
- सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो केस में पिता द्वारा अपनी बेटी के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के दावे को खारिज किया
- आरोपी को अपनी दस साल की बेटी के साथ बलात्कार के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी गई
- न्यायालय ने कहा कि कोई भी बेटी घरेलू अनुशासन से बचने के लिए पिता पर बलात्कार जैसे गंभीर आरोप नहीं लगाएगी
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में पॉक्सो के दोषी की दलील पर कहा, "कोई भी बेटी चाहे कितनी भी पीड़ित क्यों न हो लेकिन सिर्फ घरेलू अनुशासन से बचने के लिए अपने पिता के खिलाफ बलात्कार जैसे संगीन आरोप नहीं लगाएगी". बता दें कि आरोपी ने बेटी पर आरोप लगाया था कि उसे उसकी बेटी ने झूठे आरोप में फंसाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को अपनी दस साल की बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने के जुर्म में सुनाई गई दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए यह बात कही. जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने उस व्यक्ति की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे झूठा फंसाया गया था क्योंकि उसने अपनी बेटी के प्रेम संबंध को अस्वीकार कर दिया था.
कोर्ट ने कहा कि यह दावा "पूरी तरह से खोखला" है और कोई भी बेटी घरेलू अनुशासन से बचने के लिए अपने पिता के खिलाफ इस तरह के आरोप नहीं लगाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारे सामने उठाया गया तर्क यह है कि याचिकाकर्ता को तनावपूर्ण घरेलू संबंधों और अपनी बेटियों के प्रेम संबंधों की अस्वीकृति के कारण झूठा फंसाया गया था लेकिन यह पूरी तरह से खोखला है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इसने इस अपराध को एक ऐसा अपराध बताया जो “परिवार को सुरक्षा के स्थान के रूप में देखने की धारणा को ही नष्ट कर देता है” और राज्य को पीड़िता को मुआवजे के रूप में 10.5 लाख रुपये देने का निर्देश दिया."
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