी भेजी गई थी. डीलरों की कॉपी को ही आधार मानकर केंद्र सरकार ने योजना पर रोक लगा दी. उन्होंने कहा कि यह कृत्य बड़ी साठगांठ की ओर इशारा करता है.
30 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को लागू करने की सशर्त मंजूरी दी थी. योजना को लागू करने की मंजूरी देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार यह योजना लागू कर सकती है लेकिन उचित दर दुकानों में राशन की कमी नहीं होनी चाहिए. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह सभी उचित दर मूल्य की दुकानों (राशन दुकानों) को उन कार्डधारकों की जानकारी दें जिन्होंने घर पर ही राशन प्राप्त करने का विकल्प चुना है. इसके बाद उचित दर मूल्य के दुकानदारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के उन लाभार्थियों को राशन की आपूर्ति करने की जरूरत नहीं पड़ेगी जिन्होंने घर पर ही राशन प्राप्त करने का विकल्प चुना है. ऐसे में इन दुकानों पर ऐसे लोगों का राशन भेजे जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश को आधार बनाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घर का राशन योजना की फाइल उपराज्यपाल को मंजूरी के लिए भेज दी थी.
AAP प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस एनएफएसए एक्ट को आधार बनाया है, उसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था और यह हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना का मामला भी बनता है.
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हाईकोर्ट से राशन की डोरस्टेप डिलीवरी की इजाजत मिलने के बाद केजरीवाल सरकार ने योजना लागू करने के लिए एलजी से इजाजत मांगी थी.
आपको बता दें कि दिल्ली में राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना लागू करने को लेकर केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल में काफी समय से विवाद चल रहा है. केजरीवाल सरकार राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को लागू करने पर अड़ी है, जबकि एलजी और केंद्र सरकार इसका विरोध कर रहे हैं. इसी साल मार्च महीने में दिल्ली सरकार इस बहुप्रतीक्षित योजना को शुरू ही करने वाली थी कि केंद्र सरकार ने इस पर रोक लगा दी और उसके बाद लगातार यह योजना केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच में विवाद का कारण बनी हुई है.
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