संसदों में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि आखिर वे अगड़ों को 10 फीसदी का आरक्षण देने की बात पर सत्र के आखिरी दिन चर्चा क्यों कर रहे हैं. जाहिर है कोई भी इस बिल का विरोध नहीं कर सकता इसलिए सबको मिलकर इस बिल को पारित कराना ही होगा. मगर सबके मन में एक ही सवाल है कि अब क्या...लोकसभा का चुनाव सिर पर है और क्या ऐसे और भी मामले आने वाले हैं जिनके लिए उनको तैयार रहना चाहिए?
जी हां इसी बात की चर्चा हो रही थी संसद के गलियारे में सांसदों के बीच. लोग अब गरीब सवर्णों को 10 फीसदी का आरक्षण दिए जाने पर नफा नुकसान की बात कर रहे हैं कि इससे क्या बीजेपी की किस्मत 2019 के लोकसभा चुनाव में बदलेगी या अभी कुछ और भी तीर बाकी हैं, मोदी जी के तरकश में...
कई बीजेपी सांसदों और यहां तक कि कुछ केंद्रीय मंत्री भी मानते हैं कि इस कानून के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं में एक नया जोश आएगा, खासकर उन कार्यकर्ताओं में जो राफेल पर राहुल गांधी के हमले से परेशान थे. कुछ का मानना है कि इस बिल के पास होने से प्रधानमंत्री के लगातार गिरते ग्राफ पर ब्रेक लग जाएगा, चीजें बदलनी शुरू हो जाएंगी..और कांग्रेस के सवर्ण बोटबैंक में सेंध लगाई जा सकती है. एक बीजेपी सांसद ने कहा कि देखो दो दिनों से कोई राफेल का नाम भी नहीं ले रहे हैं.
मगर विपक्ष के कुछ सांसदों का मानना है कि सवर्ण बहुल सीटों पर बीजेपी पहले से ही अच्छा कर रही है और इससे उन सीटों पर खास फर्क नहीं पड़ेगा उल्टे बिहार और उत्तरप्रदेश में मंडलवादी पार्टियां जैसे राजद और समाजवादी पार्टी इसे उल्टे ढंग से पेश करेंगी कि यह तो शुरुआत है पिछड़ों और दलितों के आरक्षण को खत्म करने की क्योंकि आरएसएस हमेशा से आर्थिक आधार पर आरक्षण के पक्ष में रही है और एक बार फिर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान का हवाला दिया जाएगा जिसमें वे इसी तरह के आरक्षण की वकालत करते नजर आ रहे हैं.
मगर सबसे बड़ा सवाल है कि सवर्णों का आरक्षण ही एक तुरुप का इक्का था जिसे मोदी जी ने अपने पिटारे से निकाला या और भी हो सकते हैं. इसकी कुछ भनक केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने राज्यसभा में दिए भाषण में दी जिसमें उन्होंने कहा कि अभी और भी छक्के लगेंगे. यदि संसद के गलियारे की सुनें तो अगला नया तुरुप का इक्का मोदी जी की तरफ से किसानों के लिए आमदनी बढ़ाने की योजना है. इसके तहत किसानों के खातों में सीधे पैसे डालना. यानी किसानों को हर फसल की बुआई के समय प्रति एकड़ 4000 हजार रुपये दिए जाएंगे. यह एक ऐसी योजना है जिसे तेलंगाना में चंद्रशेखर राव लागू कर चुके हैं और जवाब में जनता ने उन्हें बड़ी जीत से सत्ता में वापस भेजा. अब प्रधानमंत्री मोदी इसी की तर्ज पर देश भर में किसानों के लिए इसे लागू करने की योजना बना रहे हैं. आखिर किसान अब देश में बड़ा मुद्दा बन चुका है जिसे फिलहाल राहुल गांधी ले उड़े हैं और मोदी जी पिछड़ते नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि प्रधानमंत्री अब पीछे नहीं हटना चाहते और इस योजना की घोषणा जल्द हो सकती है.
दूसरा बड़ा निर्णय फरवरी में बजट में आएगा. यदि संसद के गलियारों में सांसदों की फुसफुसाहट को सही मानें तो सरकार आयकर के स्लैब में बड़े तौर पर बदलाव ला सकती है. वैसे सरकार इस बात का गुणगान कर रही थी कि इतना टैक्स इकट्ठा हुआ और इतना पैसा सरकार के पास खजाने में आया है. इसीलिए कहा जा रहा है कि सरकार इनकम टैक्स की सीमा 4 लाख तक बढ़ा सकती है... है न मजेदार खबर..
संसद के इस सत्र के अंतिम दिन इस तरह की खबर बीजेपी सांसदों के लिए राहत की बात है, मगर विपक्ष के सांसद अभी कह रहे थे कि अब कुछ नहीं हो सकता बड़ी हो गई है..एक विपक्षी सांसद ने कहा कि बड़ी देर कर दी हुजूर आते-आते..अब ये सभी सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में चले गए हैं और मिलेंगे बजट सत्र के दौरान फरवरी में. देखते हैं तब इनके बीच क्या बातें होती हैं, उसकी भी चर्चा करेंगे आपके साथ.
(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)
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