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This Article is From Jan 24, 2017

बजट 2017 : इनकम टैक्स स्लैब और रेट को लेकर सरकार क्या फैसला ले सकती है और क्यों...

बजट 2017 : इनकम टैक्स स्लैब और रेट को लेकर सरकार क्या फैसला ले सकती है और क्यों...
बजट 2017 : इनकम टैक्स स्लैब और रेट को लेकर सरकार क्या फैसला ले सकती है और क्यों...(साकेंतिक फोटो)
नई दिल्ली: 1 फरवरी को पेश होने जा रहे मोदी सरकार के चौथे बजट को लेकर इस साल उम्मीदों का पिटारा लबालब भरा हुआ है. 8 नवंबर को पीएम मोदी के नोटबंदी (विमुद्रीकरण) की घोषणा के 3 महीने बाद आम बजट पेश होने जा रहा है. नोट बैन के असर से न तो आम आदमी और कारोबारी अभी पूरी तरह से उबरे हैं और न ही अर्थव्यवस्था. ऐसे में सरकार से इस बजट को लेकर कई प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं.

सबसे अधिक उम्मीदें इनकम टैक्स स्लैब और रेट को लेकर हैं. आगामी केंद्रीय बजट 2017 को लेकर जानकारों की भी राय है कि सरकार इनकम टैक्स की छूट जोकि अभी 250000 रुपए है, को बढ़ाकर 300000 से 350000 रुपए के बीच कर सकती है.

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इसी कड़ी में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शोध रिपोर्ट भी सोमवार को आई है. एसबीआई की ‘ईकोरैप’ रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार नोटबंदी के बाद बने हालात को देखते हुये अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए प्रत्यक्ष करों में व्यापक फेरबदल कर सकती है. आयकर छूट सीमा को भी 300000 रुपए किया जा सकता है और बैंकों में 5 साल की सावधि जमा के बजाय 5 साल की सावधि जमा पर कर छूट दी जा सकती है.(इस रिपोर्ट में क्या है, यह जानने के लिए यहां क्लिक करें)

एसबीआई शोध की रिपोर्ट के इतर जानकारों का मानना है कि यह छूट बढ़ाकर  400000 रुपए तक भी की जा सकती है. दो साल पहले इनकम टैक्स (आयकर)  छूट की लिमिट 2 लाख रुपए से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए की गई थी. अब कॉस्ट ऑफ लिविंग में इजाफा हो चुका है. ऐसे में आम आदमी के पास खर्च करने के लिए रुपए होने चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि उसकी टेक होम आमदनी बढ़े. व्यक्ति की जेब में पैसा होगा तब बाजार में मांग और आपूर्ति का बैलेंस भी बना रहेगा और निवेश भी अधिक होगा. कंज्यूमर (उपभोक्ता) और इन्वेस्टमेंट (निवेश) के सेंटीमेट की बेहतरी के लिए भी इनकम टैक्स के स्लैब को बढ़ाना या/ और रेट के दायरे को बढ़ाना जरूरी माना जा रहा है.

मौजूदा इनकम टैक्स स्लैब और रेट...
इस वक्त देश में लागू व्यवस्था में 2,50,000 रुपये वार्षिक तक करयोग्य आय वालों को कोई आयकर नहीं देना होता जबकि 2,50,001 से 5,00,000 रुपये तक 10 फीसदी टैक्स, 5,00,001 से 10,00,000 रुपये तक की करयोग्य आय वालों को 20 फीसदी टैक्स और 10,00,001 तथा उससे अधिक कमाने वालों को 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है.

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