
भारत में स्टार्टअप्स की संख्या लगातार बढ़ रही है और युवा अब चाहते हैं कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों की तरह भारत से भी ग्लोबल टेक दिग्गज कंपनी बनकर निकलें. लेकिन स्टार्टअप फाउंडर्स की सबसे बड़ी चिंता कॉम्प्लायंस यानी नियम-कानून का बोझ है. मुनाफा पहले ही बहुत कम मार्जिन पर होता है और ऐसे में कड़े नियम बड़ी मुसीबत बन जाते हैं.
जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से NDTV Profit के GST कॉन्क्लेव में यह सवाल पूछा गया कि क्या सरकार स्टार्टअप्स के लिए कॉम्प्लायंस आसान करेगी ताकि भारत में भी चैटजीपीटी जैसी टेक्नोलॉजी बन सके, तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके जवाब में बड़ी बातें कह दी.
सरकार स्टार्टअप्स की हर समस्या पर ध्यान देने के लिए तैयार:वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी तरफ से कॉम्प्लायंस आसान करने के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि मोदी सरकार के पिछले दोनों कार्यकालों में सैकड़ों पुराने कानून हटा दिए गए हैं और नियमों को आसान बनाया गया है. लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर कोई दिक्कत राज्यों के कानूनों से आती है तो उस पर राज्य सरकारों को कदम उठाना होगा. फिर भी, केंद्र सरकार स्टार्टअप्स की हर समस्या पर ध्यान देने के लिए तैयार है.
केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारी
सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार उन नियमों पर लगातार काम कर रही है जो उसके दायरे में आते हैं. लेकिन स्टार्टअप्स ज्यादातर राज्यों में काम करते हैं और अगर कोई कॉम्प्लायंस राज्य सरकार के कानूनों से जुड़ा है तो उन्हें ही बदलाव करना होगा. उन्होंने माना कि यह बोझ एंटरप्रेन्योर पर बराबर पड़ता है, लेकिन केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर इसे आसान बनाना होगा.
क्या भारत में बनेगा अपना चैटजीपीटी?
GST कॉन्क्लेव में यह भी बात सामने आई कि भारत का युवा चाहता है कि अब विदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निर्भरता घटे और भारत खुद का चैटजीपीटी जैसी टेक्नोलॉजी बनाए. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार इसके लिए स्टार्टअप्स को हर तरह से सपोर्ट करने को तैयार है. उन्होंने स्टार्टअप फाउंडर्स को भरोसा दिलाया कि जो भी समस्या सामने आएगी, उसे दूर करने के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है.
इससे साफ है कि आने वाले समय में सरकार की कोशिश रहेगी कि स्टार्टअप्स को नियम-कानून के बोझ से राहत मिले ताकि भारत से भी चैटजीपीटी जैसी ग्लोबल टेक इनोवेशन निकल सके.
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