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ट्रंप के शपथ से पहले हिंडनबर्ग ने समेट लिया अपना बोरिया-बिस्तर, Adani Group पर आरोप लगाने वाली फर्म का कारोबार हुआ बंद

Hindenburg Research Shuts Down: नाथन एंडरसन ने हिंडनबर्ग को बंद करने के फैसले को 'व्यक्तिगत' निर्णय बताया. यह कदम डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से ठीक पहले उठाया गया, जो कुछ हद तक चौंकाने वाला है.

ट्रंप के शपथ से पहले हिंडनबर्ग ने समेट लिया अपना बोरिया-बिस्तर, Adani Group पर आरोप लगाने वाली फर्म का कारोबार हुआ बंद
Short-seller Hindenburg Research Disbands: हिंडनबर्ग रिसर्च ने 2023 में आदाणी ग्रुप को निशाना बनाते हुए जो रिपोर्ट जारी की थी, उसे आदाणी ग्रुप ने "झूठ" और इस रिपोर्ट को "भारत पर हमला" के रूप में बताया था.
नई दिल्ली:

अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसने भारत के आदाणी ग्रुप समेत कई अन्य बड़ी कंपनियों को निशाना बनाकर उनके खिलाफ कई बेबुनियाद और झूठे आरोप आरोप लगाए थे, अब बंद होने जा रही है. हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन ने इस कंपनी को बंद करने का ऐलान किया. इस कंपनी ने अपनी रिपोर्ट्स के जरिए ना केवल भारत के आदाणी ग्रुप बल्कि अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों को भी अपना निशाना बनाया था.

यह कंपनी 2017 में स्थापित हुई थी और इसका मुख्य काम  शेयर बाजार की गड़बड़ियों, अकाउंट मिसमैनेजमेंट और हेरफेर का पता लगाना था. अब,हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने के साथ एक दौर खत्म हो रहा है, जो लंबे समय से शॉर्ट-सेलिंग और खुलासों के खेल का हिस्सा था.

क्यों बंद हो रहा हिंडनबर्ग रिसर्च ?

नाथन एंडरसन ने हिंडनबर्ग को बंद करने के फैसले को 'व्यक्तिगत' निर्णय बताया. हालांकि उन्होंने इसके लिए कोई एक खास कारण नहीं बताया, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कंपनी ने अपनी मंजिल तक पहुंचने के बाद इसे समाप्त करने का फैसला लिया. उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया कि यह फैसला कई बातचीतों और विचार-विमर्श के बाद लिया गया.

ट्रंप के शपथ पहले हिंडनबर्ग के बंद करने होने के फैसले ने चौकाया

फाउंडर नाथन एंडरसन ने कंपनी को बंद करने के फैसले के बारे में जो कारण दिए हैं, वे कुछ हद तक अस्पष्ट हैं. खास बात यह है कि यह कदम डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से ठीक पहले उठाया गया, जो कुछ हद तक चौंकाने वाला है.कई लोग इसे राजनीतिक तौर पर एक सोच-समझकर उठाया गया कदम मान रहे हैं.

अदाणी ग्रुप के खिलाफ झूठे आरोप लगाकार विवादों में आई कंपनी

यह फर्म, खासकर 2023 में विवादों में आई थी जब इसने अदाणी ग्रुप के खिलाफ रिपोर्ट पब्लिश की थी, तब रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे, जो बाद में सेबी की जांच में निराधार पाए गए.  अदाणी ग्रुप ने भी इस रिपोर्ट को सिरे से नकरा दिया था. इसके बाद, हिंडनबर्ग ने कई अन्य कंपनियों, जैसे डोरसी के ब्लॉक इंक और इकान एंटरप्राइजेज पर भी रिपोर्ट जारी की थी, जिनसे इन कंपनियों को भारी नुकसान हुआ था.

हिंडनबर्ग रिसर्च ने 2023 में आदाणी ग्रुप को निशाना बनाते हुए जो रिपोर्ट जारी की थी, उसे आदाणी ग्रुप ने "झूठ" और इस रिपोर्ट को भारत पर हमला के रूप में बताया था. इस रिपोर्ट ने भारत की प्रमुख कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसे ग्रुप ने पूरी तरह से नकारा किया था.

हिंडनबर्ग और शॉर्ट-सेलिंग का खेल

हिंडनबर्ग का नाम आते ही एक और शब्द जेहन में आता है, और वह है 'शॉर्ट सेलिंग'. यह वह स्ट्रैटजी है जिसके तहत हिंडनबर्ग जैसी कंपनियां अरबों रुपये कमाती थीं. शॉर्ट सेलिंग एक ट्रेडिंग प्रैक्टिस है जिसमें शॉर्ट सेलर उधार के शेयरों को बेचता है और फिर उन्हीं शेयरों को कम कीमत पर खरीद कर मुनाफा कमाता है. हिंडनबर्ग जैसी कंपनियां इस खेल का हिस्सा बनती थीं और अपनी रिपोर्टों से कंपनियों के शेयरों की कीमत गिरने पर शॉर्ट-सेलिंग से फायदा उठाती थीं.

कैसे होता है शॉर्ट-सेलिंग का खेल?

चलिए इसे आपको आसान भाषा में समझाते हैं... शॉर्ट-सेलिंग का मतलब है, बिना किसी स्टॉक को अपने पास रखे उसे बेच देना. शॉर्ट-सेलिंग करने वाले कंपनियों का मकसद होता है कि उस कंपनी के शेयर की कीमत गिरे, ताकि वह उधार के शेयर को कम कीमत पर खरीदकर लाभ उठा सकें.

उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कंपनी का स्टॉक 400 रुपये पर है, तो शॉर्ट-सेलर उसे उधार लेकर 400 रुपये में बेच देता है. बाद में जब उस कंपनी का स्टॉक गिरकर 200 रुपये पर आता है, तो वह उधार लिए गए शेयरों को वापस खरीदकर उसे लौटा देता है. इस प्रकार उसे प्रति शेयर 200 रुपये का मुनाफा होता है. हिंडनबर्ग ने कई कंपनियों के साथ शॉर्ट-सेलिंग का ये खेल खेला था.

शॉर्ट-सेलिंग में क्या है रिस्क?

हालांकि, आपको ये भी जानना जरूरी है कि शॉर्ट-सेलिंग के जरिए मुनाफा तो हो सकता है, लेकिन इसमें भारी रिस्क भी होता है. अगर शेयरों की कीमत नहीं गिरती, बल्कि बढ़ जाती है, तो शॉर्ट-सेलर को बड़ा नुकसान हो सकता है. यही वजह है कि शॉर्ट-सेलिंग को एक खतरनाक और बाजार के लिए हानिकारक माना जाता है, क्योंकि यह निवेशकों को नुकसान में डाल सकता है और मार्केट की स्टेबिलिटी को हिला सकता है.

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट्स के जरिए ना केवल भारतीय कंपनियों बल्कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ भी कई बड़े खुलासे किए थे. हालांकि, अब एंडरसन ने अपने अनुभव, संघर्ष और उपलब्धियों के बारे में बताते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का फैसला लिया है. उनका कहना है कि उनका काम पूरा हो चुका है, और अब समय आ गया है कि वह इसे बंद कर दें.

हालांकि, हिंडनबर्ग का बंद होना कई सवाल छोड़ता है, लेकिन यह भी दिखाता है कि शॉर्ट-सेलिंग का खेल अब समाप्त हो सकता है.

(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)

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