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This Article is From Dec 17, 2015

विराग गुप्‍ता : सीबीआई को आज़ाद कर 'ततैया' बनाने का राजधर्म

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 17, 2015 18:14 pm IST
    • Published On दिसंबर 17, 2015 17:36 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 17, 2015 18:14 pm IST
प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार पर छापे के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मोदी द्वारा सीबीआई के दुरूपयोग और फिर आज की प्रेस कांफ्रेंस से डीडीसीए में सैकड़ों करोड़ के भ्रष्टाचार के विरुद्ध आक्रामक अभियान छेड़ दिया है। कीर्ति आजाद जो भाजपा के तीन बार के सांसद हैं उनके 200 पत्रों का जवाब जेटली जी नहीं दे पाये और अब 'आप' के आरोपों को राजनीति प्रेरित तथा केजरीवाल को हिस्टीरियाग्रस्त बता कर मुक्ति चाहते हैं। परन्तु कुछ वर्ष पूर्व वह भी कांग्रेस के विरूद्ध ऐसे ही पैंतरेबाजी करते थे। विपक्ष में रहकर सीबीआई को गाली देने वाले सभी राजनीतिक दलों द्वारा सता में आने पर सीबीआई का तीन तरह से दुरुपयोग होता है जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस लोढ़ा ने सीबीआई को सरकारी पिंजरे में बंद तोता कहा था।

- सत्तारूढ़ दल द्वारा अपने नेताओं के विरुद्ध सीबीआई द्वारा कार्रवाई न होने देना जैसा शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह, वसुंधरा राजे सिंधिया, पंकजा मुंडे और डीडीसीए सहित अन्य मामलों में हो रहा है।
- सत्तारूढ़ दल द्वारा राजनैतिक विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए प्रतिशोधात्मक कार्रवाई जैसा की ममता बनर्जी और वीरभद्र सिंह के विरुद्ध हुआ।
- संसद में जीएसटी जैसे बिलों को पास कराने के एवज में भ्रष्टाचार के मामलों को शिथिल करना जैसा की यादव सिंह, मुलायम सिंह, मायावती तथा जयललिता इत्यादि के मामले में किया गया।

केजरीवाल द्वारा इसके पहले अपने विधायकों सोमनाथ भारती, राखी बिडलान और जीतेंद्र तोमर का बचाव भारी पड़ा है और इसी वजह से अब वो राजेंद्र के बचाव की बजाय जेटली के पीछे पड़ कर अपने नैतिक धरातल को ऊपर रखने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली सरकार के आईएएस ऑफिसर आशीष जोशी की शिकायत तथा ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के पत्र के बावजूद केजरीवाल ने राजेंद्र कुमार की जांच नहीं कराई और उल्‍टे जोशी को ही जलील करके हटा दिया। चहेते अधिकारी राजेन्द्र कुमार के विरुद्ध सीबीआई जांच और रेलवे झुग्गी कांड की राजनीतिक बिसात विफल होने पर वो भड़क कर राजनीति की मर्यादाओं को भी ध्वस्त कर रहे हैं।

मोदीजी की वेबसाइट पर मौजूद टिप्पणियों के अनुसार 2 वर्ष पूर्व इसी नाटकीय तर्ज़ पर कांग्रेस को घेरते हुए मोदी ने खुद को और अमित शाह को फंसाने के लिए सीबीआई के राजनीतिक दुरूपयोग के आरोप लगाये थे। परन्तु भाजपा की सरकार बनने पर उनके द्वारा सीबीआई की कार्यप्रणाली में बदलाव के कोई कदम नहीं उठाये गए। सीबीआई के विरोध में कांग्रेस, भाजपा और 'आप' सहित सभी दलों की इस साम्यता के बाद सीबीआई को कांट्रोवर्शियल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन कहना लाजिमी होगा।

मोदीजी जब खुद ही सीबीआई के दुरूपयोग के शिकार रहे हैं तब उन्हें सीबीआई को स्वतंत्र तथा निष्पक्ष बनाने हेतु कार्रवाई करके इस कन्ट्रोवर्सी का अंत करना ही होगा जो न सिर्फ उनके चुनावी वायदे के अनुरूप है वरन संसदीय समिति की रिपोर्ट में भी दर्ज है। जिसके लिए -
- अधिकारियों के कैडर कंट्रोल तथा ट्रांसफर पोस्टिंग पर केंद्र सरकार के नियंत्रण की समाप्ति।
- सीबीआई में 1100 से अधिक खाली पदों पर अविलंब नियुक्ति।
- कानूनी तथा अभियोजन पक्ष की शाखाओं के सेटअप को मजबूत तथा जवाबदेह बनाना।
- सीबीआई डायरेक्टर के अनुसार अंतरराष्ट्रीय अपराधों पर जांच तथा राज्यों में कार्रवाई के लिए संसद द्वारा सीबीआई दिल्ली पुलिस एक्ट 1946 के कानून में बदलाव की आवश्यकता।

डीडीसीए का मामला क्रिकेट, राजनीति और अपराध जगत की माफियागिरी का एक छोटा सिरा है जिसके तार दिल्ली में राजनेताओं, दुबई में दाउद इब्राहिम तथा लंदन में ललित मोदी तक जाते हैं। क्या पिंजरे में बंद तोता निष्पक्ष होकर डीडीसीए के मैदान में भ्रष्ट व अपराधियों के विरुद्ध डंक वाला ततैया बन सकेगा? इसके जवाब और आगे की कार्यवाही में न सिर्फ सीबीआई की साख वरन मोदी और केजरीवाल के स्वच्छ राजनीति की कसौटी भी तय होगी।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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