दिल्ली में 'आप' से विज्ञापन के पैसे वसूलने पर देश में बदलेगा गवर्नेन्स

दिल्ली में 'आप' से विज्ञापन के पैसे वसूलने पर देश में बदलेगा गवर्नेन्स

दिल्ली के उपराज्यपाल, यानी लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) ने आदेश दिया है कि सरकारी विज्ञापनों का पार्टी हित में दुरुपयोग करने के लिए आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने की प्रक्रिया प्रारंभ हो. एलजी के निर्देश के बाद दिल्ली सरकार इस मामले में आम आदमी पार्टी को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी, जिसके जवाब के बाद ही पैसे वसूलने का आदेश पारित हो सकता है. इसमें 42 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही हो चुका है, बकाया 55 करोड़ रुपये का भुगतान यदि ऐड एजेंसी को नहीं हुआ, तो मामला अदालत में भी जा सकता है. इस प्रकरण से सबक लेते हुए नौकरशाही यदि सत्तारुढ़ दल को सरकारी खजाने का दुरुपयोग करने से रोके तो लोकपाल की नियुक्ति के बगैर भी देश में बेहतर गवर्नेन्स आ सकता है...

राजनीतिक पार्टी के अलावा अफसरों से भी पैसे की वसूली क्यों नहीं : दिल्ली सरकार द्वारा सरकारी विज्ञापन के दुरुपयोग पर पैसे की वसूली क्या आम आदमी पार्टी से हो सकती है, यह कानूनी विवाद का विषय है. अधिकारियों के सहयोग और आदेश के बगैर सरकारी पैसे का दुरुपयोग संभव नहीं है. सरकारी पैसे के दुरुपयोग पर अफसरों पर आपराधिक कार्रवाई करने के साथ उनसे पैसे वसूलने का नियम यदि लागू हो जाए तो पूरे देश में गवर्नेन्स सुधर सकता है.

सरकारी विज्ञापनों के दुरुपयोग सहित सीएजी की अन्य रिपोर्टों पर भी हो वसूली : दिल्ली मामले के बाद सीएजी द्वारा अन्य राज्यों के सरकारी विज्ञापन का भी ऑडिट होना चाहिए, जिससे सरकारी पैसे के दुरुपयोग की सभी सत्तारुढ़ दलों से वसूली हो सके. जीएसटी लागू करने वाली जीएसटीएन कंपनी को भी सीएजी ऑडिट के दायरे में लाने के साथ सीएजी की सभी रिपोर्टों के अनुसार अधिकारियों से पैसे वसूलने की शुरुआत क्यों नहीं होनी चाहिए...?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अन्य राज्यों में सरकारी विज्ञापन के दुरुपयोग पर हो वसूली : सीएजी ने दिल्ली सरकार द्वारा विज्ञापन हेतु 526 करोड़ के बजट के दुरुपयोग पर पहली बार चेताते हुए बताया था कि 29 करोड़ के विज्ञापन दिल्ली से बाहर दिए गए. आईएंडबी मिनिस्ट्री द्वारा नियुक्त तीन-सदस्यीय समिति यदि सभी राज्यों में सरकारी विज्ञापनों के दुरुपयोग पर दिल्ली की तर्ज पर पैसा वसूली का निर्देश जारी करे तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश देशभर में प्रभावी तरीके से लागू हो सकेगा.

सरकारी सुरक्षा का दुरुपयोग होने पर वीआईपी से हो खर्च की वसूली : उत्तर प्रदेश समेत अनेक राज्यों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर अपराधी लोगों को वीआईपी सुरक्षा दी जाती है. नई सरकार आने पर सुरक्षा खत्म करने के साथ उस पैसे की वसूली भी पुरानी सरकार या वीआईपी से यदि हो तो सरकारी खजाने पर बोझ कम होगा.

सरकारी मकान के प्राइवेट एवं राजनीतिक इस्तेमाल के दुरुपयोग पर हो वसूली : सरकारी मकान का राजनीतिक या निजी कार्यों हेतु इस्तेमाल गैरकानूनी है. आवास हेतु आवंटित सरकारी बंगलों से राजनीतिक दलों के दफ्तर, निजी उद्यम या व्यवसाय को रोकने के साथ पुराने पैसे की वसूली का आदेश देने से सरकार की जवाबदेही और आमदनी बढ़ेगी.

चुनावों के लिए सरकारी साधन और संपत्ति के इस्तेमाल पर हो वसूली : चुनावों के पहले आचार संहिता लागू होने के बावजूद विधायक, सांसद तथा मंत्रियों द्वारा सरकारी वाहन तथा संसाधनों का राजनीतिक हितों में दुरुपयोग होता है. क्या चुनाव आयोग उन सभी नेताओं के खिलाफ पैसे वसूली का आदेश जारी करके लोकतंत्र और गवर्नेन्स को मजबूत बनाने की पहल करेगा...?

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...

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