संसद का बजट सत्र (Parlaiment's Budget Session) अगले हफ्ते से 31 जनवरी के दिन से शुरू हो रहा है. हर बार की तरह इस साल आम बजट (Union Budget) 1 फरवरी को पेश किया जाना है. पहले बजट फरवरी महीने के आखिरी वर्किंग डे को पेश किया जाता था, लेकिन साल 2015 से यूनियन बजट 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस दिन लोकसभा में केंद्र सरकार का बजट पेश करेंगी. बजट का दिन ऐसा दिन होता है, जब पूरा देश सरकार के बहीखाते और आगे की आर्थिक रणनीतियों की घोषणाओं का साक्षी बनता है. केंद्रीय बजट सरकार के खर्चों की एक विस्तृत रिपोर्ट होती है. इसे सरकार की सालाना फाइनेंशियल रिपोर्ट भी कह सकते हैं जिसमें वो अपनी अर्निंग्स और खर्चों का हिसाब-किताब देती है और आगे की योजनाएं बताती है.
बजट से पहले हम इससे जुड़े कुछ टर्म्स और प्रक्रियाओं का मतलब समझने-समझाने की कोशिश कर रहे हैं, तो आइए बजट को लेकर आप भी हमारे साथ अपना ज्ञान बढ़ाइए.
अंतरिम बजट क्या होता हैकिसी भी सरकार का अंतरिम बजट उसके कार्यकाल के आखिरी साल में पेश किया जाता है. यह बजट भी आम बजट जैसा ही होता है, लेकिन इसमें लोकसभा चुनावों के बाद दूसरी सरकार बनकर आने के बाद उससे पूरे बजट के लिए मंजूरी लेनी होती है. वहीं, अंतरिम बजट पेश कर रही सरकार को देश के कंसॉलिडेटेड फंड से पैसे खर्च करने के लिए पूरे संसद की मंजूरी चाहिए होती है. यानी कि अंतरिम बजट तब पेश किया जाता है, जब कोई भी सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी महीनों में हो, और उसे उन आखिरी महीनों के खर्चों के लिए संसद की मंजूरी लेनी होती है.
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बजट एस्टिमेट क्या होता हैआम बजट के साथ बजट एस्टिमेट पेश होता है. जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है, इसमें सरकार आने वाले वित्तीय वर्ष में कितने खर्च और कमाई का अनुमान है, ये बताती है. सरकार बताती है कि उसे उस वित्तीय वर्ष में इंडिविजुअल इनकम टैक्स, कॉरपोरेट इनकम टैक्स, कस्टम ड्यूटी और GST रेवेन्यू, डिविडेन्स, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग से आने वाले प्रॉफिट और डाइवेस्टमेंट जैसे दूसरे स्रोतों से कितनी कमाई मिलने की उम्मीद है. बजट एस्टिमेट में सरकार अपनी कमाई के साथ-साथ अपने खर्चों का अनुमान भी जारी करती है. इसके तहत बताया जाता है कि उस वित्तीय वर्ष में उसके अलग अलग मंत्रालयों और विभागों में किन-किन योजनाओं पर कितने पैसे खर्च होने का अनुमान है.
रिवाइज्ड एस्टिमेट भी जान लीजिएअब जैसाकि किसी भी एंटिटी के साथ होता है, अनुमान तो अनुमान ही होते हैं, असली नतीजे ऊपर-नीचे भी हो सकते हैं. तो उसी तरह साल भर में सरकार के खर्चों और कमाई के आंकड़े ऊपर-नीचे हो सकते हैं, इसके लिए पेश किया जाता है रिवाइज्ड एस्टिमेट यानी संशोधित अनुमान. सरकार ये रिवाइज्ड आंकड़े अगले साल के बजट में पेश करती है. हां लेकिन नियम है कि अगर सरकार अपने संशोधित अनुमान में कोई खर्च अलग से जोड़ना चाहती है तो उसे इसके लिए पहले संसद की मंजूरी लेनी होगी, तभी वो ये कर सकती है.
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आउटकम बजट क्या होता हैआउटकम बजट वो चीज होती है, जिससे सरकार की जवाबदेही तय होती है. दरअसल, बजट से पहले वित्त मंत्रालय को एक प्रीलिमिनरी आउटकम बजट देना होता है. आउटकम बजट में सरकार के मंत्रालयों और विभागों में कितना काम हुआ है, वो सब कुछ बताया जाता है. मंत्रालय और विभाग बताते हैं कि पिछले साल के बजट में रखे गए लक्ष्यों को लेकर वो कहां तक पहुंचे हैं. पिछले बजट में अलॉट किए गए फंड कहां, कितने खर्च हुए हैं, वगैरह-वगैरह.
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