
- ट्रंप ने भारत पर कुल मिलाकर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव बढ़ गया है.
- PM मोदी इस महीने के अंत में चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जाएंगे.
- इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री ने समझाया कि टैरिफ वॉर के बीच यात्रा एक बड़ा संदेश क्यों है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ 50% तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इस बीच एक बड़ी खबर यह आई है कि पीएम मोदी इस महीने के अंत में एक महत्वपूर्ण विदेश यात्रा चीन जाएंगे. पीएम मोदी चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की मीटिंग में हिस्सा लेने वाले हैं. गलवान में दोनों देशों के बीच संघर्ष के बाद पीएम मोदी की यह पहली चीन यात्रा होगी और यह अमेरिका से तनाव के बीच अपने आप में एक बड़ा संदेश है. भारत और चीन अमेरिका की साझा टैरिफ चुनौती के सामने एक मंच पर मजबूती से आकर अपने रिश्तों को धार दे सकते हैं और दोनों अपना फायदा कर सकते हैं. कुछ यही मानना है इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मनोरंजन शर्मा का.
रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने और पीएम मोदी की चीन यात्रा पर बात करते हुए मनोरंजन शर्मा ने न्यूज एजेंसी IANS से कहा, "कुछ सालों में भारत और चीन काफी दूर हो गए थे. सीमा विवाद और व्यापार घाटे को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट कम हो गई थी. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ (वॉर) के बाद भारत और चीन के हितों में कुछ हद तक सामंजस्य है..."
"...तो अगर हम एक मंच पर आकर अपनी बात को पुरजोर तरीके से उठाएं तो इसमें भारत और चीन, दोनों का फायदा होगा. इस समझ से हम पीएम मोदी की चीन यात्रा को सकारात्मक रूप से देखते हैं. मुझे उम्मीद है कि इससे दोनों देश और निकट आएंगे. टैरिफ जैसी वैश्विक स्तर पर जो समस्याएं सामने आई हैं, उसपर दोनों साझा और सोचा-समझा रुख अपना सकते हैं. - मनोरंजन शर्मा
Delhi: On reports of PM Modi's possible China visit, Chief Economist of Infomerics ratings, Manoranjan Sharma says, "... Following U.S. President Donald Trump's imposition of an additional 25% tariff, it is now believed that India and China's interests align to some extent. If… pic.twitter.com/POzJ7WwLK9
— IANS (@ians_india) August 7, 2025
2019 के बाद पीएम मोदी का पहला चीन दौरा
योजना के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी 29 अगस्त के आसपास जापान की यात्रा पर जाएंगे और यात्रा के समापन के बाद, वह 31 अगस्त से एक सितंबर तक आयोजित होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन के उत्तरी शहर तियानजिन जाएंगे. पीएम मोदी की चीन यात्रा की योजना दोनों पक्षों द्वारा अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के प्रयासों के बीच बनाई जा रही है. जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच घातक झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच गंभीर तनाव पैदा हो गया था.
पीएम मोदी की चीन यात्रा से पहले, ऐसा माना जा रहा है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता के अगले दौर के लिए भारत की यात्रा करेंगे. पीएम मोदी ने आखिरी बार जून 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा किया था. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर 2019 में दूसरे 'अनौपचारिक शिखर सम्मेलन' के लिए भारत आए थे. हालांकि, पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध के कारण दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे.
पिछले कुछ महीनों में, दोनों पक्षों ने सीमा संबंधी मुद्दे और अन्य संवाद तंत्रों पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता को बहाल किया है. विभिन्न संवाद तंत्रों को बहाल करने का निर्णय 23 अक्टूबर, 2024 को कजान (रूस) में प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था. मोदी-शी की यह बैठक भारत और चीन के बीच देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते के दो दिन बाद हुई.
दोनों पक्षों ने संबंधों को पुनः मजबूत करने के लिए कई पहल कीं, जिनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर शुरू करना तथा भारत द्वारा चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना शामिल है. दोनों पक्ष दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवाओं को फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा कर रहे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पिछले दो महीनों में एससीओ बैठकों में भाग लेने के लिए चीन गए थे. चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है.
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