विज्ञापन

कृपया इस लेख को 45 दिन बाद पढ़ें

अनुराग द्वारी
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 31, 2025 23:17 pm IST
    • Published On जुलाई 31, 2025 23:15 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 31, 2025 23:17 pm IST
कृपया इस लेख को 45 दिन बाद पढ़ें

बुद्धिबल्लभ जी इन दिनों बहुत प्रसन्न हैं. उनके माथे पर चिंता की लकीरें नहीं बल्कि ‘औद्योगिक विकास' के नक्शे खिंचे हुए हैं. मज़दूर अब हड़ताल करने से पहले डेढ़ महीने का नोटिस देंगे. यानी पहले चाय पिलाएंगे, फिर चाय की चुस्कियों में कहेंगे- "भाईसाहब, 45 दिन बाद हम नाराज़ होंगे."

बुद्धिबल्लभ जी ने इस पर गहरी सांस ली और बोले- "वाह! अब क्रांति भी शेड्यूल पर चलेगी. जैसे बारात की तारीख निकलती है, वैसे ही अब हड़ताल की तारीख निकलेगी. कार्ड छपेंगे- 'सादर सूचित किया जाता है कि हम 18 अगस्त को काम रोकने जा रहे हैं, कृपया असुविधा के लिए पहले से तैयार रहें.'

यह सुनकर उनके मित्र हरिवंश बाबू जो कभी ट्रेड यूनियन से जुड़े थे, कुर्सी से गिरते-गिरते बचे. बोले- "बुद्धिबल्लभ! ये कोई हड़ताल है या ओला कैब की बुकिंग?"

बुद्धिबल्लभ जी मुस्कराए और बोले- "देखिए, अब मज़दूरों की भी ब्रांडिंग होगी. विरोध प्रदर्शन 'इन फुल यूनिफॉर्म', इंस्टाग्राम पर लाइव, यूट्यूब पर लिंक शेयर होगा. और डेढ़ महीने में ठेकेदार नया बैच ट्रेनिंग से निकाल लेगा, ताकि काम रुके ही नहीं!"

बुद्धिबल्लभ जी बोले... यह व्यवस्था नहीं बदली, इसने सिर्फ विरोध का टाइमटेबल बना दिया है. अब मजदूरों को क्रोधित होने से पहले कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी कि वे ग़ुस्से में आ सकते हैं या नहीं.

मध्यप्रदेश में अब उद्योगों में हड़ताल या तालाबंदी के लिए प्रबंधन को 45 दिन पहले सूचना देनी अनिवार्य होगी. गुरुवार को विधानसभा ने श्रम विभाग के संशोधित नियम पास किए, जिसमें ठेकेदारों के लिए लाइसेंस की सीमा 20 से बढ़ाकर 50 कर्मचारी और कारखानों के लाइसेंस की सीमा 20 से बढ़ाकर 40 कर्मचारी कर दी गई है. सरकार का दावा है कि इससे निवेश और रोजगार बढ़ेंगे.

सरकार कहती है कि इससे निवेश बढ़ेगा. बात सही है. एक उद्योगपति ने कहा, "अब जब मज़दूर समय पर नाराज़ होंगे, तो हम भी समय पर देश छोड़कर भाग सकते हैं."

कुछ ठेकेदार खुश हैं. बोले- अरे अब क्या ही डर! हड़ताल होगी, पर RSVP के साथ. और वो भी सिर्फ उन्हीं जगहों पर, जहां मज़दूर 50 से ज़्यादा हों!

छोटे कारखानों के मालिकों ने चैन की सांस ली, "हम तो अब 49 मज़दूर ही रखेंगे, ताकि कानून की नजरों से बच सकें. बाकियों को कह देंगे, ‘आप तो सिर्फ चाय वाले हैं.'"

बुद्धिबल्लभ जी ने अखबार की कटिंग संभाली, "यह कानून मज़दूरों को सुरक्षा देता है. PF सीधे खाते में जाएगा." हरिवंश बाबू बोले- "मगर खाते में पैसे कौन डालेगा?"

बुद्धिबल्लभ ने आंखें तरेरीं, बोले- "वो बात बाद में, पहले घोषणा की जा चुकी है, अब तो लागू भी मान लीजिए."

विपक्ष चिल्ला रहा है: "मज़दूरों का शोषण होगा!" सरकार जवाब दे रही है- "हम आलोचना का स्वागत करते हैं, बशर्ते उसमें तारीख, समय और नोटिस की कॉपी लगी हो."

अब जो मज़दूर क्रोध में आ जाए, बिना नोटिस दिए, तो क्या होगा?

बुद्धिबल्लभ जी मुस्कराए, "उनके खिलाफ आपराधिक मुक़दमा चलेगा."

मज़दूरों से अपेक्षा की जा रही है कि वे 'संविधान सम्मत ग़ुस्सा', 'लाइसेंसी नाराज़गी' और 'अनापत्ति प्रमाणपत्र सहित असंतोष' का पालन करें और अगर कोई बिना नोटिस के भूखा रह जाए, तो सरकार कहेगी- "हमने आपका हक छीना नहीं, उसे प्रोसेस में डाला है!"

(कृपया इस व्यंग्य को 45 दिन बाद पढ़ें ताकि कोई आपत्ति न हो.)

(लेखक अनुराग द्वारी NDTV के मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के रेज़िडेंट एडिटर हैं.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com