दिल्ली में बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) की एक रैली में राजस्थान के किसान गजेन्द्र सिंह ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले तो आक्रमक रुख अपनाया और दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके बार-बार आग्रह करने पर भी पुलिस ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
अगर पुलिस चाहती तो गजेंद्र सिंह को बचा सकती थी। लेकिन हवा का रुख अपने खिलाफ होते देख शुक्रवार को मीडिया के सामने अरविन्द केजरीवाल ने सफाई दी और कहा, 'इस घटना के बाद वहां भाषण जारी रखना मेरी गलती थी। इस वजह से यदि किसी को संवेदना को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं।'
बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में आप नेता आशुतोष ने कटाक्ष करते हुए कहा था, 'यह अरविन्द केजरीवाल की गलती है, उन्हें स्टेज से उतर जाना चाहिए था, अगली बार मैं केजरीवाल को कहूंगा कि वो पेड़ पर चढ़ कर किसान को बचाएं।' आशुतोष को बाद में जब गलती का एहसास हुआ तो पहले उन्होंने ट्वीट करके अपने बयान पर माफ़ी मांगी, फिर एक टीवी चैनल में गजेंदर सिंह की बेटी के सामने रो रो कर माफ़ी मांगने लगे। आम आदमी पार्टी का गलती करके माफ़ी मांगने का तरीका नया नहीं है। तीन साल पुरानी पार्टी ने जब भी महसूस किया कि उनके ब्यानो से उनको सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है तो उन्होंने माफ़ी मांगने में देरी नहीं की। आईये देखते हैं कब कब आम आदमी पार्टी को माफ़ी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अरविन्द केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस कदम से जनता में यह सन्देश गया कि अरविन्द केजरीवाल ने केंद्र की सत्ता पाने के लिए दिल्ली की जनता को धोखा दिया है। जिस जनता से पूछ कर वे मुख्यमंत्री बने थे, इस्तीफा देते समय उन्होंने जनता से पूछना ज़रूरी भी नहीं समझा कि क्या वे इस्तीफा दें या नहीं दें? लेकिन लोकसभा चुनाव हार जाने के बाद केजरीवाल को अपनी गलती का एहसास हुआ।
मई 2014 से लेकर फरवरी 2015 तक अरविन्द केजरीवाल घर घर जा कर माफ़ी मांगते रहे और कहते रहे कि वह राजनीती में नए हैं, उनसे गलती हुई है और अगली बार वह इस्तीफा नहीं देंगे।
18 फरवरी 2014 को आम आदमी पार्टी ने करप्शन पर निगरानी रखने वाली अंतरराष्ट्रिय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और जनता से माफ़ी मांगी। तत्कालीन आप नेता शज़िआ इल्मी ने ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का हवाला देते हुए बयान दिया था कि जब से 'आप' की सरकार बनी है तब से दिल्ली में करप्शन नाटकीय ढंग से कम हुआ है।
25 जनवरी 2014 में आप नेता ने पत्रकारों से अपने बयान पर माफ़ी मांगी जिसमें उन्होंने पत्रकारों पर इलज़ाम लगाया था की उन्हें नरेंद्र मोदी से रिश्वत मिली है।
22 जनवरी 2014 को आप नेता कुमार विश्वास ने 2008 में केरल की नर्सों पर की अपनी भद्दी टिप्पणी पर माफ़ी मांगी। एक स्टेज शो में उन्होंने मलयाली नर्सों को 'काली पीली सिस्टर' कहा था।
21 जनवरी 2014 को अरविन्द केजरीवाल ने रेल भवन के सामने धरने पर बैठ जाने पर जनता को हुई असुविधा के लिए माफ़ी मांगी।
6 जनवरी 2014 को आप नेता कुमार विश्वास ने मुहर्रम पर दिए विवादित बयान पर माफ़ी मांगी। एक कवि सम्मलेन के दौरान उन्होंने मुहर्रम पर टिपण्णी की थी।
14 नवंबर 2013 को आम आदमी पार्टी के नेता और टीवी होस्ट राजीव लक्ष्मण ने तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के लिए अश्लील शब्दों का प्रयोग करने पर माफ़ी मांगी।
20 मई 2012 में अरविन्द केजरीवाल ने प्रशांत भूषण के एक ब्यान पर माफ़ी मांगी जिसमे प्रशांत भूषण ने तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को शिखंडी कहा था।
कहते हैं की माफ़ी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता। माफ़ी मांगने से हमे अपनी गलती का एहसास होता है। लेकिन बार बार माफ़ी मांगने से माफ़ी का महत्व नहीं रह जाता। माफ़ी के साथ साथ व्यक्ति भी खोखला नज़र आने लगता है।' पहले गलती करो और बाद में माफ़ी मांग लो', क्या राजनीती करने का आम आदमी पार्टी का यही तरीका है?
This Article is From Apr 24, 2015
मनीष शर्मा की नज़र से : 'आप' की माफ़ियों का सफरनामा
Manish Sharma
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Updated:अप्रैल 28, 2015 12:58 pm IST
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Published On अप्रैल 24, 2015 21:06 pm IST
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Last Updated On अप्रैल 28, 2015 12:58 pm IST
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