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This Article is From Apr 23, 2020

जिनके लिए लोगों ने बजाई थी थाली, अब लोग उन्हीं को दे रहे हैं गाली

Ajay Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 23, 2020 00:36 am IST
    • Published On अप्रैल 23, 2020 00:35 am IST
    • Last Updated On अप्रैल 23, 2020 00:36 am IST

कोरोना का कहर अब धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है और  लोगों की अवेयरनेस पैनिक में बदल रहा है. तभी तो जिसे कोरोना हो रहा है उसे और उसके घर वालों को लोग दुश्मन की तरह देखने लगे हैं.  उनके साथ उपेक्षित व्यवहार हो रहा है, जैसे उन्होंने कोई बड़ा अपराध किया हो. इस नासमझी का आलम ये है कि लोग अपने ही पड़ोसी और परिचितों को दुश्मन की नज़र से देख रहे हैं. हाल में हुई कई घटनाएं इसका ताज़ा उदाहरण है.  इसमें सबसे ज़्यादा तकलीफ उन स्वास्थ्य कर्मियों को झेलना पड़ रही है जिनके अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीज़ आ-जा रहे हैं. अगर बात बनारस की करें तो यहां भी इस तरह की बात सामने आ रही है.  हाल ही में एक सामन्य सी घटना हुई. शहर का एक जाना माना प्राइवेट अस्पताल इन मुश्किल के दिनों में उन मरीजों का इलाज कर रहा है जो कोरोना से नहीं बल्कि दूसरी बीमारियों से जूझ रहे हैं, इसमें ब्रेन, हार्ट, किडनी और दूसरी जानलेवा बीमारी शामिल हैं. यहां पर सभी स्वास्थ्यकर्मी आम आदमी की तरह ही हैं. इनका भी घर-परिवार है जो आम लोगों की तरह ही कोरोना से डरता भी है लेकिन ये लोग स्वास्थ्यकर्मी हैं लिहाजा जान जोखिम में डाल कर अस्पताल आ रहे हैं और मरीजों की देखभाल कर रहे हैं.  

अब यहां कहानी में थोड़ा ट्विस्ट आता है... इस अस्पताल में एक पुराना मरीज़ आता है, उसे बुखार था और डॉक्टर से देखने की गुजारिश कर रहा था.  अस्पताल के इमरजेंसी में कोरोना के पूरे प्रोटोकॉल के तहत एहतियात के साथ उसे देखा गया. उसका सीटी चेस्ट कराया गया और निमोनिया जैसा दिखने पर उसे वहीं से कोविड अस्पताल में भेज दिया गया क्योंकि डॉक्टर उसे कोरोना का सस्पेक्ट केस मान रहे थे. यहां ये बताते चलें कि वो मरीज़ अस्पताल में सिर्फ 2 घंटे तक रहा और अस्पताल में उसका इलाज नहीं सिर्फ प्रारम्भिक जांच इमरजेंसी में ही हुई. उसके जाने के बाद अस्पताल ने खुद ही एहतियातन इमरजेंसी और सीटी स्कैन एरिया को खाली कर सैनिटाइज़ किया. वह सीटी स्कैन के दौरान जिस चद्दर पर लेटा था उसे डिस्कार्ड कर दिया गया. कहने का मतलब यही कि अस्पताल ने पूरी एहतियात बरती. अब दो दिन बाद इस कहानी का क्लाइमेक्स शुरू हुआ.. कोविड अस्पताल में वो पॉजिटिव पाया गया लिहाजा वो जहां-जहां गया था उसे ट्रेस करना शुरू हुआ. इस कड़ी में अस्पताल में भी प्रशासन पहुंचा. अब अस्पताल में कार्यवाही शुरू हुई. जिन-जिन लोगों के संपर्क में वह आया था उन लोगों की लिस्ट बनाकर दे दी गई और उस एरिया को बंद कर दिया गया. इस कोरोना पॉजिटिव की खबर को आम कोरोना पॉजिटिव केस की तरह सार्वजनिक भी किया गया. यहां तक तो बात सामन्य थी और यह सुरक्षा के लिहाज से जरूरी भी था. 

लेकिन इस एहतियात में एक चूक हो गई.. वह कोविड पेशेंट कहां-कहां गया था, इस खबर को सार्वजनिक करने में प्रशासन ने उस निजी अस्पताल का नाम भी डाला दिया जहां उसे सिर्फ प्रारम्भिक तौर पर देखा गया था. सीएमओ की तरफ से जारी पत्र में उक्त अस्पताल में की जा रही कार्यवाही की जानकारी थी. इस पत्र के बाद कुछ प्रमुख अखबारों ने उस निजी अस्पताल का नाम तो नहीं छापा पर बड़े-बड़े हर्फों में ये खबर जरूर छपी की अमुख अस्पताल सील कर दिया गया. जबकि अस्पताल सील नहीं किया गया था सिर्फ 13 लोगों की जांच की रिपोर्ट आने तक ओपीडी और इमरजेंसी रोकी गई थी. अब "सील" होने और "रोके" जाने जैसे शब्दों का भाव लोगों की निगाहों में अलग-अलग मायने गढ़ देता है. अखबार के अलावा  कई गैरजरूरी लोकल पोर्टल ने बहुत गैर ज़िम्मेदाराना तरीके से इस पूरे प्रकरण को अपने पोर्टल में छापा. बात यहीं नहीं रुकी कहीं से लीक होने के बाद उक्त पत्र शहर में व्हाट्सऐप पर घूमने लगा. शहर में एक अनजाना सा भय व्याप्त हो गया और उन मोहल्लों, सोसायटी में खासतौर पर जहां उस निजी अस्पताल के कर्मचारी रहते थे. अब सभी उन्हें शक की निगाहों से देखने लगे मानो वे कोई अपराधी हों और वे उन्हें इस बिमारी से मार डालेंगे. लिहाजा कई जगह विरोध हुआ. मकान मालिक धमकी देने लगे, मोहल्ले वाले उनसे अछूत की तरह व्यवहार करने लगे. यहां तक कि कई जगह तो पुलिस  को कम्प्लेन कर दी गई. पुलिस भी आकर उन्हें धमका गई.  इन दुश्वारियों के बीच समस्या ये खड़ी हुई कि ये स्वास्थ्य कर्मी अपने अस्पताल तक जाएं कैसे? और अगर नहीं जाते तो जो दूसरे बिमारी से ग्रस्त मरीज हैं, उनकी देखभाल कैसे हो? लिहाजा शहर का एक जाना माना अस्पताल अपने भर्ती मरीजों के साथ इसलिए तमाम मुश्किलों में घिर गया क्योंकि उसने अपना कर्तव्य निभाते हुए सिर्फ एक अपने ही पुराने मरीज को कोरोना पॉजिटिव की प्रारम्भिक जांच करने का अपराध कर दिया था. 

ये घटना कई सवाल खड़े करती है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रशासन उस निजी अस्पताल का नाम लिए बिना कोई कार्यवाही नहीं कर सकता था?, क्या उसका नाम उजागर करना जरूरी था? क्या ऐसे माहौल में पत्रकारों का इस तरह की सनसनीखेज खबर बनाना उचित था? क्या इसका कोई और तरीका नहीं हो सकता था?  क्या हर शहर में गैरजिम्मेदारी की तरह उग आए तमाम पोर्टलों पर बिना खबरों और पत्रकारिता के मानक को समझे हो रही खबरें जायज़ हैं? क्या इन खबरनवीसों को ये नहीं समझना चाहिए कि उनकी इस खबर से समाज के किस-किस हिस्से में क्या-क्या असर पड़ेगा? क्या ये जरूरी नहीं कि इस बीमारी की सनसनीखेज खबर के बजाय इससे हौसले की बात की खबर हो? जैसे तमाम सवाल हैं जो आज खड़े हुए हैं.  

ये सवाल आज उस वक्त और ज़्यादा प्रासंगिक हो जाते हैं जब शहर पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले बीएचयू अस्पताल को कोविड अस्पताल बना दिया गया है. यहां कोई दूसरे रोग से सम्बंधित मरीज़ नहीं देखा जाएगा. अब यहां भी एक सवाल खड़ा होता है कि जिस बीएचयू के हर विभाग में मरीजों की महीनों महीनों की लाईन थी, जहां गंभीर रोगों के इलाज के साथ बड़े-बड़े दुष्कर जीवन रक्षक आपरेशन होते थे क्या वो सब मरीज़ अचानक ठीक हो गए? क्या वो मरीज़ कहीं और इलाज नहीं करा रहे होंगे? अगर करा रहे हैं तो कहां? क्या वो ऐसे ही निजी चिकित्सालयों में इलाज नहीं करा रहे हैं? और अगर करा रहे हैं तो ऐसे मरीजों का कोरोना के इस नासमझ पैनिक की वजह से अगर ऐसे अस्पताल बंद होने लगेंगे तो क्या होगा? इन सवालों का जवाब इसलिए लाजमी हो जाता है क्योंकि कोरोना महामारी की ये शुरुआत भर है, अभी इसका चरम आना बाकी है और अगर हमारा रवैया स्वास्थ्य सेवा के प्रति ऐसा ही रहा तो शायद कोरोना से कहीं ज़्यादा दूसरी बीमारी लोगों के लिए बड़ी दुखदाई हो जाएगी. ऐसे में शासन प्रशासन से लेकर मीडिया और समाज के दूसरे लोगों को इन सब सवालों का जवाब ढूंढना ही होगा, नहीं तो इसके घातक परिणाम सामने आएंगे. 

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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