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This Article is From Apr 18, 2023

विपक्ष में हो गया है कामों का बंटवारा

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 18, 2023 20:47 pm IST
    • Published On अप्रैल 18, 2023 20:47 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 18, 2023 20:47 pm IST

विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कवायद में काम का बंटवारा हो गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दक्षिण भारत के राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ बातचीत का जिम्मा दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि इन मुख्यमंत्रियों से नीतीश कुमार के ताल्लुकात अच्छे हैं. ममता बनर्जी की नीतीश कुमार से पहले भी मुलाकात हो चुकी है, और तेलंगाना के CM KCR तो पटना में नीतीश कुमार के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस तक कर चुके हैं.

दरअसल, आठ मुख्यमंत्री - गैर-BJP और गैर-कांग्रेस - कुछ दिन पहले से ही सरकार चलाने की नीतियों को लेकर एक दूसरे के संपर्क में हैं, जिनमें केरल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. इन सब मुख्यमंत्रियों की एक बैठक इस महीने भी हो सकती है, और अब मुख्यमंत्रियों के इस समूह को विपक्ष की एकता से जोड़कर देखा जा रहा है. नीतीश कुमार को वामदलों से भी बातचीत करने के लिए कहा गया है, क्योंकि वामदल बिहार में महागठबंधन का हिस्सा हैं. यही वजह है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव वाम नेताओं से भी मिल रहे हैं.

वहीं, तेजस्वी यादव से समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव से बात करने के लिए कहा गया है, क्योंकि उनके आपस में पारिवारिक संबंध भी हैं और दोनों युवा हैं, एक ही जाति से हैं, एक ही तरह की राजनाति करते हैं.

यानि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की बैठक में तय हुआ कि वे दल, जो फिलहाल खुलकर कांग्रेस के साथ नहीं दिखना चाहते, उनसे क्षेत्रीय दल के नेता ही बात करें. दरअसल, इन दलों के खिलाफ उनके राज्यों में कांग्रेस चुनाव लड़ती है, सो, मुमकिन है, वे फिलहाल कांग्रेस के साथ नज़र न आना चाहें.

एका के इस प्रयास में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मुखिया शरद पवार की भी काफी अहम भूमिका रहेगी, और उनके पास महाराष्ट्र में अघाड़ी को एकजुट रखने के साथ-साथ अन्य विपक्षी दलों को भी साथ लाने का जिम्मा है. उनके जिम्मे एक और महती ज़िम्मेदारी है कि कांग्रेस को कई मुद्दों पर एक कदम पीछे खींचने के लिए समझाना होगा. 

जहां तक सीटों के तालमेल की बात है, वह राज्यों के स्तर पर होगा, क्योंकि हर राज्य की परिस्थिति अलग है. जैसे - केरल में कांग्रेस और वामदल आमने-सामने हैं, लेकिन त्रिपुरा में वे एक साथ हैं. उसी तरह, जो फ्रंट बनाने की बात हो रही है, वह चुनाव के बाद ही बनेगा और उसका नेता भी बाद में ही चुना जाएगा, जैसा यूनाइटेड फ्रंट के समय हुआ था.

जानकारी है कि यह तय हो गया है कि इस माह के अंत में सभी नेताओं की दिल्ली में बैठक होगी, जिसमें अभी तक की प्रगति पर चर्चा की जाएगी. विपक्ष की रणनीति साफ है - पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र में एकजुट होकर BJP को कड़ी टक्कर देना.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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