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This Article is From Feb 18, 2016

Thank You मैक्कलम ! क्रिकेट पर तुम्हारी छाप हमेशा रहेगी...

Mahavir Rawat
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 18, 2016 14:54 pm IST
    • Published On फ़रवरी 18, 2016 12:06 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 18, 2016 14:54 pm IST
"मैं कभी भी महान खिलाड़ी के रूप में नहीं जाना जाऊंगा, लेकिन ये मेरा मकसद भी नहीं। मैं आक्रामक क्रिकेट खेलना चाहता हूं और लोगों का मनोरंजन करना चाहता हूं।" 2015 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व-कप फाइनल से ठीक पहले ब्रैंडन मैक्कलम ने यह बयान देकर बता दिया था कि भले ही दुनिया का सबसे बड़ा मैच उनके सामने है, लेकिन
वे कभी भी अपने खेलने का अंदाज नहीं बदलने वाले।

फाइनल के पहले ही ओवर की पांचवी गेंद पर वो दुनिया के टॉप गेंदबाज मिचेल स्टार्क को आगे बढ़कर मारने गए और क्लीन बोल्ड हो गए और न्यूजीलैंड अपना पहला वर्ल्ड कप खिताब जीतने से चूक गया।

मैक्कलम अब अपने रिटायरमेंट की कगार पर हैं। वो अपने क्रिकेटीय जीवन में टी-20 औ वनडे करियर तो खत्म कर चुके हैं, लेकिन अब बारी टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने की है। अपने पहले मैच से अब तक, वो लगातार 100 टेस्ट मैच खेल चुके हैं, वह भी बिना घायल हुए, बिना टीम से ड्रॉप हुए। यह रिकॉर्ड उनकी फिटनेस और कमिटमेंट की मिसाल है, खासकर तब जब वो टी-20 में IPL का अहम हिस्सा रहे हैं।

साल 2002 में उन्होंने न्यूजीलैंड के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उस वनडे मुकाबले के 2 साल बाद 2004 में उन्होंने कीवी टीम के लिए दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया। इस दौरान विरोधी टीम बदलती रही, सीरीज बदलती रही, लेकिन मैक्कलम के खेलने का अंदाज नहीं बदला। मानो उनकी गाड़ी में एक ही गियर था, टॉप गियर, लेकिन खिलाड़ी से ज्यादा मैक्कलम को एक बेहतरीन कप्तान के रूप में याद रखा जाएगा। बतौर कप्तान मैक्कलम ने अपने खेलने का अंदाज तो नहीं बदला, लेकिन उन्होंने अपने प्रभाव से कई खिलाड़ियों को पूरी तरह बदल दिया।

मैक्कलम ने ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी, मार्टिन गप्टिल, वॉटलिंग जैसे खिलाड़ियों को खुद पर विश्वास करना सिखाया। आक्रमक क्रिकेट खेलकर आप बहुत आसानी से हंसी के पात्र भी बन सकते हैं, लेकिन मैक्कुलम ने कीवी टीम के साथ ऐसा होने नहीं दिया। वो ऐसे कप्तान नहीं रहे, जिन्होंने बहुत ज्यादा कामयाबी देखी, लेकिन वो ऐसे कप्तान जरूर रहे, जिन्होंने अपने टीम के क्रिकेट के ब्रांड को ही बदलकर रख दिया।

न्यूजीलैंड की टीम जब भी खेलती इतना तो तय था कि वो विरोधियों से कड़ी टक्कर लेती, लेकिन अहम मौकों पर चूकने की उसकी आदत ने फैंस को खेल से दूर ले जाना शुरू कर दिया था। फिर मैक्कलम ने अपने ब्रांड के खेल को हिट बनाया, टीम के सदस्यों ने उन पर पूरा भरोसा भी जताया और फैंस को फिर से मैदान पर ले आए। अभी भी कीवी-लैंड में आप रग्बी से टक्कर नहीं ले सकते, लेकिन क्रिकेट और रग्बी के बीच की दूर कम जरूर हो गई है।

मैक्कलम मैदान के बाहर जितने सभ्य और विनम्र रहे, मैदान पर उनका खेल उतना ही आपको चौंका देता। बल्लेबाजी के वक्त उनके चेहरे पर अजीब से मुस्कान रहती थी, मानो वो जान रहे थे कि मामला बहुत करीबी था, लेकिन वो बिना डरे खेल गए। वो अपने खेल को काफी गंभीरता से लेते थे, लेकिन अपने आपको कभी खेल से ऊपर नहीं समझा।

केन विलियम्सन के रूप में उनका उत्तराधिकारी मौजूद है। ब्रैंडन मैक्कलम ने जाने से पहले वो काम कर दिया है जो बहुत कम खिलाड़ी कर पाते हैं। उन्होंने न्यूजीलैंड के क्रिकेट ब्रांड को बदल दिया है। बिना अहंकार के खिलाड़ियों में विश्वास भर दिया है। उन्होंने वो बीज बोया है जिसका फल हमें आने वाले समय में देखने को जरूर मिलेगा।

हां, इन सबके बीच उन्होंने फैंस का मनोरजन भी खूब किया। Thank You BAZ !!

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