विज्ञापन

QS 2026: भारतीय विश्वविद्यालयों की हरित प्रगति, सरकार की पहल का क्या असर?

डॉ. मोनू सिंह राजावत
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 29, 2025 11:28 am IST
    • Published On दिसंबर 29, 2025 11:25 am IST
    • Last Updated On दिसंबर 29, 2025 11:28 am IST
QS 2026: भारतीय विश्वविद्यालयों की हरित प्रगति, सरकार की पहल का क्या असर?

QS Sustainability Ranking 2026 दुनिया भर के विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन केवल शिक्षण और शोध के आधार पर ही नहीं, बल्कि समाज, पर्यावरण और सुशासन में उनके योगदान के आधार पर भी करती है. ये रैंकिंग विश्वविद्यालयों को हरित कैंपस बनाने, कार्बन उत्सर्जन कम करने और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं. इस पूरी व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों में एक सस्टेनेबिलिटी सोच विकसित करना है, जो ऊर्जा संरक्षण, जलवायु सुरक्षा, स्वच्छता और पर्यावरण जागरूकता की दिशा में काम करे. यही कारण है कि ये रैंकिंग आज के समय की जरूरत बन चुकी हैं और एक स्वस्थ तथा हरित जीवनशैली को बढ़ावा देती हैं.

यह रैंकिंग, जिसे 2021 में शुरू किया गया था, विश्वविद्यालयों को पर्यावरणीय प्रभाव, पर्यावरणीय स्थिरता, पर्यावरण शिक्षा, पर्यावरण शोध, सामाजिक समानता, ज्ञान विनिमय, शैक्षणिक प्रभाव, रोजगार के अवसर, स्वास्थ्य एवं कल्याण और सुशासन जैसे प्रमुख मानकों पर आंकती है. इन्हीं मानकों के आधार पर कुल रैंकिंग तय होती है.

Latest and Breaking News on NDTV

Sustainability Ranking 2026 में विश्वभर के लगभग 2,000 विश्वविद्यालयों ने हिस्सा लिया. भारत से 103 विश्वविद्यालय शामिल हुए, जो पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति देश की बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह प्रगति केंद्र सरकार की प्रमुख पहलों—जैसे Swachh Bharat Mission, National Clean Energy Policy, Solar Energy Projects, और National Education Policy (NEP) 2020—से और मजबूत हुई है, जिनमें सस्टेनेबिलिटी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है.

NIT राउरकेला

NIT राउरकेला

नवीनतम 2026 रैंकिंग में कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने अपने अब तक के सर्वोत्तम स्थान हासिल किए हैं. गर्व की बात है कि 9 भारतीय विश्वविद्यालय वैश्विक शीर्ष 700 में आए हैं. इनमें वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VIT) और IIT रुड़की 352वें स्थान पर रहे. इनके बाद शूलिनी विश्वविद्यालय 522, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी 544, पंजाब विश्वविद्यालय 569, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय 594, NIT राउरकेला 652, IIT-BHU वाराणसी 672, और UPES 682 पर रहे. मोदी सरकार द्वारा सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने के निरंतर प्रयास और विश्वविद्यालयों की मेहनत ने इन्हें यह उपलब्धि दिलाई है.

यदि 2025 और 2026 की QS रैंकिंग की तुलना की जाए, तो भारत की सस्टेनेबिलिटी यात्रा में महत्वपूर्ण प्रगति दिखाई देती है. वर्ष 2025 में 78 भारतीय विश्वविद्यालय शामिल थे, जिनमें IIT दिल्ली 171वें स्थान (score 80.6) पर था, जबकि IIT खड़गपुर और IIT बॉम्बे क्रमशः 202 और 234 पर थे. वर्ष 2026 में यह संख्या बढ़कर 103 हो गई, जिससे स्पष्ट है कि भारत की भागीदारी और प्रतिबद्धता दोनों मजबूत हुई हैं.

हालांकि, इस प्रगति के बावजूद 2026 में कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय वैश्विक शीर्ष 200 में नहीं पहुंच पाया. IIT दिल्ली की रैंक 171 से फिसलकर 205 हो गई, हालांकि उसका स्कोर बढ़कर 83.1 हो गया. इसका अर्थ है कि भारत में सस्टेनेबिलिटी शिक्षा और शोध में निरंतर सुधार हो रहा है, लेकिन शीर्ष वैश्विक स्तर तक पहुँचने के लिए गुणवत्ता, प्रभाव और प्रतिस्पर्धा को और मजबूत करना आवश्यक है.

इस लेख में व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं, उनसे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com