Ground Report: छोटे और लघु उद्योगों पर तीसरी लहर की मार, बजट में सरकार से विशेष राहत पैकेज की मांग

कोरोना संकट के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे और लघु उद्योगों की मांग है कि वित्त मंत्री बजट 2022 में उनके लिए एक विशेष रहत पैकेज का ऐलान करें. असंगठित क्षेत्र के मज़दूर भी वित्त मंत्री से बजट में राहत की मांग कर रहे हैं.

Ground Report: छोटे और लघु उद्योगों पर तीसरी लहर की मार, बजट में सरकार से विशेष राहत पैकेज की मांग

तीसरी लहर ने बिजनेस सेंटीमेंट को फिर कमज़ोर किया है, स्लोडाउन 25% से 30% तक हुआ है

गाजियाबाद:

कोरोना की तीसरी लहर ने बाजार में बिजनेस सेंटीमेंट को कमज़ोर किया है और इसकी वजह से छोटे-लघु उद्योगों में प्रोडक्शन का काम बाधित हो रहा है. संसद में पेश होने वाले बजट 2022 से ठीक पहले आई इस कोरोना की नई लहर की वजह से अर्थव्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया के धीमा पड़ने का अंदेशा भी बढ़ रहा है. अब कोरोना संकट के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे और लघु उद्योगों की मांग है कि वित्त मंत्री बजट 2022 में उनके लिए एक विशेष रहत पैकेज का ऐलान करें. असंगठित क्षेत्र के मज़दूर भी वित्त मंत्री से बजट में राहत की मांग कर रहे हैं.

गाजियाबाद रोड इंडस्ट्रियल एरिया में हाईटेक ऑटोमेटेड प्रोडक्ट्स बनाने वाली फैक्ट्री में कानपुर मेट्रो के लिए नए ऑटोमेटिक एंट्री गेट बन रहे हैं. इस प्रोडक्शन यूनिट में मेट्रो के लिए ऑटोमेटिक एंट्री गेट को तैयार किया जा रहा है. ऐसे 400 से ज्यादा गेट के ऑर्डर मिले हैं, लेकिन इनके प्रोडक्शन का काम धीमा पड़ गया है.

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फैक्ट्री मालिक संजीव सचदेव कहते हैं, 'कोरोना की तीसरी लहर की वजह से मजदूर फैक्ट्री में कम पहुंच रहे हैं और इससे इन ऑटोमेटिक गेट के प्रोडक्शन पर असर पड़ा है. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "थोड़ा सा काम स्‍लो हुआ है, क्योंकि 25 से 30 फीसदी मजदूर काम पर कम आ रहे हैं. कुछ अस्वस्थ हैं, कुछ अपने घर चले गए हैं. कानपुर मेट्रो के लिए जो हाईटेक एंट्री गेट्स का हमें ऑर्डर मिला है, मुझे उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक कोरोना के हालात स्थिर होंगे और सभी मजदूर वापस काम पर लौट जाएंगे."

दरअसल, मौजूदा वित्तीय साल में छोटे और लघु उद्योगों को कोरोना की दो लहर से जूझना पड़ा है. तीसरी लहर ने बिजनेस सेंटीमेंट को फिर कमज़ोर किया है. स्लोडाउन 25% से 30% तक हुआ है. संजीव सचदेव कहते हैं, "आज के माहौल में बजट 2022 में एक स्टिमुलस पैकेज (Stimulus Package) की सख्त जरूरत है. पिछले साल जो MSME सेक्टर को स्टिमुलस पैकेज दिया था, उसे और आगे बढ़ाना चाहिए. छोटे उद्योगों को आसान शर्तों पर क्रेडिट मिले, ये बेहद जरूरी है." 

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गाजियाबाद रोड इंडस्ट्रियल एरिया में 450 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं. यहां काम करने वाले मजदूरों ने कोरोना की पहली लहर में बड़ी संख्या में पलायन किया था. जो वापस लौटे वह कहते हैं, मजदूरी घट गई है और काम भी कम मिल रहा है. रामदेव हाल ही में दिल्ली से यहां काम के लिए शिफ्ट हुए हैं. रामदेव एनडीटीवी से कहते हैं, "जो वर्कर कोरोना से पहले 20000 कमाता था, अब 10,000 ही कमा पा रहा है. उसके बावजूद काम नहीं मिल रहा है जबकि महंगाई दोगुनी 3 गुनी बढ़ गई है. वित्त मंत्री को वर्करों को राहत देने के लिए बजट में नई घोषणा करनी चाहिए."

उनके सहयोगी वर्कर शैलेन्द्र कहते हैं, "कोरोना से पहले अगर मज़दूरी के लिए हर रोज़ 500 रुपये कमाते थे तो अब 250 ही कमा पाते हैं. सरकार को मजदूरों के लिए दवाई मुफ्त कर देनी चाहिए. मैं बीमार हूं, दवाई खरीदने में काफी खर्च हो जाता है. मजदूर बच्चों को कैसे पालेगा?"

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कोरोना की दूसरी लहर से उबरने में छोटे-लघु उद्योगों को कई महीने लगे थे. पिछले साल नवंबर में उम्मीद बंधी थी कि बिजनेस के माहौल और बेहतर बनेंगे लेकिन कोरोना की तीसरी लहर की वजह से अर्थव्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया फिर काफी धीमी पड़ गई है. अब छोटे-लघु उद्योग जगत की मांग है कि वित्त मंत्री बजट 2022 में उनके लिए एक विशेष राहत पैकेज का ऐलान करें.

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कोरोना से जूझती अर्थव्यवस्था, बजट में राहत पैकेज की मांग