
जनता दल यूनाइटेड के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की बेटियों को सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील नियुक्त करने को लेकर राजनीतिक घमासान छिड़ गया है. राष्ट्रीय जनता दल ने आरोप लगाया है कि अनुभवहीन होने के बावजूद जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा की दोनों बेटियों को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील नियुक्त किया है. पार्टी का कहना है कि बिहार एनडीए में एक के बाद एक नेताओं के परिजनों को अलग-अलग जगहों पर बिठाया जा रहा है, जो परिवारवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों के बिलकुल विपरीत है.
दिल्ली में आरजेडी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने 9 अक्टूबर 2024 को कानून मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश का हवाला दिया. इस आदेश में संजय झा की दोनों बेटियों को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की पैरवी के लिए ग्रुप A पैनल में तीन साल के लिए अनुबंधित किया गया है. मनोज झा का आरोप है कि संजय झा की दोनों बेटियों के पास इस पद पर नियुक्ति के लिए जरूरी अनुभव नहीं है. आरजेडी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर कानून मंत्रालय के आदेश की कॉपी साझा की है.
आरजेडी परिवारवाद के मुद्दे पर कर रही पलटवार
अब इन नियुक्तियों के बहाने आरजेडी प्रधानमंत्री पर परिवारवाद के मुद्दे पर पलटवार कर रही है. पार्टी नेता तेजस्वी यादव ने भी पटना में हाल में राज्य के अलग-अलग आयोगों में चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और अशोक चौधरी के दामादों की नियुक्ति किए जाने को लेकर हमला बोला था.
दामादों की नियुक्ति को लेकर भी हो चुकी है बयानबाजी
यादव ने आरोप लगाया कि जेडीयू ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए इन पदों पर केवल राजनेताओं के रिश्तेदारों की नियुक्ति की है. तेजस्वी ने इन नियुक्तियों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी परिवारवाद के मुद्दे पर पलटवार किया है.
लालू यादव और उनके परिवार पर राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है. हालांकि अब इन नियुक्तियों के बहाने आरजेडी को पलटवार करने का मौका मिल गया है.
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