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This Article is From Jan 10, 2019

रेलवे की ऑनलाइन परीक्षा के लिए 36-36 घंटे की ऑफलाइन रेलयात्रा, वाह, गोयल जी, वाह!

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 10, 2019 16:12 pm IST
    • Published On जनवरी 10, 2019 16:10 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 10, 2019 16:12 pm IST

भारत दुनिया का अनोखा देश हैं, जहां रेलवे की ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए किसी को 26 घंटे की रेलयात्रा करनी पड़ती है. इस महीने 21, 22 और 23 जनवरी को सहायक लोको पायलट और टेक्नीशियन के 64,317 पदों के लिए दूसरे चरण की परीक्षा होनी है. 10 दिन पहले छात्रों के सेंटरों की लिस्ट जारी की गई है. छात्रों के सेंटर 1,500 से 2,000 किलोमीटर दूर दिए गए हैं. प्रधानमंत्री के ट्वीट को री-ट्वीट करने में व्यस्त रेलमंत्री को अपनी ही टाइमलाइन पर आ रहे ऐसे अनेक मैसेजों को नोट करना चाहिए और समाधान करना चाहिए. बहुत से साधारण और किसान परिवारों के छात्रों के सामने संकट आ गया है कि इम्तिहान देने के लिए वे 10,000-20,000 रुपये कहां से ख़र्च करें.

पिछले साल रेलवे ने 64,317 पदों की वेकेंसी निकाली थी, जिसकी पहली परीक्षा अगस्त, 2018 में हुई. 31 मार्च तक फार्म भरे गए थे. 47 लाख से अधिक छात्रों ने फार्म भरे थे. इन सबका सेंटर अचानक 1,500-2,000 किलोमीटर दूर दे दिया गया. किसी को ट्रेन में रिज़र्वेशन नहीं मिला, तो किसी के पास टिकट के पैसे नहीं थे. किसी तरह इम्तिहान देने पहुंचे, तो रात प्लेटफार्म पर गुज़ारी. बहुत से छात्रों का इम्तिहान इसलिए छूट गया कि उनकी ट्रेन लेट हो गई. छात्र चिल्लाते रहे, रोते रहे, रेलमंत्री को ट्वीट करते रहे, मगर किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ा.

अगस्त, 2018 में खुद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ही ट्वीट किया था कि 74 फीसदी छात्र परीक्षा में शामिल हुए. यानी 47.56 लाख छात्रों में से 26 प्रतिशत परीक्षा देने से वंचित रह गए. इस तरह बिना इम्तिहान दिए ही 12 लाख से अधिक छात्र बाहर हो गए. जब पहले चरण की परीक्षा का रिज़ल्ट आया, तो 12 लाख छात्र ही दूसरे चरण के लिए चुने गए. अब जब संख्या छोटी हो गई, तो इनके सेंटर तो राज्य के भीतर दिए जा सकते थे. अगर नकल गिरोह से बचाने का तर्क है, तो यह बेतुका है, क्योंकि आजकल ऐसे गिरोह अखिल भारतीय स्तर पर चल रहे हैं, इसलिए सरकार को अपने सेंटर की निगरानी बेहतर करनी चाहिए, न कि छात्रों को 2,000 किलोमीटर दूर भेजकर परेशान करना चाहिए.

रेलमंत्री को अगर यह हिसाब तब भी समझ नहीं आता है, तो एक छात्र ने जो हिसाब भेजा है, वह दे देता हूं. बीकानेर से नागपुर जाने के लिए एक ही ट्रेन है, अणुव्रत एक्सप्रेस, जो हफ्ते में एक-दो दिन ही चलती है. एक तरफ से 26 घंटे का सफर है. दोनों तरफ का किराया मिलाकर टिकट पर सिर्फ 3,240 रुपये खर्च होंगे. 23 जनवरी को पहुंचने के लिए उसे 20 जनवरी को निकलना पड़ेगा, वापसी की ट्रेन 23 और 24 की नहीं है, तो नागपुर में दो दिन रुकना भी पड़ेगा. इस तरह एक परीक्षा देने में उसे सात दिन लगेंगे. 10,000 से अधिक रुपये खर्च हो जाएंगे. रेलमंत्री जी बताएं, एक छात्र को प्रयागराज से कर्नाटक के हुबली भेजने का क्या मतलब. 32 घंटे का सफर तय करना पड़ेगा. वह भी तब, जब आपकी ट्रेन समय से चली, जो चलती नहीं. राजस्थान के गंगानगर से किसी को केरल के कोच्चि में भेजने का क्या मतलब है. क्या इसी को ऑनलाइन इम्तिहान कहते हैं...?

ग्वालियर के एक छात्र को असम के तेजपुर में सेंटर दिया गया है. बिहार के खगड़िया के छात्र को 1,700 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के राजामुंदरी में सेंटर दिया गया है. खगड़िया से एक भी ट्रेन वहां नहीं जाती है. जोधपुर के छात्र को 2,000 किलोमीटर दूर ओडिशा के राउरकेला भेजा गया है. 35 घंटे की यात्रा है और दूरी 2,000 किलोमीटर की. इस छात्र ने रेलमंत्री को ट्वीट किया है कि किसी ट्रेन में टिकट भी नहीं है. बंगाल के छात्र को तमिलनाडु के तिरुनेल्वेली सेंटर दिया गया है. ट्रेन में टिकट नहीं है. पश्चिम बंगाल के छात्र का सेंटर मुंबई दिया गया है. झांसी का छात्र हैदराबाद जाए और पश्चिम बंगाल का पुणे. पटना के मनीष को केरल के एरनाकुलम जाना होगा. जयपुर के छात्र को कोलकाता जाना होगा. गंगासागर के मेले के कारण कोलकाता जाने वाली ट्रेन में टिकट नहीं है. बंगाल के मुर्शिदाबाद का छात्र बेंगलुरू कैसे जाएगा. रेलमंत्री खुद अपनी टाइमलाइन पर यह सब देख सकते हैं.

 

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हाल ही में रेलमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर रोज़गार से संबंधित एक प्रचार वीडियो जारी किया, जिसकी भाषा से लगता है कि रेलवे ने एक लाख लोगों को रोज़गार दे ही दिया है. सहायक लोको पायलट और टेक्नीशियन के लिए फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 31 मार्च, 2018 थी. इसके चार महीने बाद 9 से 13 अगस्त, 2018 के बीच पहली परीक्षा होती है. इस परीक्षा का रिज़ल्ट निकलता है 20 दिसंबर, 2018 को, यानी साढ़े तीन महीने बाद. अब दूसरे चरण की परीक्षा 21, 22, 23 जनवरी, 2019 को होगी. अगर साढ़े तीन महीने का औसत निकालें, तो रिज़ल्ट आते-आते मई, 2019 हो जाएगा. उस समय देश में लोकसभा का चुनाव हो रहा होगा. मई 2019 में रिज़ल्ट आ भी जाएगा, तो अभी मनोवैज्ञानिक और मेडिकल जांच बाकी है. उसके बाद दस्तावेज़ का सत्यापन होगा. कुल मिलाकर अगस्त, 2019 से पहले अंतिम रिज़ल्ट आने की संभावना नहीं है. इनकी ज्वाइनिंग कब होगी, यह तो रेलमंत्री ही जानें. बशर्ते, उन्हें यही पता हो कि अगली बार भी वही रेलमंत्री बनेंगे या नहीं.

इसलिए मेरा तर्क यह है कि रेलमंत्री प्रचार पर कम ध्यान दें और काम पर ज्यादा. रेल बोर्ड से पूछें कि गरीब और साधारण परिवार के छात्रों को 2,000 किलोमीटर भेजने का क्या तुक है. किस तरह से यह ऑनलाइन परीक्षा है, जिसके लिए किसी को 35 घंटे, तो किसी को 40 घंटे की यात्रा करनी पड़ रही है. बेपरवाही की भी हद होती है. अनगिनत महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर ट्वीट करने वाले रेलमंत्री को इन छात्रों की समस्या पर ट्वीट करना चाहिए और समाधान निकालना चाहिए.

 
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