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This Article is From May 18, 2020

कोरोना संकट से उबरने के लिए मिडिल क्लास को अमरीका और जर्मनी ने क्या दिया है

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 18, 2020 15:31 pm IST
    • Published On मई 18, 2020 15:31 pm IST
    • Last Updated On मई 18, 2020 15:31 pm IST

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में कोविड-19 के बाद आर्थिक पैकेज या सामाजिक सुरक्षा की मदद के 246 कार्यक्रम शुरू हुए हैं. दुनिया में जितने भी पैकेज दिए गए हैं उनसे से 30.7 प्रतिशत कैश ट्रांसफर वाली योजनाएं हैं. इनमें से 129 योजनाएं बिलकुल नई हैं और बाकी वो हैं जो पहले से चली आ रही हैं. 37 देशों ने अपने यहां नगदी देने का कवरेज बढ़ा दिया यानी पहले से अधिक लोगों को कैश देना शुरू किया. 88 देशों में पहले से चली आ रही कैश ट्रांसफर योजना की राशि बढ़ा दी गई है.

आपको बता दें कि कोविड-19 के बाद दुनिया भर में बेरोज़गारों को आर्थिक मदद देने के 99 प्रकार के कार्यक्रम चल रहे हैं. जर्मनी में स्व-रोज़गार, फ्री-लांसर और छोटे बिजनेसमैन को तीन महीने तक 15000 यूरो तक यानी 12.5 लाख रुपए मिलेंगे. इसके लिए जर्मनी की सरकार 50 बिलियन यूरो, 4 लाख करोड़, खर्च करेगी. बाल-बच्चे वाले ऐसे माता-पिता जिनकी आमदनी बंद हो गई हैं उन्हें सितंबर तक चाइल्ड बेनिफिट मिलेगा. एक बच्चे पर 185 यूरो, हर महीने साढ़े 15 हज़ार रुपए. जर्मनी ने एक एक्ट बनाया है जिसका नाम है Infection Protection Act, बिजनेस बंद होने पर भी कंपनी का मालिक छह हफ्ते तक कर्मचारी को सैलरी देगा. सरकार इसके लिए कंपनी को पैसा देगी. बेशक इस दौरान सैलरी का 60 प्रतिशत मिलेगा और बच्चे हैं तो 67 प्रतिशत मिलेगा. इसे बढ़ा कर अब 80 फीसदी कर दिया है, कम कमाई वाले लोगों को सैलरी का 80 फीसदी सरकार देगी. 12 महीने तक इस आधार पर वेतन मिलेगा.

अमरीका ने भारत की कुल जीडीपी से के बराबर यानी 2.7 ट्रिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की है. अभी और 3 ट्रिलियन डॉलर के पैकेज पर विचार विमर्श चल रहा है. अमरीका में सभी वयस्क को 1200 डॉलर यानी 92000 रुपए औऱ बच्चे को 500 डॉलर दिया गया है, क़रीब 38 हज़ार रुपए. 75000 डॉलर या 57 लाख की सालाना आमदनी और उससे नीचे के सभी को ये पैसा मिला है. 75000 डॉलर से अधिक सालाना आमदनी वालों को भी मिलेगा लेकिन उनका हिस्सा कम होता जाएगा. ग़ैर नागरिक, शरणार्थी, स्थानी निवासी सबको एक बार के लिए यह पैसा मिला है. इस पैसे के लिए किसी को फार्म तक नहीं भरना पड़ा. खाते में पैसा आ गया.

जापान ने 1.1 ट्रिलियन डॉलर का पैकेज दिया है. अपनी जीडीपी का 21.1 प्रतिशत. हर नागरिक के खाते में 930 डॉलर, 71000 रुपये से ज़्यादा, दे दिया गया है. जीडीपी का 2 प्रतिशत इस पर खर्च हुआ. छोटे व मझोले उद्योगों में जितने दिन काम बंद होंगे, उतने दिनों के वेतन का दो तिहाई सरकार देगी. यह योजना इसलिए है ताकि काम बंद होने से लोगों की नौकरियां न जाए.

ब्रिटेन में 15 प्रतिशत लोग अपना रोज़गार करते हैं. ऐसे जितने भी लोग कोरोना वायरस के कारण प्रभावित हुए हैं, काम धंधा बंद हुआ है, उन्हें सरकार ने मदद देने का एक फार्मूला निकाला है. पिछले तीन साल में हर महीने उनका औसत मुनाफा होता था, उसका 80 प्रतिशत हिस्सा सरकार देगी. एक महीने में यह राशि 2500 पाउंड, क़रीब 2 लाख 35000 रुपए, तक होती है. करीब 38 लाख कामगारों को इससे लाभ होगा. इनमें बाल काटने वाले से लेकर सफाईकर्मी तक शामिल हैं.

मलेशिया ने भी आमदनी के आधार पर सभी नागरिकों के खाते में पैसे दिए हैं. टैक्सी रिक्शा चलाने वालों के खाते में भी एक बार के लिए पैसा दिया गया है. हर तरह के उपभोक्ता लोन के भुगतान पर छह महीने की रोक लगा दी गई है. बिजली बिल में 15 से 50 प्रतिशत की छूट दी गई है. 1 अप्रैल से सभी मोबाइल पर इंटरनेट फ्री कर दिया गया है. जिन लोगों के काम बंद हुए हैं उनकी मजदूरी का भुगतान सरकार कर रही है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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