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फिलिस्तीन की ‘आजादी’ पर अकेला पड़ा इजरायल और अमेरिका, क्या यूरोप की मान्यता से गाजा की किस्मत बदलेगी?

ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बाद फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले संयुक्त राष्ट्र के 147 देशों की लिस्ट में बेल्जियम, फ्रांस, लक्जमबर्ग, माल्टा और संभवतः न्यूजीलैंड और लिकटेंस्टीन भी सोमवार को शामिल हो जाएंगे.

फिलिस्तीन की ‘आजादी’ पर अकेला पड़ा इजरायल और अमेरिका, क्या यूरोप की मान्यता से गाजा की किस्मत बदलेगी?
  • ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है
  • संयुक्त राष्ट्र के 147 देशों में बेल्जियम, फ्रांस, लक्जमबर्ग, माल्टा समेत कई देश भी फिलिस्तीन को मान्यता देंगे
  • नेतन्याहू ने फिलिस्तीन को आतंकवादी देश बताते हुए कहा जॉर्डन नदी के पश्चिम में किसी देश को स्वीकार नहीं करेंगे
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ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार, 21 सितंबर को अलग-अलग लेकिन कॉर्डिनेट करके दिए बयानों में औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को आजाद देश की मान्यता की घोषणा कर दी. यह बड़ा कदम है क्योंकि यह पहली बार है जब G7 के एडवांस अर्थव्यवस्था वाले देशों ने फिलिस्तीनी देश को मान्यता दी है. पुर्तगाल ने भी रविवार देर रात अपने इस कदम की घोषणा कर दी. 

फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले संयुक्त राष्ट्र के 147 देशों की लिस्ट में बेल्जियम, फ्रांस, लक्जमबर्ग, माल्टा और संभवतः न्यूजीलैंड और लिकटेंस्टीन भी सोमवार को शामिल हो जाएंगे. फिलिस्तीनी-इजरायली संघर्ष के दो-राज्य समाधान ( टू स्टेट सॉल्यूशन) के कमजोर होते उद्देश्य को पुनर्जीवित करने के लिए ये सभी देश सोमवार को एक विशेष संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में अपनी औपचारिक घोषणा करने के लिए तैयार हैं.

इजरायल और अमेरिका इस मुद्दे पर बैकफुट पर नजर आ रहे हैं क्योंकि उनके पार्टनर पश्चिमी देश ऐसा कदम उठा रहे हैं. 

इजरायल और अमेरिका ने क्या कहा?

इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को चेतावनी जारी की और उन पर 7 अक्टूबर के हमास हमले के मद्देनजर "आतंकवाद को बढ़ावा देने" का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि "जॉर्डन नदी के पश्चिम में" कोई फिलिस्तीनी देश नहीं होगा.

एक बयान में, प्रधान मंत्री नेतन्याहू ने कहा, "कोई फिलिस्तीनी देश नहीं होगा. हमारी भूमि के मध्य में एक आतंकवादी देश को मजबूर करने के नवीनतम प्रयास का जवाब संयुक्त राज्य अमेरिका से मेरी वापसी के बाद दिया जाएगा." उन्होंने कहा, "मेरा उन नेताओं को स्पष्ट संदेश है जो 7 अक्टूबर के भयावह नरसंहार के बाद फिलिस्तीनी देश को मान्यता दे रहे हैं: आप आतंक को बड़ा पुरस्कार दे रहे हैं. और मेरे पास आपके लिए एक और संदेश है: ऐसा नहीं होने वाला है. जॉर्डन नदी के पश्चिम में कोई फिलिस्तीनी देश नहीं होगा."

वहीं अमेरिका ने रविवार को ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा सहित कई प्रमुख सहयोगियों द्वारा फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता को दिखावा करार दिया. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारा ध्यान गंभीर कूटनीति पर है, न कि प्रदर्शनात्मक इशारों (दिखावे) पर. हमारी प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं: बंधकों की रिहाई, इजरायल की सुरक्षा और पूरे क्षेत्र के लिए शांति और समृद्धि जो केवल हमास से मुक्त होकर ही संभव है."

क्या फिलिस्तीन के लिए कुछ बदलेगा?

दो-राज्य समाधान को आगे बढ़ाने के प्रयासों को बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है- जिसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका और इजरायल का कड़ा विरोध है. अमेरिका ने फिलिस्तीनी अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र के महासभा में शामिल होने से भी रोक दिया है. और प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जो फिलिस्तीनी देश के दर्जे के कट्टर विरोधी हैं, ने अपनी प्रतिक्रिया में एकतरफा कार्रवाई करने की धमकी दी है - संभवतः वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों पर कब्जा भी शामिल है.

नेतन्याहू फिलिस्तीनी देश की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को इजरायल पर हमले के रूप में चित्रित करते हैं. पिछले सप्ताह अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के साथ बैठक के दौरान नेतन्याहू ने कहा, "यह स्पष्ट है कि यदि हमारे खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाती है, तो यह हमारी ओर से एकतरफा कार्रवाई को न्योता देता है."

नेतन्याहू और उनके धुर दक्षिणपंथी गठबंधन सहयोगी लंबे समय से वेस्ट बैंक के बड़े हिस्से पर कब्जा करना चाहते हैं, जिससे एक फिलिस्तीनी देश स्थापित करना लगभग असंभव हो जाएगा.

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