- 2026 में GDP, घरेलू मांग और इंफ्रा निवेश एक साथ तेजी पकड़ सकते हैं, जिससे भारत की ग्रोथ कहानी बड़ा मोड़ लेगी.
- IMF, ADB, RBI ने भारत की ग्रोथ रेट को ऊंचा रखा है. FDI, मैन्युफैक्चरिंग, शेयर बाजार सभी मजबूत संकेत दे रहे.
- नए प्लांट, बढ़ती नौकरियां, कम महंगाई, बढ़ती आमदनी - 2026 को कमाई, रोजगार, सुविधाओं का बड़ा साल बना सकते हैं.
भारत की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों में कई उतार–चढ़ाव देख चुकी है. कभी ग्रोथ तेज हुई, कभी महंगाई ने परेशान किया, कभी वैश्विक मंदी ने दबाव डाला. इन सब के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था बगैर रुके हर साल थोड़ा और मजबूत होती जा रही है. अब हाल ही में आई ADB, RBI, SBI की रिपोर्ट्स से नए साल में विकास दर बढ़ने की उम्मीदें और बलवती गई हैं. ऐसे में भारत की जीडीपी 2026 तक 4 ट्रिलियन डॉलर पार करने की पूरी उम्मीद है.
एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने भारत को बताया एशिया का ‘ग्रोथ इंजन'
ADB ने FY26 (2025–26) के लिए भारत की GDP ग्रोथ अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7.2% किया है. ऐसा घरेलू खपत की मजबूती और तीसरी तिमाही की बेहतर ग्रोथ के कारण. ADB का कहना है कि भारत में टैक्स/जीएसटी सुधारों और खपत में आई तेद वृद्धि ने उसे एशिया का ग्रोथ इंजन बना दिया है.

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रिजर्व बैंक और अर्थशास्त्रियों की राय
RBI समेत कई आर्थिक संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों ने FY26 के लिए ग्रोथ अनुमान 6.5–7.5% के बीच दिए हैं. उदाहरण के लिए, एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2026 दूसरी छमाही में GDP वृद्धि 7.5% या उससे अधिक हो सकती है. इसी प्रकार, International Monetary Fund (IMF) ने 2025 के लिए 6.6% ग्रोथ अनुमानित किया है, जो पहले की तुलना में अधिक है. कई अर्थशास्त्री और बाजार विश्लेषक अब कह रहे हैं कि अगर घरेलू मांग, निवेश और नीतिगत समर्थन बना रहा, तो 2026–2035 के दशक में भारत ‘तेज ग्रोथ की लहर' देख सकता है. अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि 2026 भारत की आर्थिक कहानी में एक बड़ा मोड़ बन सकता है. कई एक्सपर्ट इसे एक शुरुआत भर भी बता रहे हैं.
एक्सपर्ट्स इसके पीछे इन्हें वजह बता रहे हैं-
• स्थिर नीतियां
• मजबूत घरेलू मांग
• सरकारी निवेश का बड़ा असर
• ग्लोबल कंपनियों का भारत की तरफ रुख
• रोजगार बढ़ने के संकेत
• शेयर बाजार का विश्वास
ये सब मिलकर 2026 को बहुत खास बनाते हैं.

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FY25 में क्या हुआ, जिससे लगता है भविष्य का अंदाजा
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के ताजा अनुमान के अनुसार FY25 में भारत की GDP ग्रोथ लगभग 6.5% रही. यानी GDP ग्रोथ न बहुत तेज, न कमजोर लेकिन बेहद स्थिर रही. MOSPI Q4 FY25 के आंकड़ों के मुताबिक FY25 की आखिरी तिमाही में यानी जनवरी–मार्च 2025 में GDP बढ़कर 7.4% पहुंच गया. इसका मतलब है कि साल की शुरुआत भले साधारण रही हो, लेकिन अंत आते–आते ग्रोथ ने अच्छी रफ्तार पकड़ ली थी.
कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा चमके?
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक कंस्ट्रक्शन सेक्टर में करीब 9–10% की ग्रोथ, आरबीआई वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट 2025 के अनुसार रियल एस्टेट और फाइनेंशियल सर्विसेज मजबूत रहीं. वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मध्यम ग्रोथ देखी गई. वहीं नैसकॉम आउटलुक 2025 के मुताबिक IT और एक्सपोर्ट सेक्टर को ग्लोबल मंदी का दबाव सहना पड़ा. इसके बावजूद अर्थव्यवस्था में वृद्धि स्थिर रही, इसका मतलब यह है कि भारत का आर्थिक बुनियाद मजबूत है.

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2026 में क्या संभावनाएं हैं?
अगर FY25 सामान्य था, तो सवाल ये है कि 2026 इतना खास क्यों माना जा रहा है? इसकी वजह यह है कि कई बड़े ट्रेंड एक साथ जुड़ रहे हैं. इसमें एक बड़ी वजह घरेलू मांग का लगातार बढ़ना एक मजबूत आधार बताया जा रहा है. भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत यहां की आबादी और उनकी खरीदारी की क्षमता है.
नाइट फ्रैंक इंडिया रियल एस्टेट रिपोर्ट 2024 में बताया गया है कि भारत में घरों की बिक्री 11% बढ़कर 5.4 लाख यूनिट पर पहुंच गया है.
बात अगर एयर ट्रैवल की करें तो इस साल नवंबर-दिसंबर में इंडिगो संकट की वजह से भले ही आंकड़ों पर असर पड़ सकता है लेकिन डीजीसीए डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक 2024 के आंकड़े बताते हैं कि एयरलाइन ट्रैवल की संख्या पिछले साल यानी 2014 में 15.6 करोड़ पहुंच गई है जो कि अब तक का रिकॉर्ड है.
आरएआई रिटेल कंजम्पशन इंडेक्स 2024 के आंकड़े बताते हैं कि मॉल, रेस्टोरेंट और सिनेमा हॉल में फुटफॉल कोविड के वर्षों के स्तर से ऊपर बढ़ गए हैं. वहीं कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) 2024 के मुताबिक फेस्टिव सीजन 2024–25 में भारत ने 2.6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए. इसका मतलब यह है कि भारतीय लगातार खर्च कर रहे हैं, खरीदारी कर रहे हैं और उनकी खपत अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा रही है.
2026 में इसका असर क्यों बढ़ेगा?
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) 2025 के अनुसार 2026 में महंगाई कुछ कम होने की संभावना है. लोगों की आय बढ़ रही है, रोजगार के बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं. वहीं RBI ने जो दरें घटाई हैं उससे EMI पर राहत मिलने शुरू हो गए हैं. लिहाजा अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन 2026 में घरेलू मांग ही बनेगा.

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2024-26 में इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़ा निवेश
2024 से 2026 तक कितना निवेश हुआ- इन तीन वर्षों में मिलाकर 30–33 लाख करोड़ रुपये का सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश हुआ है. वित्त मंत्रालय के कैपेक्स स्टेटस नोट्स के अनुसार सरकार पिछले 3–4 साल से भारी भरकम निवेश कर रही है.
• FY24 में कैपिटल एक्सपेंडिचर 37% बढ़ा
• FY25 में Capex बजट 11.1 लाख करोड़
• FY26 में इसके और बढ़ने की उम्मीद है

इसका असर क्या होगा?
• नई सड़कें
• नए एक्सप्रेसवे
• मेट्रो विस्तार
• बिजली क्षमता में बढ़ोतरी
• बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स अपग्रेड
• औद्योगिक कॉरिडोर तैयार
ये सभी चीजें 2026 में जमीन पर दिखने लगेंगी. यही कारण है कि नीति आयोग इंफ्रा आउटलुक 2026 को इंफ्रा डिलीवरी ईयर कह रहा है.
ग्लोबल सप्लाई चेन भारत की तरफ क्यों?
दुनिया के कई बड़े देश चीन पर निर्भरता कम कर रहे हैं. इसे China+1 strategy कहा जाता है. इसका फायदा भारत को मिल रहा है क्योंकि यहां बड़ी संख्या में युवा वर्कफोर्स मौजूद है, तो लागत सस्ती है, यह नीतियों और सुरक्षा के नजरिए स्थिर अर्थव्यवस्था है और सबसे बड़ी बात यहां दुनिया का सबसे बड़ा घरेलू बाजार मौजूद है.
कौन-कौन निवेश कर रहा है? 2026 में कैसे इसका असर दिखेगा?
RBI की FDI बुलेटिन के मुताबिक 2024–25 के बीच भारत में 32 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नया विदेशी निवेश आया. एप्पल के बड़े सप्लायर फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स; सोलर सेक्टर में अडानी, रिलायंस; सेमीकंडक्टर में माइक्रोन और टाटा; ऑटो ईवी सप्लाई चेन में हुंडई, विनफास्ट, टेस्ला सप्लायर्स. चूंकि जिन प्रोजेक्ट्स का एलान 2023–24 में हुआ, उनका उत्पादन 2026 में शुरू होगा. ऐसे में कई क्षेत्रों में इससे तेजी आएगी.

IMF, World Bank और RBI - तीनों का भरोसा
दुनिया के बड़े संस्थानों ने भारत के लिए अगले सालों का अनुमान दिया है. World Bank ने कहा है कि भारत 2025–2027 के बीच दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था रहेगा. तो IMF का 2026 के लिए GDP अनुमान 6.6% है. वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वृद्धि दर का अनुमान 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है. यह संशोधन जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2 प्रतिशत की मजबूत आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया गया है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2026 दूसरी छमाही में GDP वृद्धि 7.5% या उससे अधिक हो सकती है. अब एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है.

निवेशक क्यों इतने पॉजिटिव?
स्टॉक मार्केट हमेशा भविष्य को पहले पकड़ता है. शेयर बाजार ने पहले ही संकेत दे दिया है. FY24–25 में निफ्टी और सेंसेक्स रिकॉर्ड हाई पर पहुंचे. PSU स्टॉक्स 40–70% तक बढ़े. बैंकिंग, कैपिटल गुड्स, इंफ्रा सेक्टर में बड़ा उछाल देखने को मिला. वहीं विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) और घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) का रुझान भी बना रहा. 2024–25 के दरम्यान FIIs ने भारत में लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये लगाए. तो बाजार में DIIs ने 2024 में 2.3 लाख करोड़ रुपये डाले. इसका मतलब घरेलू निवेशकों का भरोसा पहले से ज्यादा मजबूत हो चुका है. बाजार अब विदेशी पूंजी के प्रवाह पर पूरी तरह निर्भर नहीं है; घरेलू म्यूचुअल फंड्स, इंश्योरेंस कंपनियाँ, और खुद निवेशक (SIP, म्यूचुअल फंड) अब प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. यह दीर्घकालिक स्थिरता के लिए अच्छा संकेत है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई निवेश बैंकों का अनुमान है कि 2026 के अंत तक प्रमुख शेयर सूचकांक (जैसे Nifty 50) में 10% से अधिक वृद्धि हो सकती है- खासकर अगर उपभोक्ता मांग, आर्थिक वृद्धि और निवेश बनी रहे. लिहाजा इकॉनमी उम्मीदों पर खरी उतरी, तो 2026–27 में बड़ा रिटर्न संभव है.

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क्या 2026 में रोजगार बढ़ेगा?
EPFO पेरोल रिपोर्टिंग 2024 के अनुसार भारत में 1.2 करोड़ नई नौकरियां जुड़ीं हैं. IT सेक्टर में रुकावट आई, लेकिन कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर ने इसे कवर किया. अब चूंकि कंस्ट्रक्शन सेक्टर बूम में है. 2026 में नए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू होने के पूरे आसार हैं. पर्यटन, होटल, ट्रैवल सेक्टर पूरी तरह रिकवर होकर आगे बढ़ेंगे. वहीं डिजिटल सेक्टर में AI और data jobs बढ़ेंगी. ऐसे में नीति आयोग रोजगार विजन डॉक्युमेंट के अनुसार 2026–2030 के बीच भारत में रोजगार तेजी से बढ़ सकता है.
निश्चित तौर पर 2026 में जो भी आर्थिक तेजी आएगी और बदलाव होंगे, उनका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा. ऐसे में ज्यादा नौकरी के मौके हासिल होंगे. बेहतर सड़कें मिलेंगी, घर खरीदना और आसान होगा, ट्रैवल और आसान होगा, EMI के और सस्ती होने की उम्मीद भी है, इज ऑफ डूइंग बिजनेस पर सरकार का फोकस है तो यह और भी आसान होगा, छोटी दुकानों और स्टार्टअप्स के नए मौके हासिल होंगे. तो जब आम आदमी की जेब में पैसा बढ़ेगा तो खर्च भी बढ़ेगा और जीवन स्तर बेहतर होगा.

2026 ‘इकोनॉमिक टर्निंग पॉइंट' कैसे?
GDP में स्थिरता दिख रही है, घरेलू मांग में मजबूती, महंगाई नियंत्रित है और सरकार इंन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर अन्य क्षेत्रों में भारी निवेश कर रही है. वहीं दूसरी तरफ FDI रिकॉर्ड स्तर को छू रहा है, शेयर बाजार पर भरोसा बढ़ा है और ग्लोबल सप्लाई चेन भारत का रुख कर रहे हैं. ऐसे में जानकारों की नजर में 2026-2035 भारत की सबसे तेज ग्रोथ की अवधि हो सकती है. मॉर्गन स्टेनली इंडिया दशक रिपोर्ट का अनुमान है कि इसकी शुरुआत साल 2026 से हो सकती है.
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